कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति समारोह में गांधीवादी विचारों का हुआ सम्मान
आगरा: कृष्ण चंद्र सहाय की पंचम पुण्य तिथि पर आयोजित कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति समारोह में गांधीवादी विचारों का समर्पण और उनके अविस्मरणीय योगदान को सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम यूथ होस्टल संजय प्लेस पर आयोजित हुआ, जिसमें प्रमुख अतिथि पद्मश्री डॉ. आर. एस. पारिख ने अपनी अध्यक्षता दी। इस समारोह में गांधीवादी विचारकों, समाजसेवियों, साहित्यकारों, रंगकर्मियों, कवियों और शायरों ने भाग लिया।
समारोह में सबसे पहले श्री रामजी लाल सुमन, वरिष्ठ समाजवादी नेता और सांसद, ने कृष्ण चंद्र सहाय के जीवन और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “सहाय जी का जीवन संघर्षों से भरा था, और उनका योगदान समाजवाद और गांधीवादी विचारधारा को जीवित रखने में अहम रहा। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलते हुए देश की व्यवस्था को सुधारने के लिए हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने न केवल सत्याग्रह किए, बल्कि चंबल घाटी में अहिंसा का प्रयोग भी किया।”
समारोह में वरिष्ठ गांधीवादी श्री दीना नाथ तिवारी को ‘कृष्ण चंद्र सहाय स्मृति सम्मान’ से नवाजा गया। तिवारी जी को यह सम्मान उनके गांधीवादी विचारों और समाज में उनके योगदान के लिए दिया गया। तिवारी जी ने अपने संबोधन में कहा, “सहाय जी का जीवन हमें सिखाता है कि किसी भी चुनौती का सामना कैसे किया जाता है। उनका योगदान न केवल गोवा मुक्ति आंदोलन में था, बल्कि वे हमेशा गांधी के सिद्धांतों को व्यवहार में लाने के लिए प्रेरित करते रहे।”
इसके बाद, तोहिदा और तनजिला को ‘लोकतंत्र रक्षक सम्मान’ से सम्मानित किया गया। दोनों महिला मतदाता मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में पुलिस बल के साये में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए लोकतंत्र के प्रति अपनी जागरूकता और साहस का परिचय दिया था। उनके इस साहसिक कदम ने सभी को लोकतंत्र की ताकत का अहसास कराया।
समारोह में शशि शिरोमणि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “सहाय जी के जीवन को समझना आसान नहीं है, क्योंकि उनका हर कदम एक नई प्रेरणा देता है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि हम हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलें।”
डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने सहाय जी की पारदर्शिता को सराहा और कहा, “सहाय जी हमेशा अपनी वित्तीय जानकारी को सार्वजनिक करते थे, जो उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता का प्रमाण है।”
समारोह में डॉ. आर. एस. पारिख ने कहा, “सहाय जी का जीवन न केवल गांधी विचारों का पालन करने का एक उदाहरण था, बल्कि वे हमेशा समाज में सुधार के लिए काम करते रहे। उनका योगदान समाजवादी विचारधारा और गांधीवादी सिद्धांतों के संवर्धन में अनमोल था।”
डॉ.अशोक शिरोमणि कहा कि उनकी वेषभूषा पहनावा अपने ही ढंग का था. सफेद खादी का बनियान रूपी जेब लगा छोटा कुर्ता, सफेद खादी की लुगी, कंधे पे खादी का थैला, साइकिल की सवारी सहाय जी की पहचान बन गई .
डॉ. कुसुम चतुर्वेदी ने कहा सहाय जी की पारदर्शिता ऐसी की हर साल अपना खाता सार्वजनिक करते. सभी का आभार व्यक्त करते, शुक्रिया अदा करते, सबकी खेर खबर लेते.
डॉ. मधु भरद्वाज ने कहा किसी के कष्ट को दूर करने में अपनी ताकत से बाहर जाकर भी हर तरह की मदद करने को सदैव तर्त्पर रहते. उनकी नजर में कोई दूसरा था ही नहीं. सभी अपने थे. उन्होंने गाँधी को पहले आत्मसात किया फ़िर समाज को संदेश दिया.
अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. आर.एस. पारिख ने कहा
सहाय जी जीवन भर कंचन मुक्ति, बंधन मुक्ति, गोवा मुक्ति, हिंसा मुक्त समाज, साद्गी, समता, सद्भावना, सौहार्द, सांझापन, स्वलम्बन, अन्तिम व्यक्ति की मुक्ति को लेकर जीवन भर सक्रिय रहे.
महिला शांति सेना की प्रमुख वत्सला प्रभाकर ने कहा की सहाय जी बताते थे कि गांधी जी कहा करते थे कि लापरवाही अज्ञानता से भी ज्यादा घातक है, हानिकारक है.उनके जीवन में लापरवाही का कोई स्थान नहीं था.
सहाय जी की पुत्री मधु सहाय जोशी द्वारा आभार एवं हरीश ‘चिमटी’ द्वारा कार्यक्रम का संयोजन, नियोजन व संचालन किया गया.
कार्यक्रम में उपस्थित जन…
जे एस फौजदार,डॉ अशोक शिरोमणि,बलदेव भटनागर,सपा नेता धर्मेंद्र यादव गुल्लु, सलीम शाह,गौरव यादव, अशफाक,राम नरेश, समाजसेवी वत्सला प्रभाकर ,बासुदेव जैसवाल, डॉ. मधुरीमा शर्मा, नंद लाल भारतीय,आई. डी.श्रीवास्तव, राजीव सक्सेना, भुवनेश श्रोत्रिय,अनिल अरोड़ा संघर्ष, सुनील गोस्वामी,वत्सला प्रभाकर, राजीव अग्रवाल,ममता पचौरी,मदन गर्ग, शिवराज यादव , सैयद मेहमूद उज्जमा, कल्पना शर्मा, जी एस मनराल ,नीलम शर्मा नेहा माथुर , रोहित रावी,महेश नारायण सक्सेना, प्रतिभा स्वरूप, शैलजा, डा.शशि तिवारी, राजीव अग्रवाल , डाक्टर प्रदीप श्रीवास्तव,आदि उपस्थित रहे.
इस आयोजन ने न केवल गांधीवादी विचारों को पुनः जीवित किया, बल्कि कृष्ण चंद्र सहाय के योगदान को एक प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया।
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