आगरा: सूचना के अधिकार (आरटीआई) का कानून, जिसे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता लाने के लिए लागू किया गया था, आज खुद एक संकट से गुजर रहा है। छह महीनों से आगरा के पोस्ट ऑफिसों में 10 रुपये के पोस्टल ऑर्डर की अनुपलब्धता ने सूचना का अधिकार कानून को महंगा और जटिल बना दिया है।
नकद भुगतान पर रोक, डीडी का खर्च बढ़ा
भारत सरकार ने आरटीआई शुल्क जमा करने के लिए तीन विकल्प दिए हैं—10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर, बैंक का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी), या नकद धनराशि। लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें नकद शुल्क जमा करने पर रोक लगा दी गई है। अब आवेदकों को डीडी या पोस्टल ऑर्डर से ही भुगतान करना होगा।
इस निर्णय ने आम जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पोस्टल ऑर्डर की अनुपलब्धता के कारण डीडी के जरिए आवेदन करने में अतिरिक्त 38 रुपये का कमीशन और 17-20 रुपये रजिस्टर्ड डाक के लिए खर्च करना पड़ रहा है। अब आरटीआई आवेदन के लिए 10 रुपये के बजाय 65 रुपये तक खर्च हो रहे हैं।
छह महीने से पोस्टल ऑर्डर नहीं मिल रहे
आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस का कहना है कि पिछले छह महीनों से आगरा के पोस्ट ऑफिसों—लोहामंडी, शाहगंज, जगदीशपुरा, आवास विकास, और संजय प्लेस—में पोस्टल ऑर्डर की उपलब्धता शून्य है। जब उन्होंने मुख्य पोस्ट ऑफिस और प्रवर अधीक्षक कार्यालय से संपर्क किया, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
पोस्ट ऑफिस का जवाब: “सप्लाई नहीं मिल रही”
प्रतापपुरा स्थित मुख्य डाकघर के वरिष्ठ पोस्ट मास्टर एस.के. जैन का कहना है कि पोस्टल ऑर्डर की सप्लाई नहीं मिल रही है। उन्होंने इसके लिए इंडेन (डिमांड) भेजी है और बार-बार ईमेल और फोन के जरिए रिमाइंडर भी दिया है। लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
आरटीआई कानून पर असर
इस स्थिति ने आरटीआई कानून की मूल भावना पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आम जनता के लिए मुश्किलें: नकद भुगतान पर रोक और पोस्टल ऑर्डर की अनुपलब्धता से आम लोगों के लिए सूचना का अधिकार अब महंगा हो गया है।
पारदर्शिता पर खतरा: जब आवेदन करना जटिल और महंगा होगा, तो आम लोग आरटीआई का उपयोग करने से पीछे हट सकते हैं।
भ्रष्टाचार को बढ़ावा: पारदर्शिता की इस कमी से भ्रष्टाचार करने वालों को राहत मिल सकती है।
सरकार और विभागों को तुरंत कदम उठाने की जरूरत
आरटीआई एक्टिविस्टों और आम जनता की परेशानी को देखते हुए सरकार और संबंधित विभागों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
- पोस्टल ऑर्डर की आपूर्ति बहाल करना
- नकद भुगतान पर लगी रोक हटाना
- डीडी पर लगने वाले कमीशन को माफ करना
क्या सूचना का अधिकार अब सिर्फ कानून की किताबों तक सिमटकर रह जाएगा, या सरकार जनता की आवाज सुनेगी? यह एक ऐसा सवाल है जो हर नागरिक को झकझोर रहा है।