आंदोलन के कारण शहर में ट्रैफिक व्यवस्था में खलल
किसान 15 साल पहले अधिग्रहीत की गई अपनी जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं
आगरा। एत्मादपुर तहसील के कई गांवों के किसान अपनी अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा न मिलने और भूमि वापस किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने इनर रिंग रोड की दोनों लेन पर कब्जा कर लिया था, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। पांच घंटे बाद डीएम से वार्ता के बाद किसानों ने एक लेन को यातायात के लिए खोल दिया।
प्रशासन की चुनौती
किसानों के आंदोलन ने प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी। शाम तक इनर रिंग रोड की दोनों लेन पर किसानों का कब्जा था, जिससे ट्रैफिक को शहर के अन्य मार्गों पर मोड़ना पड़ा और यमुना किनारे समेत कई रास्तों पर जाम लग गया। 31 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर से आगरा की ओर बड़ी संख्या में गाड़ियां आने वाली थीं, और इस मार्ग पर जाम की स्थिति से प्रशासन चिंतित था।
किसानों की मांग
किसान 15 साल पहले अधिग्रहीत की गई अपनी जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं। जमीन का अधिग्रहण आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) ने किया था, लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। एडीए अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने भूमि वापस करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
डीएम से वार्ता
किसानों की मांग को लेकर डीएम ने उनसे बातचीत की। लगभग 50 मिनट तक चली वार्ता के बाद किसान एक लेन को यातायात के लिए खोलने को राजी हो गए। डीएम ने किसानों को आश्वासन दिया कि वे मुख्यमंत्री से वार्ता करने का प्रयास करेंगे।
ठंड में आंदोलन
किसान और उनके परिवार के सदस्य कड़कड़ाती ठंड में आंदोलन में शामिल हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जो खुली हवा में रात बिताने को मजबूर हैं। किसानों की इस लम्बी लड़ाई ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है, क्योंकि सड़क के बंद होने से जाम की स्थिति बन रही थी।
प्रशासन का संकट
इनर रिंग रोड का दस किलोमीटर का हिस्सा यमुना एक्सप्रेस वे और आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे को जोड़ता है, जो आगरा, लखनऊ और दिल्ली जाने वाले वाहनों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। अगर किसानों का आंदोलन जारी रहता है, तो प्रशासन को जाम की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
यह आंदोलन न केवल किसानों के लिए बल्कि प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है, जो समाधान की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।