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67 करोड़ से अधिक लोगों की मौजूदगी पर सवाल

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कुंभ में इस बार 67 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने का दावा किया गया है। हर कुंभ में लाखों-करोड़ों लोग जुटते हैं, लेकिन इस बार यह संख्या पहले के मुकाबले कहीं अधिक बताई जा रही है। हालाँकि, इतनी विशाल संख्या को लेकर संदेह भी जताया जा रहा है।

67 करोड़ लोग कैसे गिने गए?

लोग जानना चाहते हैं कि सरकार ने यह संख्या किस आधार पर तय की? लोग किस तरह आए—रेल, बस, कार, ट्रैक्टर या पैदल? अगर सरकार 67 करोड़ लोगों को गिन सकती है, तो साधनों की संख्या भी बतानी चाहिए।

2021 में भारत में जनगणना होनी थी, जो अब तक रुकी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर 67 करोड़ लोगों की गिनती इतनी सटीक हो सकती है, तो देश की जनगणना क्यों नहीं हो पा रही?

रेलवे और परिवहन का अनुमान

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, कुंभ के दौरान 16,000 ट्रेनें चलाई गईं, जिनसे 4-5 करोड़ लोग आए। अगर यह सही है, तो बाकी 62 करोड़ लोग कैसे पहुंचे? परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को टोल नाकों की गणना कर यह बताना चाहिए कि कितनी गाड़ियाँ कुंभ में गईं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 11-12 फरवरी के दौरान प्रयागराज में 12 लाख कारें पहुंचीं। भारत में केवल 8% लोगों के पास कारें हैं, तो शेष लोग किन साधनों से आए? एक रिपोर्ट में बसों की बुकिंग में 300% वृद्धि का दावा किया गया, लेकिन कुल कितनी बसें चलाई गईं, यह स्पष्ट नहीं है।

एआई कैमरों से गिनती?

न्यूज़ रिपोर्टों के अनुसार, कुंभ में 1800 एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कैमरे लगाए गए, जो भीड़ का अनुमान लगाते हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कैमरे इतनी सटीक गणना कर सकते हैं? क्या एक ही व्यक्ति कई बार गिना गया?

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने तीन स्तरों पर गणना की—मेले में मौजूद लोग, चलने वाले लोग और स्नान करने वाले लोग। आईपीएस अमित कुमार के अनुसार, जो व्यक्ति दोबारा मेले में आता है, उसे फिर से गिना जाता है। ऐसे में क्या कुल संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई?

जनगणना और कुंभ की तुलना

2011 की जनगणना में 21 लाख कर्मियों ने मिलकर 126 करोड़ लोगों को गिना, जिसकी तैयारी महीनों चली थी। ऐसे में, कुंभ में मात्र 45 दिनों में 67 करोड़ लोगों की गिनती कैसे हुई?

सरकार को पारदर्शिता बरतते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए कि इतनी विशाल संख्या की गणना कैसे हुई। क्या इस फॉर्मूले से राज्य की जनगणना भी संभव है?

प्रधानमंत्री मोदी ने कुंभ को प्रबंधन और नीति-निर्माण के लिए अध्ययन का विषय बताया है। लेकिन जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिलता, तब तक यह रहस्य बना रहेगा कि 67 करोड़ लोगों की गणना कैसे की गई?

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