Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा और अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालिया घटनाओं में चट्टोग्राम में तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के बाद अब एक और हिंदू पुजारी श्याम दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया है।
तीन मंदिरों पर हमला
शुक्रवार दोपहर को चट्टोग्राम के हरीश चंद्र मुनसेफ लेन इलाके में नारेबाजी करती भीड़ ने तीन मंदिरों पर हमला किया। ये मंदिर संतनेश्वर मातृ मंदिर, शोनी मंदिर, और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर हैं। हमले के दौरान तोड़फोड़ की गई और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया गया।
पुजारी की गिरफ्तारी
इस हिंसा के बीच, हिंदू आध्यात्मिक गुरु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद, चट्टोग्राम में एक और हिंदू पुजारी श्याम दास प्रभु को हिरासत में लिया गया। उन्हें बिना किसी आधिकारिक वारंट के गिरफ्तार किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, श्याम दास प्रभु कथित तौर पर जेल में बंद चिन्मय कृष्ण दास से मिलने गए थे। चिन्मय कृष्ण दास को हाल ही में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इस्कॉन का विरोध
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने इस गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “एक और ब्रह्मचारी श्री श्याम दास प्रभु को आज चट्टोग्राम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।”
इस्कॉन के प्रवक्ता ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई बहुत चिंताजनक है।
RSS का बयान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इस मामले पर सख्त प्रतिक्रिया दी। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने एक वक्तव्य जारी कर कहा:
“बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को तत्काल बंद किया जाए। इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को अन्यायपूर्ण तरीके से कारावास में रखा गया है, जिसे तुरंत समाप्त किया जाए।”
RSS ने बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों, हत्या, लूटपाट, और महिलाओं पर अत्याचारों की कड़ी निंदा की है।
पड़ोसी देश के लिए कड़ा संदेश
RSS और अन्य हिंदू संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस पर ध्यान देना चाहिए।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और धार्मिक नेताओं की गिरफ्तारी ने भारत में भी चिंता बढ़ा दी है। यह स्थिति न केवल अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बल्कि क्षेत्रीय शांति और सहिष्णुता के लिए भी चुनौती बन गई है।