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मनमोहन सिंह और भारतीय मिडिल क्लास: उम्मीदों और असफलताओं का सफर

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भारत के मध्यवर्गीय नायक: मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भारतीय मिडिल क्लास के सच्चे प्रतिनिधि रहे। उनका जीवन और कार्य भारतीय मध्यवर्गीय सपनों की सच्ची तस्वीर पेश करते हैं। एक शिक्षाविद् और सुधारक के रूप में उनकी उपलब्धियां उन्हें एक असाधारण नेता के रूप में स्थापित करती हैं। 1991 में उनके नेतृत्व में हुए आर्थिक सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। वैश्वीकरण के माध्यम से भारत को विश्व मंच पर स्थापित करना उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

मनमोहन सिंह ने भारतीय मिडिल क्लास के लिए खुले अवसरों का मार्ग प्रशस्त किया। उनके सुधारवादी दृष्टिकोण ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्रों में नई संभावनाएं पैदा कीं। उनकी विनम्रता और विशेषज्ञता ने उन्हें आम जनता और खासकर शिक्षित वर्ग का प्रिय बना दिया।

सुधारों के जरिए मिडिल क्लास को उभारा
मनमोहन सिंह के कार्यकाल में किए गए सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को लाइसेंस राज से मुक्त किया। उनकी नीतियों के कारण उद्योगों को बढ़ावा मिला और मध्यम वर्ग को नई आर्थिक ऊंचाइयों तक पहुंचने का मौका मिला। आधार, मनरेगा, और भोजन का अधिकार जैसे कार्यक्रम उनकी सोच का हिस्सा थे, जिनका उद्देश्य देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था।

नरेंद्र मोदी: एक विपरीत दृष्टिकोण
वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारतीय मिडिल क्लास के लिए एक अलग तस्वीर प्रस्तुत करता है। मोदी ने अपनी नीतियों में गरीब वर्ग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन मिडिल क्लास की आकांक्षाओं और जरूरतों को प्राथमिकता नहीं दी। नोटबंदी, GST और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों ने मध्यम वर्ग पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

मोदी सरकार के दौरान हिंदुत्व राजनीति और केंद्रीकरण पर अधिक जोर दिया गया, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों में ध्रुवीकरण बढ़ा। यह दृष्टिकोण मनमोहन सिंह के समावेशी और प्रगतिशील दृष्टिकोण से काफी भिन्न है।

मध्यवर्गीय आकांक्षाओं का जवाब
मनमोहन सिंह ने भारतीय मिडिल क्लास को आर्थिक समृद्धि और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का सपना दिखाया। इसके विपरीत, मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में मध्यम वर्ग को अपेक्षित लाभ देने में विफलता पाई है। भारतीय युवाओं की बेरोजगारी और विदेश पलायन की बढ़ती संख्या इस वर्ग की निराशा को दर्शाती है।

संपूर्णता में दोनों नेताओं का आकलन
मनमोहन सिंह के नेतृत्व ने आर्थिक विकास और उदार सुधारों के जरिए भारत को एक नई पहचान दी। वहीं, मोदी सरकार ने मजबूत नेतृत्व के वादे के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।

निष्कर्ष:
भारत के मध्यम वर्ग के लिए मनमोहन सिंह ने अवसर और आशा का एक नया द्वार खोला। हालांकि, उनके दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया। दूसरी ओर, मोदी सरकार ने अपनी विचारधारा के माध्यम से लोगों का ध्यान खींचा, लेकिन मिडिल क्लास के आर्थिक विकास की उम्मीदों पर खरा उतरने में असफल रही।

मध्यवर्गीय आकांक्षाओं का वास्तविक उत्तर देने वाले नायक के रूप में मनमोहन सिंह का स्थान अभी भी प्रासंगिक है। उनके सुधारवादी दृष्टिकोण और शांति के साथ किए गए नेतृत्व ने भारतीय मिडिल क्लास को उम्मीद और आत्मविश्वास से भर दिया।

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