भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का अहम मोड़
नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 22 अप्रैल 2025 – भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से जारी तनाव ने ऑपरेशन सिंदूर के रूप में नया मोड़ ले लिया। भारत ने शुक्रवार-शनिवार की रात पाकिस्तान के चार प्रमुख सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इस हमले के बाद पाकिस्तान की सरकार और सेना पूरी तरह हिल गई, और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को आनन-फानन में अमेरिका से मदद की गुहार लगानी पड़ी।
पाकिस्तान की परमाणु कमांड पर हमले का डर
नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले ने इस्लामाबाद को झकझोर कर रख दिया। यह एयरबेस पाकिस्तान के सैन्य ऑपरेशनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है, जहां से उनके लड़ाकू विमान उड़ान भरते हैं और हवाई ईंधन की व्यवस्था की जाती है। लेकिन भारत के हमले के बाद पाकिस्तान को यह डर सताने लगा कि अब भारत उनके परमाणु कमांड सेंटर को तबाह कर सकता है।
अमेरिकी अधिकारियों ने भी माना कि नूर खान एयरबेस पर हमला पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता था। यही कारण था कि अमेरिका को इमरजेंसी हालातों में युद्ध रुकवाने के लिए बीच-बचाव में आना पड़ा।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत ने दिखाया अपना रणनीतिक कौशल
भारत की रणनीतिक योजना इस पूरे घटनाक्रम में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारतीय सेना ने यह साफ संदेश दिया कि अगर पाकिस्तान किसी तरह की आक्रामक कार्रवाई करता है, तो उसे कठोर जवाब मिलेगा।
ऑपरेशन के प्रमुख बिंदु:
- भारत ने चार एयरबेस और अन्य सैन्य ठिकानों पर जोरदार हमला किया।
- पाकिस्तान ने भारतीय क्षेत्र में 400 ड्रोन भेजे, लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें निष्क्रिय कर दिया।
- नूर खान एयरबेस पर मिसाइल हमला ने पाकिस्तान को हिला कर रख दिया।
- पाकिस्तान के न्यूक्लियर कमांड ऑफिस की सुरक्षा पर सवाल उठे।
- अमेरिका को अचानक दखल देना पड़ा और युद्ध को रोकने की कोशिश की।
शहबाज शरीफ का अमेरिका से मदद की अपील
जब भारत के हमले ने नूर खान एयरबेस को नेस्तनाबूत कर दिया, तो पाकिस्तान में अत्यधिक भय का माहौल बन गया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तत्काल अमेरिका को फोन लगाया और स्थिति को संभालने की अपील की।
अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने जब देखा कि भारत उनके न्यूक्लियर कमांड सेंटर पर हमला करने की स्थिति में है, तो उनके राष्ट्रपति और सैन्य अधिकारियों ने आपातकालीन बैठक बुलाई। यही वह समय था जब अमेरिकी प्रशासन को मजबूरी में दखल देना पड़ा।
ट्रंप प्रशासन ने कैसे निभाई भूमिका?
हालांकि, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने शुरुआत में साफ कह दिया था कि, “यह हमारी लड़ाई नहीं है, इससे हमें कोई मतलब नहीं है।” लेकिन जब भारत-पाकिस्तान युद्ध की संभावना बढ़ने लगी और नूर खान एयरबेस पर हमले के बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिखी, तब अमेरिका को सीजफायर के लिए आगे आना पड़ा।
क्या भारत ने परमाणु युद्ध का खतरा टाल दिया?
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि भारत के इस हमले ने पाकिस्तान के परमाणु शक्ति के संचालन को गहरा झटका दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत ने नूर खान एयरबेस से अगला हमला पाकिस्तान के परमाणु कमांड सेंटर पर किया होता, तो यह गंभीर वैश्विक संकट में बदल सकता था।
भारत की आक्रामक रणनीति पर वैश्विक प्रतिक्रिया
- अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने माना कि भारत ने “आक्रामक लेकिन नियंत्रित” रणनीति अपनाई।
- यूरोपीय यूनियन ने भारत-पाकिस्तान तनाव को हल करने की अपील की।
- चीन ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जताई और शांति वार्ता का समर्थन किया।
आगे क्या? भारत और पाकिस्तान के लिए चुनौतियाँ
भारत ने पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर वह आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देता है, तो उसे कड़ा जवाब मिलेगा। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह तनाव खत्म होगा, या फिर युद्ध की संभावना बनी रहेगी?
विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान पर आंतरिक दबाव बढ़ रहा है, और उसकी सरकार अमेरिका और चीन से कूटनीतिक समर्थन की तलाश कर रही है। दूसरी ओर, भारत के नेतृत्व ने आक्रामक नीति अपनाते हुए अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को सर्वोपरि रखा।
क्या पाकिस्तान अब शांत रहेगा या नई रणनीति बनाएगा?
क्या भारत इसी तरह आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाता रहेगा?
क्या अमेरिका का हस्तक्षेप आगे भी जारी रहेगा?
यह समय ही बताएगा।भारत और पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर ने नए विवाद को जन्म दिया, लेकिन इसने भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक रणनीति को मजबूती से प्रस्तुत किया। पाकिस्तान की परमाणु शक्ति पर मंडराते खतरे के कारण अमेरिका को मध्यस्थता करनी पड़ी, लेकिन भारत का संदेश स्पष्ट था – हम अपने राष्ट्रीय हितों के लिए कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।