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कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के चार भारतीय आरोपियों को जमानत दी

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कनाडा की सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए चार भारतीय नागरिकों को सबूतों के अभाव में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह फैसला निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगाए जाने के बाद सामने आया, जिसने मामले को नया मोड़ दे दिया है।

मामला क्या है?

हरदीप सिंह निज्जर, जिन्हें खालिस्तानी समर्थक आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा माना जाता था, की हत्या कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में 2023 में हुई थी। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं, क्योंकि भारत और कनाडा के बीच पहले से ही तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों को इस हत्या ने और बढ़ा दिया। निज्जर की हत्या के बाद, कनाडा की एजेंसियों ने इस मामले में चार भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया था। उन पर हत्या की साजिश रचने और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगाए गए थे।

सबूतों की कमी के चलते मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान यह साफ हुआ कि अभियोजन पक्ष के पास आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं थे। अदालत ने पाया कि सबूतों की कमी के कारण निचली अदालत में मामला लंबित पड़ा था। निचली अदालत ने कार्यवाही पर रोक लगाई थी, और अब सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का फैसला किया।

क्या कहा अदालत ने?

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत उपलब्ध हों, ताकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके। इस स्थिति में अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत न्याय के मानकों को पूरा नहीं करते हैं।” अदालत ने यह भी कहा कि जमानत पर रिहा होने के बावजूद आरोपियों को निगरानी में रखा जाएगा और उनके देश छोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा।

कनाडा और भारत के संबंधों पर असर

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने भारत और कनाडा के संबंधों में खटास पैदा की है। निज्जर कनाडा में खालिस्तानी आंदोलन का एक बड़ा चेहरा माने जाते थे, और उनकी हत्या को लेकर कनाडा ने सीधे तौर पर भारत पर सवाल उठाए थे। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “तथ्यों पर आधारित नहीं” बताया था।

भारत और कनाडा के बीच व्यापार, शिक्षा और आप्रवास जैसे कई क्षेत्रों में मजबूत संबंध हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा है। कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए चिंता का विषय रही हैं, जबकि कनाडा ने इसे अपने नागरिकों के “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के अधिकार के तहत देखा है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

कनाडा में निज्जर की हत्या और उसके बाद की जांच को लेकर राजनीतिक हलकों में भी बहस छिड़ गई है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस मामले को राजनयिक विवाद का रूप देकर भारत के साथ संबंधों को और बिगाड़ दिया। वहीं, भारत ने भी कनाडा से खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

विशेषज्ञों की राय

कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव को और बढ़ा सकता है। हालांकि, कुछ का यह भी कहना है कि सबूतों के अभाव में जमानत मिलना न्याय प्रणाली का हिस्सा है, और इसे राजनयिक संबंधों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।

मामले की संवेदनशीलता

निज्जर की हत्या का मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना तक सीमित नहीं है; यह कनाडा और भारत के बीच खालिस्तानी आंदोलन को लेकर लंबे समय से चली आ रही तनातनी का भी प्रतीक है। कनाडा में खालिस्तानी समर्थक गतिविधियां और भारत में इसके खिलाफ सख्त रुख इस मामले को और जटिल बनाते हैं।

भविष्य की संभावनाएं

इस फैसले के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि कनाडा की सरकार और न्याय प्रणाली इस मामले को कैसे आगे बढ़ाती है। दूसरी ओर, भारत भी इस घटना पर अपनी नजर बनाए रखेगा, खासकर जब यह मामला खालिस्तानी समर्थक आंदोलन से जुड़ा हुआ है।

यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्याय के मानकों को लेकर बहस को भी जन्म दे सकता है। हालांकि, यह तय है कि निज्जर हत्याकांड का यह अध्याय दोनों देशों के रिश्तों को और पेचीदा बना सकता है।

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