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एस एन मेडिकल कॉलेज में रीकैनालाइजेशन के बाद ट्रिपलेट डिलीवरी: एक दुर्लभ उपलब्धि!

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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर हो रही प्रगति ने असंभव लगने वाली कई चीजों को संभव बना दिया है। हाल ही में, एस०एन० मेडिकल कॉलेज, आगरा में एक ऐसा ही दुर्लभ मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने नसबंदी के बाद रीकैनालाइजेशन (ट्यूबल रिकन्स्ट्रक्शन) कराने के बाद ट्रिपलेट (तीन स्वस्थ बच्चियों) को जन्म दिया। यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा जगत के लिए गर्व की बात है, बल्कि उन दंपत्तियों के लिए भी आशा की किरण है, जो नसबंदी के बाद पुनः संतान सुख की इच्छा रखते हैं। यह जटिल ऑपरेशन स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉक्टरों की टीम, डॉ० रिचा सिंह, डॉ० पूनम यादव और डॉ० अभिलाषा यादव द्वारा फरवरी 2024 में सफलतापूर्वक किया गया। इसके बाद महिला ने जुलाई 2024 में गर्भधारण किया और 02 मार्च 2025 को तीन स्वस्थ बच्चियों को जन्म दिया। यह मामला चिकित्सा विज्ञान की प्रगति और डॉक्टरों की मेहनत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

रीकैनालाइजेशन क्या है?

रीकैनालाइजेशन, जिसे ट्यूबल रिवर्सल सर्जरी भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो नसबंदी (गर्भनिरोधक का स्थायी तरीका) के बाद महिलाओं में प्रजनन क्षमता को पुनर्स्थापित करती है। इस सर्जरी में फैलोपियन ट्यूब्स को फिर से जोड़ा जाता है, ताकि अंडे और शुक्राणु का मिलन संभव हो सके। रीकैनालाइजेशन के बाद गर्भधारण की सफलता दर आमतौर पर 40-50% होती है, जो इस मामले को और भी खास बनाती है।

सफलता की यात्रा

मरीज, जिसकी पहचान गोपनीय रखी गई है, ने फरवरी 2024 में रीकैनालाइजेशन सर्जरी कराई। यह प्रक्रिया एस०एन० मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा की गई। सर्जरी के बाद, महिला ने जुलाई 2024 में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण किया। अगस्त 2024 में हुई जांच में डॉक्टरों ने पुष्टि की कि वह तीन बच्चों को जन्म देने वाली है। यह खबर महिला और उसके परिवार के लिए खुशी का सबब बन गई।

गर्भावस्था के दौरान मरीज की सेहत और बच्चों के विकास पर नजर रखने के लिए डॉक्टरों की टीम ने पूरी सावधानी बरती। 02 मार्च 2025 को महिला ने सामान्य प्रसव के जरिए तीन स्वस्थ बच्चियों को जन्म दिया। नवजात शिशुओं का वजन क्रमशः 1.900 किग्रा, 1.800 किग्रा और 1.600 किग्रा था। माँ और बच्चियों की सेहत अच्छी है, और वे चिकित्सकीय देखभाल में हैं।

विशेषज्ञों के विचार

इस दुर्लभ उपलब्धि पर डॉ० रिचा सिंह, जो इस मामले की प्रमुख सर्जन थीं, ने कहा:
“यह मामला स्त्री रोग और प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है। यह न केवल रीकैनालाइजेशन की सफलता को दर्शाता है, बल्कि उन्नत सर्जिकल तकनीक और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल के महत्व को भी रेखांकित करता है।”

डॉ० पूनम यादव ने कहा:
“इस प्रक्रिया की सफलता सावधानीपूर्वक योजना, टीमवर्क और मरीज के दृढ़ संकल्प का परिणाम है। माँ और बच्चों को स्वस्थ देखकर हमें बहुत खुशी हो रही है।”

डॉ० अभिलाषा यादव ने इसके भावनात्मक पहलू पर प्रकाश डाला:
“जो दंपत्ति नसबंदी के बाद संतान सुख पाने की उम्मीद खो चुके हैं, उनके लिए यह सफलता आशा की किरण है। यह दर्शाता है कि सही चिकित्सकीय हस्तक्षेप से माता-पिता बनने का सपना पूरा हो सकता है।”

कॉलेज प्रशासन की प्रतिक्रिया

एस०एन० मेडिकल कॉलेज, आगरा के प्राचार्य डॉ० प्रशांत गुप्ता ने इस सफलता पर खुशी जताई:
“यह उपलब्धि हमारे डॉक्टरों की विशेषज्ञता और समर्पण का प्रमाण है। एस०एन० मेडिकल कॉलेज में हम चिकित्सा विज्ञान की सीमाओं को पार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह मामला उन दंपत्तियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा, जो इसी तरह के समाधान की तलाश में हैं।”

यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
  1. दुर्लभ उपलब्धि: रीकैनालाइजेशन के बाद ट्रिपलेट का सफल प्रसव एक अत्यंत दुर्लभ घटना है।
  2. दंपत्तियों के लिए आशा: यह मामला उन दंपत्तियों के लिए आशा की किरण है, जो नसबंदी के बाद पुनः संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
  3. चिकित्सा विज्ञान की प्रगति: यह प्रजनन चिकित्सा और सर्जिकल तकनीकों में हुई प्रगति को दर्शाता है।
  4. टीमवर्क: यह सफलता एक कुशल चिकित्सा टीम और व्यापक पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल के महत्व को रेखांकित करती है।

यह ऐतिहासिक उपलब्धि प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और नवाचार के लिए नए द्वार खोलती है। यह रीकैनालाइजेशन के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर देती है, ताकि अधिक से अधिक दंपत्ति इस विकल्प का लाभ उठा सकें। एस०एन० मेडिकल कॉलेज इस मामले को विस्तार से दस्तावेजीकृत करने की योजना बना रहा है, ताकि इसे चिकित्सा साहित्य में शामिल किया जा सके और भविष्य में और अध्ययन किए जा सकें।

एस०एन० मेडिकल कॉलेज में रीकैनालाइजेशन के बाद ट्रिपलेट का सफल प्रसव चिकित्सा विज्ञान की प्रगति और डॉक्टरों की मेहनत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दुर्लभ उपलब्धि न केवल संबंधित परिवार के लिए खुशी का सबब है, बल्कि उन सभी दंपत्तियों के लिए आशा की किरण है, जो इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि दृढ़ संकल्प, विशेषज्ञता और उन्नत चिकित्सा देखभाल के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है

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