लखनऊ। राजधानी लखनऊ के बंथरा थाना क्षेत्र स्थित प्रसाद हॉस्पिटल में एक मरीज की मौत के बाद गुरुवार को परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अस्पताल ने पैसों के लालच में मरीज की मृत्यु दो दिन पहले हो जाने के बावजूद उसके शव को वेंटिलेटर पर रखा, उन्हें लगातार गुमराह किया और बाद में भारी भरकम बिल (साढ़े तीन लाख रुपए) थमाकर शव देने से इनकार कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह मामले को शांत कराया और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है।
मारपीट में घायल हुआ था मरीज, दूसरे अस्पताल में कराया गया भर्ती
पुलिस के मुताबिक, मृतक की पहचान सरोजनी नगर के गहरू निवासी गोपाल (35) के रूप में हुई है, जो पिकअप वाहन चालक थे। बीते रविवार रात करीब 12 बजे उनका गांव के ही राकेश, बृजेश आजाद और प्रेम सहित तीन-चार अज्ञात लोगों से उनके विक्रम डाले से तार टूट जाने को लेकर विवाद हो गया था। विवाद बढ़ने पर आरोपियों ने अचानक गोपाल के घर पहुंचकर अभद्रता की और विरोध करने पर गोपाल से बेरहमी से मारपीट की, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिजनों ने घायल गोपाल को पहले लोकबंधु अस्पताल पहुंचाया था, जहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया था। हालांकि, परिजन सोमवार सुबह उन्हें बंथरा स्थित प्रसाद हॉस्पिटल ले आए और बेहतर इलाज के लिए यहीं भर्ती करा दिया।
परिजनों का आरोप- 2 दिन पहले हो गई थी मौत, छिपाया गया

परिजनों के अनुसार, सोमवार शाम को प्रसाद हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद गोपाल की हालत अधिक बिगड़ गई थी, जिसके बाद अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया था। परिजनों का सबसे गंभीर आरोप है कि गोपाल की मृत्यु असल में मंगलवार को ही हो गई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उन्हें इस बात की जानकारी नहीं दी। उनका आरोप है कि अस्पताल ने पैसों के लालच में मृतक के शव को पिछले दो दिनों से वेंटिलेटर पर ही रखा हुआ था और उन्हें लगातार गुमराह कर रहा था। मृतक की पत्नी चांदनी और अन्य परिजनों का यह भी कहना है कि इस दौरान उन्हें मरीज से ठीक से मिलने भी नहीं दिया जा रहा था, जिससे उनका शक और गहरा गया। अस्पताल प्रबंधन ने गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे उन्हें गोपाल की मौत की सूचना दी।
3.50 लाख रुपए का बिल थमाया, शव देने से किया इनकार
परिजनों का आरोप है कि मौत की सूचना देने के साथ ही अस्पताल प्रशासन ने उन्हें लगभग 3.50 लाख रुपए का भारी भरकम बिल थमा दिया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इतनी बड़ी रकम पर आपत्ति जताई और पहले मौत छिपाने का आरोप लगाया, तो अस्पताल प्रबंधन ने बिना रुपए जमा कराए शव देने से साफ इनकार कर दिया। मृतक की पत्नी चांदनी ने रोते हुए बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने उनसे कहा कि जब तक पूरा बिल जमा नहीं होगा, तब तक शव नहीं दिया जाएगा। उनका सबसे बड़ा आरोप यही है कि जो व्यक्ति दो दिन पहले मर चुका था, उसके शव को वेंटिलेटर पर रखकर उसका इलाज दिखाया जा रहा था और उसके एवज में साढ़े तीन लाख रुपए मांगे जा रहे थे। यह सीधे तौर पर अवैध वसूली का मामला है।
सूचना मिलते ही पुलिस पहुंची, मामले को शांत कराया
अस्पताल में मौत की पुष्टि होने और भारी भरकम बिल थमाए जाने के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ने की सूचना मिलते ही बंथरा थाना पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची। पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराने का प्रयास किया और किसी तरह उन्हें नियंत्रित किया। पुलिस ने परिजनों की शिकायत सुनने के बाद शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने अस्पताल प्रशासन से बात कर परिजनों द्वारा 50 हजार रुपए का भुगतान कराया, जिसके बाद मामला फिलहाल शांत हो सका। मृतक गोपाल अपने परिवार में पत्नी चांदनी के अलावा दो बेटी अनन्या (7) और निधि (5) छोड़ गए हैं।
शुरुआती मारपीट के मामले में अब लगेगी हत्या की धारा
गौरतलब है कि मृतक गोपाल के भतीजे दीपक कुमार ने गोपाल पर हमला करने वाले राकेश, बृजेश आजाद और प्रेम सहित अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ पहले ही सरोजनी नगर थाने में गंभीर मारपीट की रिपोर्ट दर्ज करा रखी थी। गोपाल की मृत्यु हो जाने के बाद, सरोजनी नगर पुलिस का कहना है कि अब इस शुरुआती रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) बढ़ा दी जाएगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रही है, जिसमें अस्पताल प्रबंधन पर लगे आरोप भी शामिल हैं।
अस्पताल और पुलिस की प्रारंभिक सफाई
इस पूरे मामले में प्रसाद हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉ. शैलेश यादव का कहना है कि मरीज की मौत गुरुवार को ही हुई है। उन्होंने परिजनों द्वारा दो दिन पहले मौत होने के लगाए जा रहे आरोप को गलत बताया है। वहीं, बंथरा प्रभारी निरीक्षक राणा राजेश सिंह का भी प्रारंभिक तौर पर कहना है कि परिजनों द्वारा मरीज की मौत दो दिन पहले होने का आरोप प्रारंभिक जांच में गलत पाया गया है। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक समय और कारणों का खुलासा हो सकेगा और अस्पताल प्रबंधन पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आ पाएगी।