वृंदावन, मथुरा: शुक्रवार, 7 जून 2025, शाम।
धर्मनगरी वृंदावन, जहाँ कण-कण में भगवान कृष्ण और राधा का वास माना जाता है, वहाँ आज एक ऐसी घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया, जिसने कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं में दहशत और चिंता का माहौल पैदा कर दिया। अलीगढ़ से भगवान बांके बिहारी के दर्शन करने आए श्रद्धालु अभिषेक अग्रवाल के साथ एक ऐसा हैरतअंगेज वाकया पेश आया, जब एक शातिर और फुर्तीले बंदर ने उनका कीमती पर्स छीन लिया। इस पर्स में सिर्फ नकदी ही नहीं, बल्कि लगभग 20 लाख रुपये मूल्य की ज्वेलरी भी रखी हुई थी। हालांकि, यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती, क्योंकि पुलिस और स्थानीय भक्तों की घंटों की अथक मशक्कत के बाद, यह बहुमूल्य पर्स झाड़ियों से ‘चमत्कारिक’ रूप से बरामद कर लिया गया, जिससे सभी ने राहत की सांस ली।
पलक झपकते ही हुई ‘बंदरिया’ की वारदात: यह घटना उस समय की है जब अभिषेक अग्रवाल, अपनी भक्ति में लीन, बांके बिहारी मंदिर के आसपास के पवित्र वातावरण में घूम रहे थे। वृंदावन में बंदरों का उत्पात कोई नई बात नहीं है; उनकी उपस्थिति यहाँ के दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन आज जिस तरह की घटना हुई, वह अप्रत्याशित और चौंकाने वाली थी। एक फुर्तीला बंदर, जो संभवतः पर्यटकों की हरकतों का आदी था, ने पलक झपकते ही अभिषेक अग्रवाल के हाथ से पर्स छीना और इतनी तेजी से गायब हुआ कि अभिषेक को संभलने का भी मौका नहीं मिला। आँखों के सामने अपने कीमती सामान को यूं गायब होते देख, अभिषेक के पैरों तले जमीन खिसक गई। पर्स में नकदी के अलावा, 20 लाख रुपये की अमूल्य ज्वेलरी रखे होने की बात सामने आते ही मौके पर मौजूद अन्य श्रद्धालुओं और स्थानीय दुकानदारों में भी हड़कंप मच गया। मंदिर के शांत वातावरण में अचानक चीख-पुकार और निराशा फैल गई।
ज्वेलरी की कीमत सुन उड़े सबके होश: शुरू हुई frantic तलाश: अभिषेक अग्रवाल ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। 20 लाख रुपये की ज्वेलरी की बात सुनते ही पुलिस के भी कान खड़े हो गए। यह सिर्फ एक चोरी का मामला नहीं था, बल्कि एक बड़ा आर्थिक नुकसान था जो किसी श्रद्धालु को हुआ था। वृंदावन पुलिस ने बिना समय गंवाए, तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। उन्होंने तुरंत अभिषेक अग्रवाल से विस्तृत जानकारी ली और स्थानीय लोगों, जिनमें मंदिर के सेवक और आसपास के दुकानदार भी शामिल थे, की मदद से बंदर और पर्स की तलाश में एक व्यापक अभियान छेड़ दिया।
वृंदावन की संकरी गलियां, ऊंचे-ऊंचे मकानों की छतें, और घने पेड़ों से भरे रास्ते बंदरों के छिपने के लिए आदर्श स्थान हैं। ऐसे में, पर्स की तलाश करना ‘भूसे के ढेर में सुई खोजने’ जैसा था। पुलिसकर्मी और स्थानीय स्वयंसेवक मिलकर चप्पे-चप्पे को खंगालने लगे। हर मंदिर की मुंडेर, हर पेड़ की शाखा, और हर झाड़ी को बारीकी से देखा जा रहा था। यह एक संयुक्त प्रयास था, जहाँ पुलिस की पेशेवर मुस्तैदी और स्थानीय लोगों की गहरी जानकारी (कि बंदर कहाँ जा सकते हैं और क्या फेंक सकते हैं) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। घंटों की मशक्कत के बाद, जब उम्मीदें थोड़ी कम होने लगी थीं, तभी एक पुलिसकर्मी की नजर पास की एक घनी झाड़ी में छिपे हुए पर्स पर पड़ी।
‘चमत्कारिक’ वापसी और राहत की सांस: पर्स मिलते ही टीम की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे सावधानी से खोला गया, और उसमें अभिषेक अग्रवाल की पूरी 20 लाख रुपये की ज्वेलरी बिल्कुल सुरक्षित पाई गई। नकदी और अन्य जरूरी दस्तावेज भी यथावत थे। पर्स की बरामदगी की खबर मिलते ही अभिषेक अग्रवाल की आँखों में चमक आ गई। उनके चेहरे पर छाई निराशा और चिंता, अचानक एक गहरी राहत और कृतज्ञता में बदल गई।
अभिषेक अग्रवाल ने पुलिस टीम और इस अभियान में मदद करने वाले सभी स्थानीय लोगों का तह-ए-दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि वृंदावन के इस पवित्र धाम में उनके साथ हुआ यह ‘चमत्कार’ उन्हें हमेशा याद रहेगा। यह घटना एक बार फिर वृंदावन में बंदरों के बढ़ते उत्पात को रेखांकित करती है, लेकिन साथ ही यह पुलिस और स्थानीय समुदाय के बीच के मजबूत सहयोग और कर्तव्यनिष्ठा का भी प्रमाण है।
सतर्कता और भक्ति: वृंदावन में जरूरी: वृंदावन में आने वाले श्रद्धालुओं को हमेशा सलाह दी जाती है कि वे अपने कीमती सामान को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतें। बंदर अक्सर चश्मे, मोबाइल फोन, पर्स और खाने-पीने की चीजें छीन लेते हैं। यह घटना एक कड़वी सीख थी, जिसका अंत सुखद रहा। यह दर्शाता है कि भक्ति के इस पावन धाम में भगवान का आशीर्वाद भी तभी मिलता है, जब हम अपनी ओर से सावधानी बरतते हैं। पुलिस प्रशासन ने एक बार फिर श्रद्धालुओं से ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की अपील की है।