11 अप्रैल, 2025, आगरा
मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा संग्राम सिंह, जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के एक विवादित बयान ने उत्तर प्रदेश की सियासत में आग लगा दी है। इस बयान के विरोध में क्षत्रिय करणी सेना ने 12 अप्रैल को आगरा में महाराणा सांगा की जयंती पर एक विशाल आयोजन की घोषणा की है, जिसे लेकर पुलिस प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है। इस आयोजन को और बल मिला है प्रतापगढ़ के प्रभावशाली नेता और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें राजा भैया के नाम से जाना जाता है, के समर्थन से। उनके भाई और जनसत्ता दल के एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने भी अपने कार्यकर्ताओं से आगरा पहुंचने का आह्वान किया है। आइए, इस आयोजन, इसके पीछे के विवाद, और इसके संभावित निहितार्थों को विस्तार से समझते हैं।
विवाद की जड़: सपा सांसद का बयान
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने 21 मार्च, 2025 को संसद में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान राणा सांगा के बारे में एक टिप्पणी की, जिसे कई संगठनों और नेताओं ने अपमानजनक माना। सुमन ने कथित तौर पर राणा सांगा को “गद्दार” कहा और दावा किया कि उन्होंने मुगल शासक बाबर को भारत में बुलाया था। हालांकि इस बयान का सटीक संदर्भ अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसने क्षत्रिय समुदाय और हिंदूवादी संगठनों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया।
राणा सांगा, जो 1508 से 1528 तक मेवाड़ के शासक रहे, को भारतीय इतिहास में एक महान योद्धा और हिंदू स्वाभिमान का प्रतीक माना जाता है। उनके नेतृत्व में राजपूतों ने मुगल आक्रमणकारियों के खिलाफ कई युद्ध लड़े, जिनमें खानवा का युद्ध (1527) सबसे प्रसिद्ध है। सुमन के बयान को क्षत्रिय समाज ने अपने गौरव पर हमला माना, और करणी सेना ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। संगठन ने सुमन से माफी की मांग की और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी।
करणी सेना का आक्रोश: 26 मार्च का हंगामा
सुमन के बयान के बाद करणी सेना ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। 26 मार्च, 2025 को संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ता आगरा में सुमन के हरिपर्वत स्थित आवास पर पहुंचे और वहां जमकर हंगामा मचाया। प्रदर्शनकारियों ने सांसद के घर के बाहर खड़ी गाड़ियों के शीशे तोड़े, कुर्सियां फेंकीं, और गेट तोड़ने की कोशिश की। कुछ कार्यकर्ता बुलडोजर लेकर पहुंचे थे, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। पुलिस ने प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए।
इस घटना ने आगरा में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर सवाल खड़े किए। करणी सेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि सुमन ने क्षत्रिय समाज के महापुरुष का अपमान किया है, और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी होगी। उन्होंने यह भी धमकी दी कि अगर सुमन माफी नहीं मांगते, तो संगठन और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगा। इस घटना के बाद पुलिस ने कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, लेकिन देर रात उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
12 अप्रैल: राणा सांगा जयंती का विशाल आयोजन
करणी सेना ने सुमन के बयान के विरोध को और तेज करने के लिए 12 अप्रैल को राणा सांगा की जयंती को एक बड़े आयोजन के रूप में मनाने का फैसला किया। यह आयोजन आगरा के एत्मादपुर क्षेत्र में गढ़ी रामी के कुबेरपुर मैदान में होगा। संगठन ने दावा किया है कि इस कार्यक्रम में देशभर से तीन लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने कहा कि यह आयोजन केवल राणा सांगा की वीरता को सम्मान देने के लिए नहीं, बल्कि सुमन के बयान के खिलाफ क्षत्रिय समाज की एकजुटता दिखाने के लिए भी है।
आयोजन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। गुरुवार को करणी सेना और क्षत्रिय समाज के लोगों ने गढ़ी रामी में भूमि पूजन किया और टेंट लगाने का काम शुरू किया। शेखावत ने स्पष्ट किया कि यह कोई राजनीतिक मंच नहीं होगा। मंच पर केवल राणा सांगा की प्रतिमा होगी, और कार्यक्रम में करणी योद्धाओं का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से “एक झंडा, एक डंडा” लाने का आह्वान किया है, जिसे लेकर पुलिस ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
पुलिस की तैयारी: हाई अलर्ट पर आगरा
12 अप्रैल के आयोजन को देखते हुए आगरा पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। पुलिस ने तीन स्तर का सुरक्षा घेरा तैयार किया है और 1200 हेलमेट व 1000 डंडे मंगवाए हैं। इसके अलावा, दंगा नियंत्रण के लिए रिहर्सल भी किए जा रहे हैं। आगरा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजीव त्यागी ने कहा कि आयोजकों ने आश्वासन दिया है कि यह एक शांतिपूर्ण कार्यक्रम होगा, जिसके आधार पर सनातन हिंदू महासभा के बैनर तले इसकी अनुमति दी गई है। हालांकि, पुलिस किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
पुलिस ने सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए एक विशेष टीम बनाई है, क्योंकि कुछ कार्यकर्ताओं ने हिंसा भड़काने वाले बयान दिए हैं। इसके जवाब में सुमन के समर्थकों और अन्य संगठनों से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जिससे तनाव बढ़ने की आशंका है। पुलिस ने करणी सेना के कुछ प्रमुख नेताओं को “हाउस अरेस्ट” करने की योजना भी बनाई है ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे।
राजा भैया का समर्थन: जनसत्ता दल का आह्वान
इस आयोजन को एक नया आयाम तब मिला, जब प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक और जनसत्ता दल के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने करणी सेना को अपना समर्थन दिया। राजा भैया, जो क्षत्रिय समाज में एक प्रभावशाली चेहरा हैं, ने इस मामले को हिंदू गौरव और क्षत्रिय सम्मान से जोड़ा। उनके भाई और जनसत्ता दल के एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट साझा कर पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से 12 अप्रैल को आगरा पहुंचने का आह्वान किया।
अक्षय प्रताप ने लिखा, “राजा भैया के निर्देशानुसार समस्त जनसत्ता दल के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि 12 अप्रैल को गढ़ी रामी, कुबेरपुर मैदान में भारी संख्या में पहुंचें और पूज्य महाराणा सांगा की जयंती को भव्य बनाएं।” इस आह्वान ने आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि राजा भैया का समर्थन करणी सेना के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम है।
राणा सांगा: एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व
महाराणा संग्राम सिंह, जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, 1508 से 1528 तक मेवाड़ के शासक रहे। वह सिसोदिया राजपूत वंश के सबसे छोटे पुत्र थे और अपने समय के सबसे शक्तिशाली राजपूत राजाओं में से एक माने जाते थे। उन्होंने अपने शासनकाल में मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और विदेशी आक्रमणकारियों, खासकर मुगलों, के खिलाफ कई युद्ध लड़े। खानवा का युद्ध (1527), जिसमें उन्होंने बाबर का सामना किया, उनकी वीरता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
हालांकि वह इस युद्ध में हार गए, लेकिन उनकी एकता और साहस ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया। कहा जाता है कि उनके शरीर पर 80 से ज्यादा घाव थे, जिसमें एक आंख, एक हाथ, और एक पैर की चोटें शामिल थीं। फिर भी, उन्होंने हिंदू राज्य की रक्षा के लिए अंत तक संघर्ष किया। उनकी मृत्यु भी युद्ध के बाद की चोटों और संदिग्ध परिस्थितियों में हुई, जिसे कुछ इतिहासकार उनके सहयोगियों की साजिश मानते हैं। राणा सांगा की कहानी न केवल वीरता की है, बल्कि बलिदान और एकता की भी है।
राजनीतिक निहितार्थ: सपा पर दबाव
यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक या धार्मिक कार्यक्रम नहीं है; इसके पीछे गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं। सुमन के बयान ने सपा को बैकफुट पर ला दिया है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सफाई देते हुए कहा कि सपा राणा सांगा की वीरता पर सवाल नहीं उठा रही और यह बयान ऐतिहासिक संदर्भ में था। हालांकि, उनका यह बयान विवाद को शांत करने में नाकाम रहा। करणी सेना ने सपा पर क्षत्रिय विरोधी होने का आरोप लगाया है, और राजा भैया जैसे नेताओं के समर्थन ने इस मुद्दे को और तूल दे दिया है।
आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए यह विवाद सपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है। क्षत्रिय समाज उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है, और इस समुदाय का आक्रोश सपा की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है। दूसरी ओर, भाजपा और अन्य हिंदूवादी संगठन इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। राजा भैया का समर्थन भी इस आयोजन को एक व्यापक सामाजिक और राजनीतिक मंच बना सकता है।
निष्कर्ष: एक ऐतिहासिक पल
12 अप्रैल को आगरा में होने वाला राणा सांगा जयंती समारोह न केवल एक वीर योद्धा को श्रद्धांजलि है, बल्कि हिंदू और क्षत्रिय स्वाभिमान का प्रतीक भी है। करणी सेना का यह आयोजन सुमन के बयान के खिलाफ एक मजबूत जवाब होगा, और राजा भैया जैसे नेताओं का समर्थन इसे और भी प्रभावशाली बनाएगा। हालांकि, पुलिस की कड़ी सुरक्षा और तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए यह आयोजन आगरा के लिए एक चुनौती भी हो सकता है। यह देखना बाकी है कि यह समारोह शांतिपूर्ण रहता है या फिर एक नए विवाद को जन्म देता है।
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