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ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय वायुसेना की रणनीतिक सफलता और भविष्य की दिशा

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भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से संवेदनशील रहे हैं, विशेषकर जब आतंकवाद और सीमाई संघर्षों की बात आती है। हाल ही में भारतीय वायुसेना (IAF) ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देकर यह स्पष्ट संकेत दिया कि देश की सुरक्षा प्राथमिकता है और आतंकवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। इस ऑपरेशन के परिणामस्वरूप सीमा पर तनाव बढ़ गया, लेकिन दोनों देश राजनयिक वार्ताओं के माध्यम से युद्धविराम पर सहमत हो गए।

ऑपरेशन सिंदूर: उद्देश्य और प्रारंभिक कदम

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए शुरू किया। इस ऑपरेशन का मकसद स्पष्ट था—भारत में हुए हालिया आतंकी हमलों का सटीक जवाब देना और भविष्य में होने वाले किसी भी हमले की संभावना को कम करना। वायुसेना ने इस ऑपरेशन को सावधानीपूर्वक और रणनीतिक रूप से अंजाम दिया।

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सरकार ने एक उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में यह तय किया गया कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को स्पष्ट संदेश देना आवश्यक है। परिणामस्वरूप, ऑपरेशन सिंदूर की रूपरेखा बनाई गई और 7 मई को इसे अंजाम दिया गया।

भारतीय वायुसेना की जबरदस्त कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-आधिकृत कश्मीर (PoK) के 9 प्रमुख आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज़्बुल मुजाहिदीन के ठिकाने शामिल थे। भारतीय वायुसेना के विमानों ने उन्नत मिसाइल प्रणाली और गाइडेड हथियारों का इस्तेमाल किया।

भारत ने यह स्पष्ट किया कि सभी हमले भारतीय हवाई सीमा के भीतर से किए गए, जिससे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन न हो। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने 48 घंटे तक अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई।

समाजसेवी गीतांजलि भारती की अहम भूमिका

इस संघर्ष के दौरान आगरा की प्रसिद्ध समाजसेवी गीतांजलि भारती ने इन घटनाओं को लेकर चिंता जताई। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि सीमा क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान की जाए

गीतांजलि भारती ने भारतीय पुलिस आयुक्त से मिलने की कोशिश की, ताकि सीमाई क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, उन्हें आयुक्त से मिलने का अवसर नहीं मिला। बावजूद इसके, उन्होंने सरकार और प्रशासन पर लगातार दबाव डाला और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की।

भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव और युद्धविराम की घोषणा

पाकिस्तान द्वारा किए गए जवाबी हमलों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। हालांकि, राजनयिक हस्तक्षेप के बाद दोनों सरकारें तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गईं। अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के दबाव के चलते यह फैसला लिया गया कि दोनों देश आपसी संघर्ष को रोककर वार्ता के माध्यम से समाधान निकालें।

भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने जवाबी कार्रवाई में भारतीय सीमाई इलाकों पर ड्रोन हमले किए, जिन्हें भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया।

क्या युद्धविराम टिकाऊ रहेगा?

युद्धविराम की घोषणा के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह लंबे समय तक कायम रहेगा? इतिहास गवाह रहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम अक्सर अस्थायी रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को समर्थन देना बंद नहीं करता, तो संघर्ष फिर से भड़क सकता है।

भारतीय सेना और वायुसेना सतर्क हैं और उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है, तो भारत फिर से जवाबी कार्रवाई करेगा।

आगे की राह

ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। यह सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक संदेश था।

सामाजिक कार्यकर्ताओं, विशेषकर गीतांजलि भारती, ने इस संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा की आवाज़ उठाकर प्रशासन को सक्रिय करने की कोशिश की है। उनका मानना है कि जब तक सीमाई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पर्याप्त सुरक्षा और सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब तक ऐसे संघर्षों से पूरी तरह छुटकारा नहीं पाया जा सकता।

अब सवाल यही है कि क्या भारत और पाकिस्तान वास्तविक शांति की दिशा में बढ़ेंगे या यह युद्धविराम केवल अस्थायी साबित होगा।

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