अलीगढ़ के बादल ने पाकिस्तान में इस्लाम कबूला, नाम बदलकर रखा आदल
अलीगढ़ के बादल बाबू, जो बिना वीजा-पासपोर्ट पाकिस्तान गया था, ने वहां जेल में इस्लाम कबूल कर लिया और अपना नाम बदलकर आदल रख लिया। उसने अपनी प्रेमिका सना के लिए भारत न लौटने की बात भी कही है। बादल को 27 दिसंबर को पाकिस्तान पुलिस ने बिना दस्तावेज सीमा पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 21 फरवरी को चार्जशीट में उसके अवैध प्रवेश की पुष्टि हुई। अब उसकी अगली पेशी 10 मार्च को अदालत में होगी।
प्रेमिका को लिखे पत्र में भारत न लौटने की बात कही
बादल ने अपनी प्रेमिका सना के नाम एक पत्र लिखा है, जिसमें उसने कहा है कि वह भारत नहीं लौटेगा और पाकिस्तान में ही रहेगा। पत्र में उसने लिखा, “सना, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना नहीं रह सकता। मैंने इस्लाम धर्म अपना लिया है और अब मेरा नाम आदल है। मैं भारत नहीं जाऊंगा, पाकिस्तान में ही रहूंगा।”
पाकिस्तान पुलिस ने चार्जशीट में अवैध प्रवेश का जिक्र किया
पाकिस्तान पुलिस ने चार्जशीट में बादल के अवैध तरीके से सीमा पार करने का जिक्र किया है। उसे 27 दिसंबर को पाकिस्तान के मंडी बहाउद्दीन इलाके से गिरफ्तार किया गया था। जब उससे वीजा या दस्तावेज मांगे गए, तो वह कुछ नहीं दिखा सका। तब से वह जेल में है। 28 फरवरी को उसे अदालत में पेश किया गया, जहां उसने अपना नाम आदल बताया और इस्लाम कबूलने की जानकारी दी।
पिता ने बताया बादल का सफर
बादल के पिता कृपाल सिंह ने बताया कि उनका बेटा दिल्ली में सिलाई का काम करता था। करीब एक साल पहले उसकी पाकिस्तान की सना नाम की युवती से फेसबुक के जरिए दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। बादल पिछले साल जून-जुलाई से ही पाकिस्तान जाने का रास्ता तलाश रहा था। 22 अगस्त को वह दिल्ली से गायब हो गया और दीपावली से 15 दिन पहले उसने घर वालों को बताया कि वह काम के सिलसिले में बाहर गया है। 30 अक्टूबर को उसने घर वालों को वीडियो कॉल करके बताया कि वह पाकिस्तान पहुंच गया है।
पिता ने वकील कराई बात
बादल के पिता कृपाल सिंह ने आनलाइन संपर्क करके पाकिस्तान में वकील की मदद से बेटे से बात कराई। वकील ने बताया कि बादल ने इस्लाम कबूल कर लिया है और वह भारत नहीं लौटना चाहता। उसने अपनी प्रेमिका सना के लिए एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उसने भारत न लौटने की बात कही है।
पढ़ाई के दबाव से बच्चों पर पड़ रहा है असर
यह घटना एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करती है कि पढ़ाई के दबाव और अभिभावकों की उम्मीदों का बच्चों पर कितना गहरा असर पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के साथ संवाद बनाए रखना और उनकी भावनाओं को समझना बेहद जरूरी है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों पर पढ़ाई का दबाव न डालें और उनकी रुचियों को समझने की कोशिश करें।