रेलवे मालगोदाम आवासीय परियोजना पर कानूनी अड़चनें
24 जनवरी 2025
आगरा: गधापाड़ा, बेलनगंज स्थित रेलवे मालगोदाम की लगभग नौ हेक्टेयर जमीन पर आवासीय प्रोजेक्ट लाने की उत्सुकता गणपति बिल्डर के लिए अब बड़ी मुसीबत बन गई है। इस परियोजना के रास्ते में कई कानूनी रुकावटें आ गई हैं।
– सीईसी की सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट ने मानीं तो रेलवे मालगोदाम का आवासीय प्रोजेक्ट कठिनाइयों में फंसेगा
रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) ने पहले यह जमीन एक अन्य बिल्डर को 99 साल की लीज पर दी थी, जिसे बाद में गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर ने हासिल कर लिया। वैध कब्जा मिलने से पहले ही बिल्डर ने जमीन पर कार्य शुरू कर दिया, जिससे वहां खड़े पेड़ों को नुकसान पहुंचा।
– अवैध प्रवेश और तेजी से की गई कार्रवाई
गणपति बिल्डर ने कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी करते हुए मालगोदाम में प्रवेश किया और वहां खड़े पेड़ों को रातोंरात जेसीबी से नष्ट कर दिया। स्थानीय निवेशकों के साथ बैठकें कीं और मालगोदाम के गेट के पास बड़े-बड़े होर्डिंग भी लगाए।
– रेलवे अधिकारियों के साथ मिलीभगत के आरोप
स्थानीय रेलवे अधिकारियों ने बिल्डर की अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद लीं। रेलवे मालगोदाम पर तैनात आरपीएफ के जवान हट गए और पेड़ों को तहस-नहस किया जाता रहा, लेकिन अधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह संभव नहीं लगता कि रेलवे अधिकारियों को इस घटना की भनक तक नहीं लगी हो।
– सीईसी के निर्देशों के बाद कानूनी कार्रवाई
सीईसी की सख्ती के बाद, बिल्डर ने आवासीय प्रोजेक्ट के होर्डिंग्स तो हटा लिए लेकिन परियोजना का प्रचार सूक्ष्म रूप से जारी रखा। रेलवे ने पुलिस में मुकदमा तब दर्ज कराया जब सीईसी की बैठक में जवाब तलब किया गया। सीईसी के निर्देश पर ही मामला दर्ज हुआ।
– सीईसी की सिफारिशें और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
सीईसी ने बिल्डर को पेड़ काटने का दोषी माना और सिफारिश की कि मालगोदाम परिसर में ही 2.3 हेक्टेयर जमीन पर सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जाए। इसके अलावा काटे गए पेड़ों के एवज में किसी दूसरी जगह पर 2300 नए पेड़ लगाने की बात भी कही है और इसका पूरा खर्चा बिल्डर से वसूलने की बात कही गई है।
– आवासीय परियोजना पर प्रभाव
अगर सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी की सिफारिशें मान लीं, तो परियोजना के लिए उपलब्ध जमीन में कमी हो जाएगी, जिससे आवासीय प्रोजेक्ट में कठिनाई आएगी। 2.3 हेक्टेयर जमीन पर सिटी फॉरेस्ट विकसित करने के बाद आवासीय प्रोजेक्ट की भूमि कम पड़ जाएगी।
– आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) की स्थिति
एडीए को निर्देश दिए गए हैं कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले का निपटारा नहीं कर देता, तब तक मालगोदाम परिसर में कोई भी निर्माण कार्य न होने दिया जाए। इस निर्देश के बाद, एडीए गणपति बिल्डर द्वारा प्रस्तुत नक्शे को तब तक हाथ नहीं लगाएगा जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता।