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बुमराह की गैरमौजूदगी में भी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का माद्दा रखती है टीम इंडिया

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ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले सवाल था कि क्या टीम इंडिया बुमराह को पूरी सीरीज के लिए संभाल पाएगी लेकिन सिडनी टेस्ट आते-आते सवाल इसमें बदल गया कि अकेले जसप्रीत बुमराह क्या-क्या संभालेंगे?

ऑस्ट्रेलिया जैसे मुश्किल दौरे पर भारतीय टीम का बोझ अपनी पीठ पर उठाया और टीम का बोझ इतना भारी हो गया कि पीठ की चोट के कारण आज बुमराह चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम का हिस्सा नहीं हैं। हालांकि, चैंपियंस ट्रॉफी की टीम घोषित करते समय बुमराह को शामिल जरूर किया गया था लेकिन डॉक्टर्स और मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार बुमराह अभी मैच फिट नहीं हैं, लिहाजा वे चैंपियंस ट्रॉफी की टीम से भी बाहर हो गए। भारत के लिए ये एक झटका है, इससे भारत की गेंदबाजी को चोट जरूर पहुंची है लेकिन भारत बुमराह के बिना भी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का माद्दा रखता है। आइए जानते हैं कैसे…

वनडे में बेहतर निखरती है टीम इंडिया

इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज से पहले भारत ने अपना आखिरी वनडे मुकाबला अगस्त में श्रीलंका के खिलाफ खेला था जहां उसे हार का सामना करना पड़ा था, यहां तक कि सीरीज भी गंवानी पड़ी थी। उस सीरीज हार के प्रमुख कारण थे बल्लेबाजों का खराब प्रदर्शन। इसके बाद से टीम इंडिया का ग्राफ गिरता ही चला गया। टीम की आलोचना हुई, घर में पहली बार टेस्ट सीरीज में सूपड़ा साफ हुआ तो उधर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी से भी हाथ धो बैठे। आलोचकों और फैंस ने कई बड़े खिलाड़ियों को संन्यास तक लेने का फरमान सुना डाला था। बहरहाल इन सबके बीच भारतीय क्रिकेट एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन इस बार अपने बेहतरीन खेल की बदौलत। इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज, चैंपियंस ट्रॉफी की ड्रेस रिहर्सल मानी जा रही थी और भारतीय टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से दिखाया कि टीम चैंपियन बनने के लिए पूरी तैयारी के साथ आई है। भारत ने इंग्लैंड का न सिर्फ सूपड़ा साफ किया बल्कि टीम कॉम्बिनेशन भी फिट करने की कोशिश की, और कुछ हद तक वे इसमें सफल भी रहे।

टीम इंडिया की मजबूती

पिछले कुछ महीनों में लगातार मिल रही हार की बड़ी वजह बल्लेबाजी थी, लाल गेंदें भारतीय बल्लेबाजों को परेशान कर रही थीं। लेकिन गेंद और जर्सी बदलने के साथ ही भारतीय बल्लेबाजों की फॉर्म भी बदल गई और इसका खामियाजा अंग्रेजी गेंदबाजों को भुगतना पड़ा। रोहित शर्मा के शतक, शुभमन और श्रेयस की शानदार पारियां, विराट के अर्धशतक और अक्षर पटेल की महत्वपूर्ण पारियां और हार्दिक, राहुल और जडेजा की मौजूदगी में भारत की बल्लेबाजी बेहद मजबूत नजर आ रही है।

सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और शुभमन गिल की जोड़ी ने भारत को कई मैचों में शानदार शुरुआत दी है। दोनों की जोड़ी ने 2023 से अब तक 27 मैचों में 72.27 की औसत से 1874 रन की साझेदारी की है। टेस्ट मैचों में लाचार दिख रहे रोहित का बल्ला वनडे मैचों में जमकर बोल रहा है ये हम नहीं आंकड़े कह रहे हैं। रोहित की कप्तानी में भारत आक्रामक क्रिकेट खेल रहा है इसका उदाहरण रोहित शर्मा की बल्लेबाजी खुद है। 2022 में कप्तान बनने के बाद रोहित ने 51 की औसत और 119 की शानदार स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। एक तरफ रोहित का आक्रामक अंदाज तो दूसरी तरफ शुभमन गिल की बल्लेबाजी गेंदबाजों को परेशान करती है। गिल भले आक्रामक रुख न अपनाते हों लेकिन गेंदबाजों के जेहन में घुसकर प्रहार करने की उनकी कला उन्हें अलग बनाती है। गिल मौके की नजाकत के हिसाब से अपनी इनिंग चलाते हैं, इसका फायदा दूसरे छोर पर खड़े रोहित शर्मा को भी होता है जिससे वे अपने शॉट्स खुलकर खेल पाते हैं। यही कारण है कि दोनों बल्लेबाज 6.99 के रन रेट से रन बनाते हैं।

विराट कोहली और श्रेयस अय्यर की भूमिका

नंबर तीन पर विराट कोहली किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी वनडे में उन्होंने अर्धशतक जरूर लगाया था, लेकिन फिर भी बाहर जाती गेंदों पर विराट अब भी असहज देखे जाते हैं। विराट ने बैकफुट का इस्तेमाल कम कर दिया है जिसकी वजह से स्क्वायर कट जैसे शॉट्स उनकी पारी में कम दिखते हैं अक्सर गेंदबाज इसका फायदा उठा लेते है। लेकिन इन सबके बाद भी वनडे विराट को रास आता है। बड़े टूर्नामेंट में विराट का बल्ला हमेशा बोला है, 2023 का विश्वकप इसका सबसे ताजा उदाहरण है। नंबर चार की गुत्थी को श्रेयस अय्यर ने अपनी शानदार बल्लेबाजी से सुलझा दिया है। श्रेयस ने वर्ल्ड कप 2023 में तो शानदार प्रदर्शन किया ही था इसके साथ ही उन्होंने नंबर चार का स्थान पक्का कर लिया है। श्रेयस चार नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 100 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट और 50 की औसत से 1000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए हैं। उनकी शानदार फॉर्म भारत के लिए अच्छे संकेत हैं।

मध्यक्रम की मजबूती

नंबर चार तक भारतीय टीम के पास दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। नंबर पांच पर टीम ने अक्षर पटेल को मौका दिया है। अक्षर पटेल ने न सिर्फ अच्छी बल्लेबाजी की है बल्कि वे टीम को एक गेंदबाजी का विकल्प भी देते हैं। विकेटकीपर के रूप में टीम ने लोकेश राहुल पर भरोसा जताया है। कोच गौतम गंभीर के अनुसार राहुल इस समय भारत के सबसे अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज हैं।

नंबर छह और सात पर हार्दिक पंड्या और रविन्द्र जडेजा के रूप में भारत को ऐसी हरफनमौला जोड़ी मिली है जो अंतिम ओवरों में मैच का रुख पलट सकती है। ऋषभ पंत की जगह लोकेश राहुल पर भरोसा जताने का कारण ये भी हो सकता है कि पंत के बदले टीम प्रबन्धन राहुल को बीच के ओवरों के लिए ज्यादा परिपक्व समझ रही हो, चूंकि भारत के पास हार्दिक पांड्या हैं लिहाजा भारत एक और पिंच हिटर के पास नहीं जाना चाह रहा हो।

गेंदबाजों के बीच लगेगी होड़

जसप्रीत बुमराह के न होने से भारत को एक झटका जरूर लगा है लेकिन इसके बाद भी भारतीय गेंदबाजी दुबई की उन पिचों पर मारक साबित हो सकती है। तेज गेंदबाजी में जहां कमान मोहम्मद शमी, अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा के हाथों में होगी, वहीं स्पिन विभाग कुलदीप यादव, वरुण चक्रवर्ती और वॉशिंगटन सुंदर के बीच बंटा है।

जिस तरह से हर्षित राणा ने इंग्लैंड के खिलाफ गेंदबाजी की है ऐसा लगता है कि वे गंभीर की पहली पसंद होंगे। हर्षित ने बाद के ओवरों में अच्छी गेंदबाजी की है। गेंदबाजी में उनका मिश्रण दुबई की धीमी विकेटों पर कारगर साबित हो सकता है। मोहम्मद शमी इंग्लैंड के खिलाफ हुई वनडे सीरीज में पूरी तरह से लय में नहीं दिखे, वहीं हर्षित राणा ने इंग्लैंड के खिलाफ सभी तीन मुकाबले खेले। टीम मैनेजमेंट ने अर्शदीप सिंह और मोहम्मद शमी को रोटेट किया। अब देखना दिलचस्प होगा कि दुबई की उन विकेटों पर टीम इंडिया हार्दिक पंड्या के अलावा किन दो तेज गेंदबाजों के साथ उतरेगी।

क्या बुमराह की गैरमौजूदगी में शमी के अनुभव का भारत इस्तेमाल करेगा और अर्शदीप या हर्षित में से किसी एक को मौका मिलेगा, ये तो गंभीर और रोहित ही जानते हैं। वहीं स्पिन का कार्यभार जडेजा और अक्षर के अलावा कुलदीप या वरुण में से किसी एक को मिल सकता है। वरुण चक्रवर्ती इस समय शानदार फॉर्म में चल रहे हैं ऐसे में रोहित उन्हें तुरुप के इक्के के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

पिच का मिजाज

भारतीय टीम अपने सभी मुकाबले दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेलेगी, यहां की विकेट अमूमन स्पिन गेंदबाजी की मददगार होती है लिहाजा भारत ने उसी सोच के साथ अपनी साथ पांच स्पिन गेंदबाज जोड़े हैं। यहां की विकेट टर्निंग ट्रैक नहीं बल्कि धीमी होती है जिसका फायदा स्पिन गेंदबाजों या गति में मिश्रण करने वाले तेज गेंदबाजों को होता है। यदि बल्लेबाजी की बात करें तो बल्ले पर गेंद आती है जिससे रन बनाना मुश्किल नहीं होता

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