मासिक धर्म जागरूकता अभियान: एस. एन. मेडिकल कॉलेज और आकांक्षा एनजीओ की सराहनीय पहल
महिलाओं के स्वास्थ्य और उनकी मूलभूत जरूरतों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एस. एन. मेडिकल कॉलेज के ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र, सइयाँ और बिचपुरी, ने आकांक्षा एनजीओ के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण अभियान का आयोजन किया। विकास खंड बिचपुरी कार्यालय में आयोजित यह मासिक धर्म जागरूकता अभियान न केवल महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को सामने लाने का प्रयास था, बल्कि इससे जुड़े मिथकों और भ्रांतियों को समाप्त करने का भी एक सफल प्रयास साबित हुआ।
अभियान का उद्देश्य
मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं और मिथक महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में इस विषय पर चर्चा की कमी और जानकारी का अभाव महिलाओं को सही समय पर मदद प्राप्त करने से रोकता है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ सशक्त बनाना, मासिक धर्म के दौरान अपनाई जाने वाली स्वच्छता के तरीकों की जानकारी देना और पौष्टिक आहार के महत्व को रेखांकित करना था।
सहभागिता और भागीदारी
इस कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कर्मचारियों और समुदाय की महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस सहभागिता ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं, जब सही मंच और अवसर प्रदान किए जाते हैं, तो स्वास्थ्य और जागरूकता से जुड़े विषयों पर खुलकर बातचीत करने के लिए तैयार होती हैं।
एस. एन. मेडिकल कॉलेज की भूमिका
मेडिकल कॉलेज की ओर से इस कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. रेणु अग्रवाल ने किया, जो कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की प्रमुख हैं। उनके निर्देशन में डॉ. पुरनूर कौर, डॉ. प्रतिभा सिंह और मेडिकल इंटर्न्स की एक टीम ने अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने नुक्कड़ नाटक, पोस्टर्स और अन्य शैक्षणिक माध्यमों का उपयोग करते हुए महिलाओं को माहवारी से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी दी।
नुक्कड़ नाटक: शिक्षा का प्रभावी माध्यम
नुक्कड़ नाटक के जरिए महिलाओं को सरल और रोचक तरीके से यह समझाया गया कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसमें स्वच्छता बनाए रखने, सही उत्पादों के उपयोग, और इन दिनों में खास ध्यान रखने की बात पर जोर दिया गया। यह माध्यम इसलिए भी प्रभावी रहा क्योंकि महिलाएं इसे आसानी से समझ सकीं और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में मदद मिली।
पोस्टर्स और चित्रण
पोस्टर्स के जरिए मासिक धर्म के दौरान अपनाए जाने वाले स्वच्छता उपायों को प्रदर्शित किया गया। इसमें नैपकिन के सही उपयोग, उसे समय-समय पर बदलने और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों से इसके निपटान की जानकारी दी गई।
पौष्टिक आहार का महत्व
महिलाओं को यह समझाया गया कि मासिक धर्म के दौरान उनके शरीर को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। उन्हें प्रोटीन, आयरन, और विटामिन युक्त आहार के महत्व के बारे में बताया गया। इसके साथ ही सस्ती और स्थानीय रूप से उपलब्ध पोषण सामग्री को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के सुझाव भी दिए गए।
आकांक्षा एनजीओ की पहल
आकांक्षा समिति की सचिव सुभाषिणी पालीवाल, रेणुका डैंग और सरोज प्रशांत ने महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के व्यावहारिक पहलुओं के बारे में शिक्षित किया। उन्होंने नैपकिन के उपयोग और उसके उचित निपटान की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। इसके अलावा, महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए सही खानपान और साफ-सफाई की आदतें विकसित करने की प्रेरणा दी।
नैपकिन वितरण
इस अभियान का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा था लड़मड़ा स्थित सैनिटरी नैपकिन निर्माण इकाई द्वारा निर्मित नैपकिन के 200 पैकेट्स का निशुल्क वितरण। यह पहल महिलाओं को स्वच्छता उत्पादों तक पहुंच प्रदान करने और उन्हें इन्हें नियमित रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास था।
प्रश्नोत्तर सत्र: महिलाओं की शंकाओं का समाधान
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने अपने सवाल खुलकर रखे। प्रश्नोत्तर सत्र के माध्यम से उनकी शंकाओं का समाधान किया गया। उदाहरण के तौर पर, कई महिलाओं ने पूछा कि मासिक धर्म के दौरान दर्द से निपटने के लिए क्या किया जा सकता है। डॉक्टरों ने उन्हें व्यायाम, सही आहार और चिकित्सा सहायता की जानकारी दी।
परियोजना निदेशक का संदेश
परियोजना निदेशक श्रीमती रेणु कुमार ने इस मौके पर महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने और सही साधन अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं को बताया कि स्वस्थ रहना न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के लिए, बल्कि उनके परिवार और समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सामुदायिक भागीदारी की ताकत
यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि सामुदायिक भागीदारी से जटिल समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इस तरह के कार्यक्रम महिलाओं को सशक्त बनाते हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदार बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
दीर्घकालिक प्रभाव
इस तरह के अभियानों का प्रभाव केवल एक दिन तक सीमित नहीं रहता। यह महिलाओं को दीर्घकालिक रूप से अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाता है। मासिक धर्म जैसे संवेदनशील विषय पर खुलकर चर्चा करना और इसके लिए वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लेना समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकेत है।
निष्कर्ष
एस. एन. मेडिकल कॉलेज और आकांक्षा एनजीओ के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस अभियान ने महिलाओं को न केवल मासिक धर्म से जुड़े तथ्यों और सावधानियों के बारे में शिक्षित किया, बल्कि उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी दी। इस प्रकार के कार्यक्रम महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होते हैं।