आगरा, 15 मार्च 2025 – आज आगरा में सैकड़ों लोग एकत्रित हुए, उन्होंने महान शिक्षाविद् और मार्गदर्शक, डॉ. एस. सी. चतुर्वेदी जी को अंतिम विदाई दी। डॉ. चतुर्वेदी जी का जन्म 22 अगस्त 1935 को हुआ था और 13 मार्च 2025 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से शिक्षा जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है।
डॉ. चतुर्वेदी जी ने मुरादाबाद से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद अपने जीवन को ज्ञान और शिक्षा के प्रति समर्पित कर दिया। उन्होंने हिंदू कॉलेज में अध्यापन से अपने करियर की शुरुआत की और फिर सर्वे ऑफ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़े। बाद में, उन्होंने जेएलएन कॉलेज, बांदा में गणित विभाग के प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं दीं और 1996 में वहां से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद भी, उन्होंने आगरा के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में गणित विभाग का नेतृत्व कर युवाओं को प्रेरित किया।

डॉ. चतुर्वेदी जी का जीवन केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं था। वे सादगी, ईमानदारी और समर्पण के प्रतिमान थे। उन्होंने ‘एंट्स’ व्यावसायिक संस्थान का संचालन भी सक्रिय रूप से किया और अपने अंतिम समय तक सक्रिय रहे। उनकी पत्नी, श्रीमती आशा चतुर्वेदी जी के सहयोग से, उन्होंने अपने परिवार को प्रेम, सम्मान और सहयोग जैसे मूल्यों की सार्थकता की पहचान करायी।
उनके बड़े पुत्र डॉ. संजय चतुर्वेदी और पुत्रवधू डॉ. शेफाली चतुर्वेदी, छोटे पुत्र अभय चतुर्वेदी और पुत्रवधू रश्मि चतुर्वेदी, तथा पुत्री डॉ. संगीता चतुर्वेदी और दामाद डॉ. शिशिर चतुर्वेदी के माध्यम से उनकी शिक्षाएँ और संस्कार आगे बढ़े। उनके प्यारे पौत्र एवं पौत्री संचित, अवनि, अर्चित, अमन एवं दौहित्र शाश्वत चतुर्वेदी के लिए वे न केवल दादाजी अथवा नानाजी ही थे, बल्कि जीवन के पहले गुरु भी थे।
डॉ. चतुर्वेदी जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, उनके परिवारजनों और शिष्यों ने कहा कि उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ सदैव हमारे साथ रहेंगी और हमें प्रेरित करती रहेंगी। हम सभी की ओर से, उनकी आत्मा की शांति और परिवारजनों के धैर्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
डॉ. चतुर्वेदी जी का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य है और उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। उनके द्वारा स्थापित मूल्यों और सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए, हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।