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बरेली: बहगुल नदी के संगम पर गहराया मातम, राजश्री मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्र की डूबने से दुखद मृत्यु

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बरेली, उत्तर प्रदेश: शिक्षा और ज्ञान के मंदिर माने जाने वाले संस्थानों में उस समय शोक की लहर दौड़ गई जब बरेली स्थित राजश्री मेडिकल कॉलेज के एक होनहार एमबीबीएस छात्र की बहगुल नदी में डूबने से मृत्यु हो गई। यह घटना एक आम दिनचर्या का दुखद अंत बन गई, जब दोस्तों का एक समूह टहलने निकला था और नदी के किनारे पहुँचकर उनमें से कुछ ने नहाने का फैसला किया। प्रकृति की सुंदरता कभी-कभी अप्रत्याशित और क्रूर रूप ले सकती है, और इस बार इसने एक युवा जीवन को निगल लिया, जिससे एक परिवार, दोस्तों और पूरे शैक्षणिक संस्थान में गहरा मातम छा गया।

दोस्तों के साथ एक सामान्य सैर का दुखद मोड़

घटना शनिवार दोपहर की बताई जा रही है। राजश्री मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम वर्ष में पढ़ने वाले लगभग 10 छात्रों का एक समूह कॉलेज परिसर से पैदल घूमने के लिए निकला। छात्र अक्सर पढ़ाई के दबाव से राहत पाने और ताज़ी हवा में कुछ पल बिताने के लिए आसपास के इलाकों में घूमने निकल जाते हैं। उनका यह समूह भी इसी उद्देश्य से निकला था। वे टहलते हुए बहगुल नदी और भाखड़ा नदी के संगम स्थल की ओर बढ़ गए। नदियों का संगम स्थल अक्सर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होता है और छात्रों के लिए यह एक लोकप्रिय स्थान रहा होगा जहाँ वे कुछ देर रुककर प्रकृति का आनंद ले सकें।

संगम स्थल पर पहुँचने के बाद, समूह के चार छात्रों ने नदी के ठंडे पानी में नहाने का फैसला किया। गर्मी के मौसम में या दिन की थकान के बाद नदी में नहाना एक ताज़गी भरा अनुभव हो सकता है। इन चार छात्रों में से दो छात्र ऐसे थे जिन्हें तैरना आता था। उन्हें नदी के पानी में उतरने और गहराई का अंदाज़ा लगाने में कोई झिझक नहीं हुई होगी। लेकिन, अन्य दो छात्र जिन्हें तैरना नहीं आता था, उन्होंने भी शायद दोस्तों के साथ का आनंद लेने या गर्मी से राहत पाने के लिए पानी में उतरने का फैसला किया होगा। यह एक ऐसा निर्णय था जिसका परिणाम विनाशकारी होने वाला था।

अप्रत्याशित गहराई और भंवर का कहर

नदी में उतरने के कुछ ही देर बाद स्थिति भयावह हो गई। जिन दो छात्रों को तैरना आता था, वे सुरक्षित रूप से किनारे पर वापस आ गए। शायद उन्हें गहराई या पानी के बहाव का अंदाज़ा हो गया था जो उनकी उम्मीद से ज़्यादा था। लेकिन जो दो छात्र तैरना नहीं जानते थे, वे मुश्किल में पड़ गए। नदी का संगम स्थल अक्सर अप्रत्याशित होता है। सतह पर पानी शांत दिख सकता है, लेकिन नीचे भंवर और तेज़ धाराएँ हो सकती हैं, और गहराई अचानक बढ़ सकती है।

थाना फतेहगंज पश्चिमी के प्रभारी इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार चतुर्वेदी के अनुसार, पिपरिया गाँव के स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस स्थान पर यह दुखद घटना हुई, वहाँ पानी की गहराई 18 से 20 फुट तक है। इतनी गहराई उन लोगों के लिए अत्यंत खतरनाक है जिन्हें तैरना नहीं आता, खासकर जब पानी का बहाव भी हो। दोनों छात्र जिन्होंने तैरना नहीं सीखा था, गहरे पानी में पहुँचते ही घबराने लगे होंगे। मदद के लिए उनकी पुकार सुनकर, किनारे पर मौजूद बाकी छात्र और आस-पास के ग्रामीण तुरंत हरकत में आए।

एक को बचाया गया, दूसरे को नदी ने निगला

गाँव वालों और छात्रों की त्वरित प्रतिक्रिया ने एक जीवन बचाने में सफलता प्राप्त की। डूब रहे दो छात्रों में से एक, आराध्य मिश्रा, जिन्हें तैरना नहीं आता था, को स्थानीय ग्रामीणों की मदद से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। आराध्य मिश्रा गोरखपुर के रहने वाले हैं और यह उनके लिए एक बाल-बाल बचने वाला अनुभव था जिसने उन्हें जीवन भर का सबक सिखाया होगा। ग्रामीण, जो अक्सर नदी के स्वभाव से परिचित होते हैं, शायद जानते थे कि कैसे और कहाँ बचाव कार्य करना है। उनकी बहादुरी और समय पर मदद ने एक परिवार को तबाह होने से बचा लिया।

हालांकि, दूसरा छात्र इतना भाग्यशाली नहीं था। एमबीबीएस प्रथम वर्ष के 20 वर्षीय छात्र शनिदेव, जो महेंद्रगढ़, हरियाणा के निवासी थे, संगम के भंवर में फंस गए। नदी की तेज़ धारा और गहराई ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। शनिदेव ने बचने के लिए संघर्ष किया होगा, लेकिन गहरे पानी और भंवर की ताकत के आगे उनकी एक न चली। देखते ही देखते, वह पानी में ओझल हो गए। किनारे पर मौजूद उनके दोस्त और ग्रामीण बेबस होकर देखते रह गए। उनकी चीख-पुकार और मदद की कोशिशें उस क्षण काम नहीं आईं जब प्रकृति ने अपना क्रूर रूप दिखाया।

तत्काल बचाव प्रयास और गोताखोरों की चुनौती

छात्र के डूबने की खबर मिलते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन हरकत में आया। थाना फतेहगंज पश्चिमी के प्रभारी इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार चतुर्वेदी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुँचे। ग्रामीणों की मदद से तत्काल प्रभाव से छात्र की तलाश शुरू की गई। स्थानीय गोताखोरों और ग्रामीणों ने नदी में उतरकर शनिदेव को खोजने का प्रयास किया, लेकिन 18-20 फुट की गहराई और पानी के बहाव ने उनके प्रयासों को अत्यंत कठिन बना दिया। नदी के नीचे कीचड़ या चट्टानें भी हो सकती हैं जो खोज अभियान में बाधा डाल सकती हैं।

जैसे-जैसे शाम ढलने लगी और अंधेरा छाने लगा, बचाव अभियान की चुनौतियाँ और बढ़ गईं। रात में, दृश्यता लगभग शून्य हो जाती है, और नदी में खोज करना अत्यंत खतरनाक हो जाता है। बाहर से विशेष गोताखोरों की मदद लेने का प्रयास किया गया। लेकिन गोताखोरों ने रात के अंधेरे और नदी की स्थिति को देखते हुए तत्काल रात में ऑपरेशन शुरू करने में असमर्थता जताई। बचाव कार्य को रात भर के लिए रोकना पड़ा, यह जानते हुए कि हर बीतता पल डूबे हुए छात्र को खोजने की संभावनाओं को कम कर रहा था। पुलिस और कॉलेज के अधिकारी रात भर मौके पर मौजूद रहे, स्थिति की निगरानी करते रहे और आगे की रणनीति बनाते रहे। दोस्तों और सहयोगियों के लिए यह एक लंबी, agonizing रात थी, उम्मीद और निराशा के बीच झूलती हुई।

रविवार सुबह फिर से शुरू हुई तलाश

रविवार सुबह होते ही, एक नई उम्मीद के साथ बचाव अभियान फिर से शुरू किया गया। स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ, प्रशिक्षित गोताखोरों की टीम भी अब इस खोज अभियान में शामिल हो गई थी। वे विशेष उपकरणों की मदद से नदी के उस गहरे हिस्से में तलाश कर रहे थे जहाँ शनिदेव के डूबने की आशंका थी। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पूरे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे और यह सुनिश्चित कर रहे थे कि खोज कार्य व्यवस्थित तरीके से हो।

कॉलेज के अन्य छात्र, शिक्षक और कर्मचारी भी इस घटना से स्तब्ध थे। शनिदेव प्रथम वर्ष के छात्र थे और शायद अभी कॉलेज के माहौल में पूरी तरह से घुल-मिल भी नहीं पाए थे। उनके दोस्त, जिन्होंने अपनी आँखों के सामने यह भयानक दृश्य देखा था, गहरे सदमे में थे। कॉलेज प्रशासन ने छात्रों को ढांढस बंधाने और आवश्यक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की होगी। इस तरह की घटना पूरे शैक्षणिक समुदाय के लिए एक sobering reminder होती है कि छात्रों की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है, खासकर जब वे अपने घरों से दूर रहते हैं।

सुरक्षा प्रोटोकॉल और जागरूकता की आवश्यकता

यह दुखद घटना नदियों और अन्य जल निकायों के पास सुरक्षा प्रोटोकॉल और जागरूकता की आवश्यकता पर गंभीर सवाल उठाती है। अक्सर, युवा, विशेष रूप से जो शहरी पृष्ठभूमि से आते हैं, उन्हें प्राकृतिक जल निकायों की अप्रत्याशितता का अंदाज़ा नहीं होता। नदियों में अचानक बढ़ने वाली गहराई, तेज़ धाराएँ, और पानी के नीचे की संरचनाएँ (जैसे चट्टानें या पेड़ की जड़ें) बेहद खतरनाक हो सकती हैं, भले ही सतह शांत दिखे। तैरना न जानने वाले व्यक्तियों के लिए तो ये स्थान और भी जोखिम भरे होते हैं।

राजश्री मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थानों को छात्रों को इस तरह के बाहरी दौरों या गतिविधियों के दौरान संभावित खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्हें आसपास के खतरनाक स्थानों की जानकारी देनी चाहिए और छात्रों को ऐसे जोखिम लेने से बचने की सलाह देनी चाहिए। यदि छात्र समूह में बाहर जाते हैं, तो एक जिम्मेदार व्यक्ति या faculty member की उपस्थिति सुनिश्चित करने पर भी विचार किया जा सकता है, खासकर यदि वे उन स्थानों पर जा रहे हों जहाँ सुरक्षा जोखिम हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में नदियों और तालाबों के पास चेतावनी संकेत लगाना भी महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से उन स्थानों पर जहाँ गहराई या धाराएँ खतरनाक हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन और गाँव के नेताओं को मिलकर ऐसे संवेदनशील स्थानों की पहचान करनी चाहिए और लोगों को सुरक्षित रहने के बारे में जागरूक करना चाहिए। लाइफगार्ड या स्थानीय गोताखोरों की उपलब्धता भी आपातकालीन स्थितियों में जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

एक परिवार के लिए अथाह दुख

शनिदेव के परिवार के लिए यह एक विनाशकारी समाचार था। महेंद्रगढ़, हरियाणा में बैठा परिवार अपने बेटे के डॉक्टर बनने के सपनों को संजो रहा होगा। उन्होंने उसे बेहतर भविष्य के लिए बरेली भेजा था। एक पल में, उनके सारे सपने चकनाचूर हो गए। एक युवा जीवन का इतनी अचानक और दुखद रूप से समाप्त हो जाना किसी भी परिवार के लिए असहनीय दुख है। उन्हें न केवल अपने बेटे के खोने का गम है, बल्कि उस तरीके का भी गम है जिस तरह से यह घटना हुई। पुलिस और कॉलेज प्रशासन परिवार को सूचित करेगा और इस कठिन समय में हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास करेगा। शनिदेव के दोस्तों और सहपाठियों को भी इस trauma से उबरने के लिए counseling और समर्थन की आवश्यकता होगी।

एक दुखद अनुस्मारक

बरेली में राजश्री मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस छात्र शनिदेव का बहगुल नदी में डूबना एक दुखद घटना है जो हमें प्रकृति की शक्ति और सुरक्षा के महत्व की याद दिलाती है। यह घटना हमें बताती है कि कैसे एक सामान्य सैर एक पल में एक भयानक त्रासदी में बदल सकती है। यह संस्थानों, छात्रों और समुदायों को नदियों और अन्य जल निकायों के पास सुरक्षा के प्रति अधिक जागरूक होने की आवश्यकता पर जोर देती है। जबकि बचाव अभियान जारी है और आशा है कि शनिदेव का पार्थिव शरीर जल्द ही मिल जाएगा ताकि उनके परिवार को अंतिम संस्कार करने का मौका मिल सके, इस दुखद घटना का दर्द लंबे समय तक महसूस किया जाएगा। यह एक युवा जीवन का असामयिक अंत है जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है और सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।

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