मिग-29 हादसा: तकनीकी खामी और पायलट की सूझबूझ ने बचाई सैकड़ों जानें
हादसे का विवरण
4 नवंबर को आगरा के पास बघा गांव में भारतीय वायुसेना का मिग-29 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया।
- विमान में तकनीकी खामी:
विमान की पूंछ टूटने और गोल-गोल घूमने की वजह से हादसा हुआ। - पायलट का निर्णय:
विंग कमांडर मनीष मिश्रा ने 304 मीटर की ऊंचाई से सीट इजेक्शन कर विमान को बघा गांव से दूर खेतों की ओर मोड़ा। यह निर्णय सैकड़ों ग्रामीणों की जान बचाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
ब्लैक बॉक्स की जांच
- जांच की प्रक्रिया:
हादसे के तुरंत बाद ब्लैक बॉक्स को कब्जे में लेकर उसकी गहन जांच की गई। - जांच में पायलट मनीष मिश्रा से छह से अधिक बार पूछताछ की जा चुकी है।
- यह क्रॉस चेकिंग अब भी जारी है।
- परिणाम:
जांच के निष्कर्ष आने में 1-2 माह का समय लग सकता है। तब तक पायलट को विमान उड़ाने की अनुमति नहीं है।
विमान और अभ्यास पर प्रभाव
- मिग-29:
यह विमान भारतीय वायुसेना के उड़ान अभ्यास का हिस्सा था। हादसे के बाद इसे अभ्यास से हटा दिया गया। - अन्य विमान:
अभ्यास अन्य विमानों की मदद से पूरा किया गया।
पायलट का अनुभव और योगदान
- मनीष मिश्रा 2,000 घंटे से अधिक समय तक लड़ाकू विमान उड़ा चुके हैं।
- इससे पहले प्रयागराज के एयर शो में भी उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा।
- 20 दिसंबर 2008 को फ्लाइंग अफसर के रूप में करियर शुरू करने वाले मनीष 2021 में विंग कमांडर बने।
ग्रामीणों का अनुभव
- हादसे का दृश्य:
ग्रामीणों ने विमान को जलते हुए जमीन पर गिरते देखा। भगवती देवी और रीना, जो खेत में मौजूद थीं, ने इसे एक भयानक अनुभव बताया। - सुरक्षा:
हादसे में किसी भी ग्रामीण को चोट नहीं आई, जिससे पायलट के निर्णय की सराहना की जा रही है।
निष्कर्ष
यह हादसा वायुसेना के विमानों की तकनीकी स्थिति और पायलटों की कुशलता पर ध्यान देने की आवश्यकता को उजागर करता है। विंग कमांडर मनीष मिश्रा के निर्णय ने इस हादसे को बड़ी त्रासदी बनने से बचा लिया। भारतीय वायुसेना को तकनीकी खामियों को दूर करने और सुरक्षा मानकों को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।
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