गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश – गाजियाबाद में एक दिलचस्प और रहस्यमयी मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति, जो 31 साल पहले लापता हो गया था, अपने परिवार से फिर से मिल गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वह सच में वही व्यक्ति है? क्या वह मोनू शर्मा है, जो देहरादून में एक परिवार से मिला था, या फिर वह गाजियाबाद का राजू उर्फ भीम सिंह है? इस मामले ने पुलिस और दोनों परिवारों को हैरान कर दिया है, और अब उत्तराखंड और यूपी पुलिस इस पहेली का समाधान खोजने में जुटी हुई है।
गुमशुदगी और वापसी की चमत्कारी कहानी
गाजियाबाद में तीन दिन पहले एक व्यक्ति पुलिस स्टेशन पहुंचा और दावा किया कि उसे 31 साल पहले अपहरण कर लिया गया था। उसने बताया कि वह राजस्थान में बंधक था और वहां से किसी तरह भाग कर निकल पाया। पुलिस ने उसके परिवार की तलाश की और पाया कि उनके घर से 31 साल पहले उनका बेटा गायब हो गया था। जब उस व्यक्ति को परिवार के सामने लाया गया, तो मां लीलावती की आंखों में आंसू थे, क्योंकि वह वर्षों से अपने बेटे का इंतजार कर रही थी।
देहरादून में मोनू शर्मा के रूप में पहचान
लेकिन यह कहानी और भी जटिल हो गई जब पता चला कि वही व्यक्ति कुछ महीने पहले देहरादून में एक और परिवार से मिला था। देहरादून के एक परिवार ने उसे अपना लापता बेटा मोनू शर्मा मान लिया था। मोनू 9 साल की उम्र में गायब हो गया था और 16 साल बाद उसकी कोई खबर नहीं थी। जब इस व्यक्ति की तस्वीर मीडिया के जरिए मोनू के परिवार तक पहुंची, तो सब हैरान रह गए, क्योंकि दोनों परिवारों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।
पुलिस जांच और विवाद
गाजियाबाद पुलिस ने इस व्यक्ति को हिरासत में लिया और उसकी पहचान की जांच शुरू की। पहले उसने खुद को मोनू शर्मा के रूप में पेश किया था, लेकिन अब गाजियाबाद में उसने अपनी पहचान भीम सिंह के रूप में बताई। पुलिस ने बताया कि उसने अपनी कहानी में कहा था कि उसे राजस्थान में बंधुआ मजदूरी करने के लिए रखा गया था और बाद में उत्तराखंड में एक ट्रक चालक ने उसे बचाया।
देहरादून पुलिस ने इस व्यक्ति को मोनू शर्मा के रूप में परिवार से मिलाने की कोशिश की थी, लेकिन अब यह सवाल उठता है कि वह वास्तव में कौन है – गाजियाबाद का राजू उर्फ भीम सिंह या देहरादून का मोनू शर्मा? यह मामला अब दोनों राज्यों की पुलिस और दोनों परिवारों के लिए एक बड़ी पहेली बन गया है।