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अस्पतालों में फायर एनओसी न होने पर लाइसेंस रद्द होगा

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झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (SNCU) में आग लगने से 11 नवजातों की मौत के बाद प्रशासन सतर्क हुआ है। आगरा में भी स्वास्थ्य और अग्निशमन विभाग ने अस्पतालों में फायर एनओसी की सख्त जांच करने का फैसला किया है।

जांच अभियान:

  • अग्निशमन विभाग का कदम:
    सोमवार से शहर में संचालित अस्पतालों की फायर एनओसी की जांच की जाएगी। जिनके पास एनओसी नहीं है या मानक पूरे नहीं हैं, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएंगे।
  • आवासीय भवनों में चल रहे अस्पताल:
    छोटे रास्तों, बिना रैंप, और आग बुझाने के इंतजाम के बिना घरों और मोहल्लों में अस्पताल खुले हुए हैं। इनमें मरीजों की जान खतरे में है।

अस्पतालों में खामियां:

  1. आग से बचाव के उपाय नहीं:
  • निकास मार्ग, रैंप, और वेंटिलेशन की कमी।
  • स्प्रिंकलर सिस्टम और पानी के टैंक का अभाव।
  1. अनियमित लाइसेंसिंग:
    आवासीय भवनों और गली-मोहल्लों में अस्पताल चल रहे हैं। फायर और स्वास्थ्य मानकों का पालन नहीं किया जा रहा।
  2. एनआईसीयू और आईसीयू भी असुरक्षित:
    दूसरी-तीसरी मंजिल पर बिना सुरक्षा मानकों के आईसीयू और एनआईसीयू चल रहे हैं।

अन्य क्षेत्रों में भी जोखिम:

  • कारखाने और गोदाम:
    जूता, केमिकल, और गत्ता फैक्ट्रियों में भी सुरक्षा उपायों की कमी है।
  • उदाहरण: मंटोला और सिकंदरा में केमिकल गोदामों में आग लगने की घटनाएं।
  • चांदी सफाई के कारखाने:
    सर्राफा बाजार में तेजाब के इस्तेमाल से कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

अस्पतालों के लिए अनिवार्य मानक:

  • छह मीटर चौड़ा पहुँच मार्ग।
  • 12 मीटर का निकास मार्ग।
  • 75,000 लीटर पानी की क्षमता का टैंक।
  • स्प्रिंकलर और वेंटिलेशन सिस्टम।

अधिकारियों की कार्रवाई:

  • सीएमओ अरुण श्रीवास्तव:
    जांच के लिए टीम बनाई गई है। रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपी जाएगी।
  • आईएमए अध्यक्ष डॉ. पंकज नगायच:
    अस्पताल संचालकों को प्राथमिकता पर फायर उपकरण और एनओसी मानकों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।

निष्कर्ष:
अस्पतालों और अन्य संस्थानों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना समय की मांग है। प्रशासन और संचालकों के बीच समन्वय जरूरी है ताकि ऐसी दुखद घटनाएं दोबारा न हों।

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