आगरा में बोगनविलिया को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयास
बृज खंडेलवाल
ताज नगरी आगरा के उत्साही वृक्ष प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने अगले कुछ वर्षों में शहर को भारत की “बोगनविलिया राजधानी” बनाने का संकल्प लिया है। वर्तमान में, आगरा के एमजी रोड, यमुना किनारा रोड, और मुगल स्मारकों के आस-पास बोगनविलिया की आकर्षक और रंगीन लताएँ वातावरण को सुरम्य बनाती हैं। अब इसे और व्यापक रूप से फैलाने के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं।
बोगनविलिया की विशेषता और अनुकूलता
डॉ. मुकुल पंड्या, जो बोगनविलिया के प्रचार-प्रसार में अग्रणी हैं, ने बताया कि यह पौधा आगरा की जलवायु के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। इसकी लताएँ मजबूत होती हैं, कम पानी और न्यूनतम देखभाल में पनप जाती हैं। यही वजह है कि यह स्थानीय उद्यानों और सीमाओं पर सजावट के लिए आदर्श विकल्प बनता जा रहा है।
डॉ. पंड्या ने इस पौधे की ऐतिहासिक यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि बोगनविलिया दक्षिण अमेरिका का मूल निवासी है। यह पौधा एक फ्रांसीसी साहसी द्वारा 18वीं शताब्दी में भारत लाया गया था। इसकी लगभग 300 किस्में दुनिया भर में मौजूद हैं। इनमें से 100 से अधिक किस्में आगरा में उगाई जा चुकी हैं, जिनमें से कुछ किस्मों को पहली बार बोगनविलिया प्रदर्शनी 2024 में प्रस्तुत किया गया है।
बोगनविलिया प्रदर्शनी 2024
आगरा के बागवानी क्लब द्वारा आयोजित यह प्रदर्शनी भारतीय बोगनविलिया सोसायटी के सहयोग से आयोजित की गई। इस प्रदर्शनी में बोगनविलिया की लताएँ, झाड़ियाँ, बोनसाई, और छोटे पेड़ों की 100 से अधिक किस्में प्रदर्शित की गईं। उद्घाटन के दौरान, पर्यावरणविद् बृज खंडेलवाल, डॉ. शरद गुप्ता, और प्रो. वेद प्रकाश त्रिपाठी मुख्य अतिथि रहे।
प्रदर्शनी में वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ, जैसे डॉ. एस. एस. सिंधु (आईएआरआई, नई दिल्ली) और डॉ. आर. के. रॉय (एनबीआरआई, लखनऊ) ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रतियोगिता के विजेताओं में कंचन आहूजा को प्रथम, लवली कथूरिया को द्वितीय और डेजी गुजराल को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
बोगनविलिया: पर्यावरणीय योगदान और बंदरों का समाधान
आगरा की जलवायु शुष्क है, और यह पौधा कम पानी में भी फूलों से लदे रहने की क्षमता रखता है। अंकुश दवे, जो वनस्पतियों और तितलियों के संरक्षण के विशेषज्ञ हैं, ने कहा कि बोगनविलिया बंदरों के आतंक से भी सुरक्षित है। इसके कांटे बंदरों को पौधों को नुकसान पहुंचाने से रोकते हैं।
आगरा में हरित आवरण बढ़ाने की आवश्यकता
आगरा जिले में हरियाली का स्तर राष्ट्रीय औसत 33% के मुकाबले मात्र 7% है। हालांकि, ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन में हरियाली को बढ़ावा देने के प्रयास लंबे समय से चल रहे हैं। बोगनविलिया को लोकप्रिय बनाकर हरित आवरण को बढ़ाने के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
स्थानीय भागीदारी और सफलता की कहानियाँ
डॉ. मुकुल पंड्या ने साझा किया कि उन्होंने बोगनविलिया की विभिन्न किस्मों को 50 साल पहले इकट्ठा करना शुरू किया। उनके प्रयासों के कारण, आगरा में बोगनविलिया का चलन बढ़ गया है। स्थानीय लोग अब सीमाओं और खुले स्थानों पर बोगनविलिया लगा रहे हैं। शहर के कई पार्कों और उद्यानों में भी सैकड़ों बोगनविलिया लगाए गए हैं।
भविष्य की योजनाएँ
- आगरा को “बोगनविलिया राजधानी” के रूप में स्थापित करना।
- एमजी रोड और यमुना किनारा रोड पर अधिक बोगनविलिया लताओं को लगाना।
- स्कूलों, पार्कों, और सामुदायिक केंद्रों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
- बोगनविलिया बोनसाई और सजावटी झाड़ियों की नई किस्में विकसित करना।
आगरा में बोगनविलिया का विस्तार न केवल शहर की सुंदरता को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता में भी योगदान देगा। इस पहल में जनता की सक्रिय भागीदारी और प्रशासन का सहयोग आवश्यक है। बोगनविलिया की लोकप्रियता शहर को एक नई पहचान दिला सकती है और इसे हरित भारत के प्रयासों का प्रतीक बना सकती है।
बृज खंडेलवाल के बारे में
बृज खंडेलवाल आगरा के वरिष्ठ पत्रकार और पर्यावरणविद् हैं। उन्होंने 1972 में भारतीय जनसंचार संस्थान से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और टाइम्स ऑफ इंडिया, यूएनआई और इंडिया टुडे जैसे प्रमुख प्रकाशनों के साथ काम किया। उन्होंने पर्यावरण पर दो किताबें लिखी हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में हज़ारों लेख लिखे हैं। खंडेलवाल यमुना नदी को बचाने में शामिल रहे हैं और रिवर कनेक्ट अभियान के राष्ट्रीय संयोजक हैं। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान में तीस वर्षों तक पत्रकारिता पढ़ाई है। खंडेलवाल नेशनल जियोग्राफ़िक, बीबीसी और सीएनएन की डॉक्यूमेंट्रीज़ में नज़र आ चुके हैं, साथ ही उन्होंने द लास्ट पैडल फ़िल्म में भी काम किया है।