एस.एन. मेडिकल कॉलेज आगरा के प्रधानाचार्य डॉक्टर प्रशांत गुप्ता के मार्गदर्शन में सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम द्वारा (SNMC) की टीम द्वारा पुलिस लाइन, आगरा में पुलिसकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) का प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सिखाना था कि आपात स्थिति में सही समय पर और तुरंत मदद कैसे दी जा सकती है, ताकि किसी की जान बचाई जा सके। इस प्रशिक्षण के दौरान सभी को “हर कोई किसी की जिंदगी बचाने में मदद कर सकता है” की भावना को सशक्त रूप से प्रेरित किया गया।
इस प्रशिक्षण में BLS के तीन मुख्य घटक – Circulation (रक्त प्रवाह), Airway (वायुमार्ग), और Breathing (सांस लेना) – को, जिन्हें C-A-B कहा जाता है, विस्तार से सिखाया गया। इनका सही तरीके से उपयोग करना बेहद आवश्यक होता है, खासकर जब किसी व्यक्ति को दिल का दौरा या सांस लेने में कठिनाई हो रही हो।
1. वायुमार्ग (Airway) की देखभाल करना:
अधिकारियों को डॉ. योगिता द्विवेदी (प्रोफेसर एनेस्थीसिया विभाग एवं नेल्स ट्रेनर) द्वारा सिखाया गया कि किसी भी आपात स्थिति में वायुमार्ग को कैसे साफ और खुला रखा जा सकता है, ताकि व्यक्ति की श्वास प्रक्रिया सामान्य बनी रहे। खाने का कण या अन्य बाहरी वस्तु गले में फंसने की स्थिति में इसे हटाने के लिए सही तकनीक का अभ्यास कराया गया। इसे हेमलिच मैनुवर कहते हैं, जिसमें पेट पर दबाव डालकर फंसी हुई वस्तु को बाहर निकाला जाता है।
2. सीपीआर (CPR) देना और इसका महत्व:
सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardiopulmonary Resuscitation) देने का सही तरीका डॉ. अनुभव गोयल (एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जरी एवं ACLS ट्रेनर द्वारा सिखाया गया। यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें छाती पर दबाव डालकर दिल के दौरे के शिकार व्यक्ति को कृत्रिम श्वास दी जाती है, जिससे उसके शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह बना रहता है। अधिकारियों को सीपीआर देने का सही तरीका – छाती पर दबाव देना, श्वास देना, और क्रमबद्ध तरीके से इस प्रक्रिया का पालन करना सिखाया गया। समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
3. एईडी (AED) डिवाइस और इसका उपयोग:
एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर) एक स्वचालित उपकरण है, जो दिल की धड़कन को सामान्य करने के लिए बिजली के झटके का उपयोग करता है। डॉ. सी.पी. गौतम (एसोसिएट प्रोफेसर एंड नेल्स ट्रेनर) ने बताया कि किस प्रकार इस उपकरण का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करना व्यक्ति की जान बचाने में सहायक हो सकता है। अधिकारियों को इस डिवाइस का उपयोग करने की बारीकियां भी सिखाई गईं।
4. गोल्डन ऑवर का महत्व:
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. करण रावत (असिस्टेंट प्रोफेसर, ट्रॉमा और सर्जरी विभाग, रोड सेफ्टी और ट्रॉमा नोडल अधिकारी ने “गोल्डन ऑवर” के महत्व पर भी विशेष ध्यान दिया जाने की बात कही। गोल्डन ऑवर वह महत्वपूर्ण समय है जिसमें अगर समय पर उपचार मिल जाए तो व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है और उसे स्थाई क्षति से बचाया जा सकता है।
प्रशिक्षण के दौरान सभी अधिकारियों की शंकाओं का समाधान भी किया गया, ताकि वे इस प्रक्रिया को और अच्छे से समझ सकें और आत्मविश्वास के साथ इसका उपयोग कर सकें।
इस कार्यक्रम का नेतृत्व एस.एन. मेडिकल कॉलेज की अनुभवी टीम के साथ टेक्नीशियन में गौरांश शर्मा, पवन कुमार, ईशू, मोनू, कृष्णकांत मौजूद रहे एवं कार्यक्रम में वरिष्ठ ऑर्थोपेडिशियन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आगरा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. डी.वी. शर्मा भी उपस्थित रहे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस आयोजन में भाग लेकर इसे और अधिक ज्ञानवर्धक बना दिया।
इस प्रकार का प्रशिक्षण न केवल पुलिसकर्मियों की दक्षता में वृद्धि करेगा बल्कि समाज में एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण में भी सहायक होगा।