प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल में 17 दिसंबर 2024 को कक्षा 4 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के लिए ई-वेस्ट जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों में ई-वेस्ट के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करना था।
विशेष अतिथि एवं उपस्थित गणमान्य:
- मुख्य वक्ता: महक बंसल (ई-वेस्ट विशेषज्ञ)
- विद्यालय निदेशक: डॉ. सुशील गुप्ता
- प्राचार्य: अरविंद श्रीवास्तव
- शिक्षकगण
कार्यशाला की मुख्य बातें:
महक बंसल ने ई-वेस्ट के बढ़ते खतरे और उसके पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ई-कचरे में सीसा, जस्ता, निकिल, अग्निरोधी, बेरियम और क्रोमियम जैसे हानिकारक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
ई-वेस्ट से जुड़े तथ्यों पर चर्चा:
- ई-कचरे को घर में रखना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
- ई-कचरे को लैंडफिल में फेंकने से ज़हरीले पदार्थ भूजल में रिसकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
- भारत ई-कचरे का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
- ई-कचरा मॉनिटर 2024 के अनुसार, 2030 तक ई-कचरे की मात्रा 74 बिलियन किलोग्राम तक पहुंचने की संभावना है।
पुनर्चक्रण और समाधान:
महक बंसल ने छात्रों को ई-कचरे के पुनर्चक्रण और CPCB द्वारा बनाए गए ईपीआर नियमों की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को सिखाया कि कैसे वे अपने दैनिक जीवन में इलेक्ट्रॉनिक खपत को नियंत्रित कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
छात्रों की भागीदारी:
इंटरैक्टिव गेम्स और उपयोगी चर्चा के माध्यम से छात्रों ने ई-वेस्ट के प्रति अपनी समझ विकसित की। प्रत्येक छात्र ने यह संकल्प लिया कि वे 1 किलोग्राम ई-वेस्ट इकट्ठा करेंगे और उसे विद्यालय में जमा करेंगे।
प्रेरणादायक संदेश:
विद्यालय निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “करो संभव” का मतलब है कि यदि आप दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करेंगे, तो हर मुश्किल को पार कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों को ई-वेस्ट संग्रहण अभियान में भाग लेने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
इस कार्यशाला ने छात्रों को पर्यावरणीय संकट से अवगत कराते हुए समाधान का हिस्सा बनने की दिशा में एक सार्थक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।