बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] और भारतीय जनता पार्टी [BJP] के गठबंधन को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि चुनाव तो एनडीए गठबंधन के तहत लड़ा जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव के बाद संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा। बीजेपी के इस बयान से जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
बीजेपी नेता प्रेम कुमार का बयान
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रेम कुमार से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष जो भी कहते हैं, वह निर्णय सही होता है। उनका कहना था कि फिलहाल गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला हो चुका है, लेकिन चुनाव के नतीजों के आधार पर मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह संसदीय बोर्ड तय करेगा। प्रेम कुमार के बयान से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि बीजेपी मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी पूरी तरह से जेडीयू के समर्थन में नहीं है और चुनावी नतीजों के बाद रणनीति बदली भी जा सकती है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बयान से मचा सियासी घमासान
बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयान के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड करेगा। इस बयान के बाद जेडीयू के अंदर बेचैनी बढ़ गई है। जब बयान को लेकर विवाद बढ़ा, तो दिलीप जायसवाल ने सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब यह नहीं था कि नीतीश कुमार को हटाने की बात हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार सरकार चल रही है और चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
राबड़ी देवी ने साधा निशाना
बीजेपी के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेत्री राबड़ी देवी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह सवाल नीतीश कुमार से पूछा जाना चाहिए कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसा बयान क्यों दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके लिए नीतीश कुमार कोई बड़ा मुद्दा नहीं हैं, बल्कि बिहार की जनता ही असली मुद्दा है।
नीतीश कुमार की चुप्पी और राजनीतिक संकेत
नीतीश कुमार ने इस पूरे विवाद पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी ने इस तरह के बयान दिए हैं। इससे पहले भी कई बार दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही है। जेडीयू की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही कोई औपचारिक बयान दे सकती है।
चुनावी समीकरण और गठबंधन की स्थिति
बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन कई सालों से चुनाव लड़ता आ रहा है, लेकिन हर चुनाव में मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति असमंजस में रही है। साल 2020 के विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम फेस के रूप में स्वीकार किया था, लेकिन अब बीजेपी के हालिया बयान से यह स्पष्ट नहीं है कि क्या चुनाव के बाद भी यह स्थिति बनी रहेगी।
आगे की रणनीति क्या होगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की यह रणनीति चुनावी नतीजों के आधार पर मुख्यमंत्री पद को लेकर ज्यादा मोलभाव करने की हो सकती है। अगर बीजेपी को अधिक सीटें मिलती हैं, तो वह नीतीश कुमार की जगह अपना मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर सकती है। वहीं, जेडीयू के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि गठबंधन में बने रहने के बावजूद पार्टी को अपने नेतृत्व को लेकर असमंजस में रहना पड़ सकता है।
बिहार की राजनीति में यह बयानबाजी चुनावी माहौल को और गरमाने वाली है। देखना यह होगा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच तालमेल चुनाव तक कैसे बना रहता है और क्या मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई नया विवाद खड़ा होता है या नहीं।