रंग बरसे मोहब्बत के, हिंदू-मुस्लिम एकता ने रच दिया नया इतिहास
रंगों और उल्लास का पर्व होली, जब धार्मिक सीमाएं लांघकर भाईचारे के रंग में रंगता है, तो समाज को एक नई दिशा मिलती है। कुछ ऐसा ही दृश्य आगरा में हिंदुस्तानी बिरादरी संस्था द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में देखने को मिला, जहां एक मंच पर विभिन्न धर्मों, जातियों और पृष्ठभूमियों से आए लोग एकजुट होकर प्रेम, सौहार्द और एकता का संदेश दे रहे थे।

रंगों के बीच मोहब्बत की मिसाल
होली के रंगों की तरह विविधता से भरे इस आयोजन में जिस बात ने सबका ध्यान खींचा, वह था एकता का रंग। समारोह में न केवल हिंदू समाज के लोग शामिल हुए, बल्कि मुस्लिम, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं और रमज़ान की मुबारकबाद भी दी। यह दृश्य दर्शाता है कि जब धर्म, जाति और संप्रदाय के बंधन टूटते हैं, तो समाज सच्चे मायनों में आगे बढ़ता है।

डॉ. सिराज कुरैशी ने याद दिलाए गणेश शंकर विद्यार्थी के आदर्श
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सिराज कुरैशी ने अपने संबोधन में संस्था की स्थापना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि साझा की। उन्होंने बताया कि यह संस्था 1927 में स्वतंत्रता सेनानी और प्रख्यात पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा स्थापित की गई थी, जिनका उद्देश्य सांप्रदायिकता की दीवारों को तोड़ना और समाज में प्रेम व शांति की स्थापना करना था।
शहीद हुए थे सांप्रदायिक दंगे रोकते समय
डॉ. कुरैशी ने आगे कहा कि 1930 में कानपुर में जब सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, तो गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने प्राणों की आहुति देकर उसे रोकने का प्रयास किया। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया, आज भी हिंदुस्तानी बिरादरी उसी भावना के साथ समाज को जोड़ने में लगी हुई है।
एक अनूठी परंपरा का निर्वहन
हिंदुस्तानी बिरादरी की सबसे खास बात इसकी परंपरा है, जो हर वर्ष एक मिसाल बनकर सामने आती है। संस्था यह सुनिश्चित करती है कि होली मिलन समारोह किसी मुस्लिम सदस्य के घर या मुस्लिम बहुल क्षेत्र में आयोजित हो और ईद मिलन समारोह किसी हिंदू सदस्य के घर या हिंदू बहुल क्षेत्र में। इससे समाज के दोनों वर्गों में आत्मीयता और विश्वास की भावना पैदा होती है।
अगला ईद मिलन समारोह विशाल शर्मा के यहां
डॉ. कुरैशी ने घोषणा की कि इस वर्ष का ईद मिलन समारोह हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार विशाल शर्मा के घर आयोजित किया जाएगा। इस घोषणा पर उपस्थित जनों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।
ताज की नगरी से गंगा-जमुनी तहज़ीब का संदेश
विशाल शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा, “हमारी ये नगरी ताजमहल के लिए ही नहीं, बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए भी जानी जाती है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस परंपरा को और मज़बूत करें और आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश दें कि धर्म केवल इंसान को इंसान से जोड़ने का माध्यम होना चाहिए।”
हर धर्म की आस्था को मिला सम्मान
समारोह में हर धर्म के प्रतीकों और मान्यताओं का सम्मान करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना से की गई। एक ओर ‘रघुपति राघव राजा राम’ की धुन बज रही थी, तो दूसरी ओर ‘लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी’ की पंक्तियाँ सुनाई दे रही थीं। यह दृश्य अपने आप में अनूठा था, जहां एक साथ दो धर्मों की प्रार्थनाएं गूंज रही थीं और उपस्थित लोग श्रद्धा भाव से उसे सुन रहे थे।
सम्मानित हुए समाजसेवी और गणमान्य
इस अवसर पर संस्था की ओर से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। विजय उपाध्याय, समी आग़ाई, राजकुमार नागरथ, समीर कुरैशी, ज़ियाउद्दीन, ग्यास कुरैशी, दीप शर्मा, शरीफ काले और नंदलाल भारती जैसे नामों को स्मृति चिन्ह भेंट कर संस्था ने उनके सामाजिक योगदान को सराहा।
कुशल संचालन और दिल छू लेने वाले भाषण
कार्यक्रम का संचालन राजू सिंह ने अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया। उन्होंने अपने शब्दों से ना केवल मंच और अतिथियों को जोड़े रखा, बल्कि उपस्थित जनों को भी कार्यक्रम के उद्देश्यों से लगातार जोड़ते रहे। उनके संचालन में अपनापन और आत्मीयता झलक रही थी, जिससे वातावरण अत्यंत सौहार्दपूर्ण बना रहा।
बच्चों और युवाओं की भी रही भागीदारी
इस आयोजन में बुज़ुर्गों के साथ-साथ युवा और बच्चों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चों ने होली से जुड़े गीतों पर रंग-बिरंगे परिधानों में नृत्य प्रस्तुत किया। युवाओं ने नुक्कड़ नाटक और कविताओं के माध्यम से सामाजिक एकता और भाईचारे का संदेश दिया। उनकी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
महिलाओं की सक्रिय भागीदारी
महिलाओं की भागीदारी ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। उन्होंने पारंपरिक पकवान तैयार किए, होली के गीतों पर समूहगान प्रस्तुत किया और रंगोली से मंच को सजाया। महिला शक्ति की इस भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि सांप्रदायिक सौहार्द की यह मुहिम सिर्फ पुरुषों की नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है।
रंग और प्रेम के संदेश के साथ सम्पन्न हुआ समारोह
कार्यक्रम के अंत में सभी लोगों ने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। गुलाब जल और इत्र की खुशबू से वातावरण महक उठा। मिठाइयों का आदान-प्रदान और हल्का-फुल्का हास-परिहास इस आयोजन को एक पारिवारिक माहौल में बदल गया, जहां किसी को यह महसूस नहीं हुआ कि वह किसी अलग धर्म, जाति या वर्ग से है।
एक आदर्श स्थापित करता आयोजन
इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में नहीं, बल्कि उस विविधता के बीच एकता के भाव में है। हिंदुस्तानी बिरादरी जैसी संस्थाएं समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और युवाओं को प्रेरित करती हैं कि वे भी इस अभियान से जुड़ें।
आने वाले आयोजनों के लिए बनी उत्सुकता
कार्यक्रम की समाप्ति के बाद लोगों में आगामी ईद मिलन समारोह को लेकर उत्सुकता देखने को मिली। संस्था के सदस्यों ने बताया कि इस तरह के आयोजन भविष्य में और भी भव्य स्तर पर किए जाएंगे, ताकि सामाजिक समरसता और सांप्रदायिक एकता का यह संदेश समाज के हर कोने तक पहुंचे।
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