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Holika Dahan 2025: भद्रा काल के कारण पूजा के लिए केवल 64 मिनट का शुभ मुहूर्त

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होलिका दहन 2025 का पर्व 13 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार भद्रा काल के कारण पूजा के लिए केवल 64 मिनट का शुभ मुहूर्त उपलब्ध होगा। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाए जाने वाले इस पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। होलिका दहन के दिन लोग मन की बुराइयों का दहन करते हैं और जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने की कामना करते हैं। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, जिसके कारण पूजा का समय सीमित होगा।

होलिका दहन 2025 का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। होलिका दहन रात्रि के समय किया जाता है, लेकिन इस बार भद्रा काल के कारण पूजा का समय सीमित होगा। भद्रा काल 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से रात 11 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसलिए, होलिका दहन की पूजा रात 11 बजकर 26 मिनट से रात 12 बजकर 30 मिनट तक की जा सकती है। यानि पूजा के लिए केवल 1 घंटा 4 मिनट (64 मिनट) का शुभ मुहूर्त उपलब्ध होगा।

भद्रा काल क्यों अशुभ माना जाता है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन है। भद्रा का स्वभाव बचपन से ही चंचल और उपद्रवी था। उसके उपद्रवी स्वभाव के कारण मांगलिक कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होने लगीं। इससे परेशान होकर सूर्य देव ने ब्रह्मा जी से सलाह ली। ब्रह्मा जी ने भद्रा को आदेश दिया कि वह बव, बालव और कौरव आदि करणों के अंत में ही निवास करेगी और केवल उन्हीं समय में मांगलिक कार्यों में विघ्न डालेगी। तभी से भद्रा काल को अशुभ माना जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचा जाता है।

होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन का पर्व हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग होलिका की पूजा करते हैं और रात्रि में होलिका दहन किया जाता है। मान्यता है कि होलिका दहन के साथ लोग अपने मन की बुराइयों का भी दहन करते हैं और जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा पाने की कामना करते हैं। इस पर्व को मनाने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इससे पूजा का फल और प्रभाव बढ़ जाता है।

होलिका दहन 2025 की तैयारी

होलिका दहन के दिन घर की महिलाएं होलिका की पूजा करती हैं और फिर रात्रि में होलिका दहन किया जाता है। इस बार भद्रा काल के कारण पूजा का समय सीमित होगा, इसलिए लोगों को समय का विशेष ध्यान रखना होगा। होलिका दहन के लिए लकड़ी, उपले और अन्य सामग्री पहले से ही तैयार कर लेनी चाहिए, ताकि पूजा के समय कोई परेशानी न हो।

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