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आध्यात्मिक यात्रा: ममता कुलकर्णी ने कुंभ में अपनाई संन्यास दीक्षा

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तारीख: 24 जनवरी, 2025

ममता कुलकर्णी, एक समय की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री, ने आध्यात्मिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने का निर्णय लिया। यह महत्वपूर्ण घटना गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर हुई, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान किया।

बॉलीवुड से आध्यात्मिकता की ओर

ममता कुलकर्णी का बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया से संत बनने तक का सफर वाकई अद्भुत है। 1990 के दशक में, उन्होंने “करण अर्जुन” और “बाज़ी” जैसी अनेक हिट फिल्मों में अभिनय कर लाखों दिलों को जीता। हालांकि, 2000 के दशक के आरंभ में, उन्होंने फिल्म उद्योग को अलविदा कहकर विदेश चले जाने का निर्णय लिया। बॉलीवुड में उनकी आखिरी फिल्म 2002 में “कभी तुम कभी हम” थी।

आध्यात्मिक जीवन को अपनाना

हाल के वर्षों में, ममता कुलकर्णी ने आध्यात्मिक मार्ग को अपनाते हुए किन्नर अखाड़ा की शिक्षाओं और प्रथाओं को समर्पित किया है। यह समुदाय अपनी समावेशिता और स्वीकार्यता के लिए जाना जाता है, और इसने ममता को अपनी आध्यात्मिक प्रवृत्तियों की खोज करने और समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के साथ जुड़ने का मंच प्रदान किया। महामंडलेश्वर के रूप में उनकी दीक्षा उनके आध्यात्मिक सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो उनके नए जीवन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया

ममता कुलकर्णी की दीक्षा की खबर का मिश्रित प्रतिक्रियाओं के साथ स्वागत किया गया है। जहां कुछ लोग उनके आध्यात्मिक सफर से प्रेरित हैं, वहीं अन्य लोग इस अचानक बदलाव से हैरान हैं। हालांकि, उनके इस निर्णय ने उन्हें शांति और संतोष प्रदान किया है, जो उनके नए मार्ग के प्रति उनकी समर्पण को प्रदर्शित करता है।

ममता कुलकर्णी का यह परिवर्तन इस बात का अद्भुत उदाहरण है कि कोई व्यक्ति आध्यात्मिकता को अपनाकर अपने जीवन में गहरी मीनिंग पा सकता है। बॉलीवुड की चमक-दमक से महाकुंभ में आध्यात्मिक संन्यास तक का उनका सफर आत्म-खोज और आंतरिक शांति की खोज की कहानी है।

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