आगरा। एस एन मेडिकल कॉलेज आगरा के गायनी विभाग में हाल ही में UP TSU (उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट) एवं IHAT (India Health Action Trust) के सौजन्य से एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय CME (Continuing Medical Education) का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. ऋचा सिंह के कुशल निर्देशन में आयोजित यह CME विभाग द्वारा संचालित आरआरटीसी (Rapid Response Team Training Centre) प्रोग्राम का एक अहम हिस्सा था।
CME का उद्घाटन कॉलेज के गरिमामयी प्रधानाचार्य डॉ प्रशांत गुप्ता व उपप्रधानाचार्य डॉ टी पी सिंह द्वारा किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 4 ज़िलों से आए कुल 20 डॉक्टर एवं नर्सेस ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया, जिन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) स्तर पर कार्य करने का अनुभव साझा किया।

आरआरटीसी प्रोग्राम का प्राथमिक उद्देश्य जमीनी स्तर पर, खासकर PHC एवं CHC पर कार्यरत डॉक्टरस और अन्य चिकित्सा कर्मियों को गर्भावस्था एवं प्रसव संबंधित जटिल समस्याओ जैसे अत्यधिक रक्तस्राव (PPH), उच्च रक्तचाप (Pregnancy Induced Hypertension), गंभीर खून की कमी (Anemia) और कमज़ोर नवजात शिशुओं की पहचान, उनका उचित एवं समय पर प्राथमिक निदान और सही समय पर बड़े/उच्च चिकित्सा केंद्र (रेफरल सेंटर) तक सुरक्षित रेफर करने हेतु सघन रूप से प्रशिक्षित करना है। इस प्रशिक्षण का अंतिम लक्ष्य मातृ एवं शिशु मृत्युदर को प्रभावी ढंग से कम करना है।
एसएन मेडिकल कॉलेज का गायनी विभाग विगत 6 वर्षों से लगातार इस महत्वपूर्ण ट्रेनिंग प्रोग्राम का संचालन कर रहा है। इस अवधि में विभाग द्वारा लगभग 60-70 डॉक्टर्स को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया जा चुका है। इस प्रशिक्षण का सीधा और सकारात्मक प्रभाव क्षेत्र में देखने को मिला है। प्रशिक्षित डॉक्टर्स द्वारा गर्भावस्था और प्रसव की जटिलताओं का उचित इलाज एवं प्रबंधन समय पर मिलने से रेफरल मामलों की संख्या, प्रसूताओं में रक्तस्राव (PPH) और एनीमिया (खून की कमी) के गंभीर प्रकरणों में उल्लेखनीय कमी आई है। साथ ही, समय पूर्व जन्मे या कमज़ोर नवजात शिशुओं को बेहतर प्राथमिक उपचार मिलने से उनकी जान बचाने में भी मदद मिली है।

इस दो दिवसीय CME कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मोहिता अग्रवाल द्वारा अत्यंत सुचारू और प्रभावी ढंग से किया गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ शिखा सिंह, डॉ निधी गुप्ता व डॉ उर्वशी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही और वे प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित रहे।
इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबि