आगरा में गुरु तेग बहादुर साहिब का शहादत दिवस श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। शहर के प्रमुख गुरुद्वारों—गुरुद्वारा गुरु का ताल, गुरुद्वारा माईथान, गुरुद्वारा दशमेश दरबार और गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब—में विशेष कीर्तन, अरदास और प्रवचनों का आयोजन किया गया। इस मौके पर संगत ने गुरु जी के बलिदान को याद किया, जिन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
गुरु तेग बहादुर जी को “हिंद की चादर” के रूप में जाना जाता है। उनका बलिदान न केवल हिंदू धर्म बल्कि पूरे देश की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए था। यह दिन हमें उनकी शिक्षा और त्याग के प्रति प्रेरित करता है।
गुरुद्वारा गुरु का ताल में भव्य कीर्तन समागम
गुरुद्वारा गुरु का ताल में आयोजित विशेष कीर्तन समागम शहर भर के कार्यक्रमों का केंद्र रहा। इस दौरान कई प्रसिद्ध रागी जत्थों और धर्म प्रचारकों ने गुरु तेग बहादुर साहिब के जीवन, उनके बलिदान और उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला।
रुद्रपुर से आए प्रसिद्ध रागी भाई गुरविंदर सिंह ने “गुरु तेग बहादुर सिमरिए, घर नौ निधि आवे धाए” का गायन कर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने गुरु जी की आगरा में गिरफ्तारी और उनके साथियों—भाई मति दास, भाई सती दास, और भाई दयाला जी—की शहादत की कहानी विस्तार से सुनाई।
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने गुरु जी के बलिदान को मानवता, धार्मिक स्वतंत्रता और साहस का प्रतीक बताया। बाबा राजेंद्र सिंह, बाबा अमरीक सिंह और महंत हरपाल सिंह जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों ने संगत को संबोधित किया और गुरु जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।
गुरुद्वारा माईथान में श्रद्धा से मना शहीदी दिवस
गुरुद्वारा माईथान में अखंड कीर्तनी जत्था द्वारा कीर्तन कार्यक्रम आयोजित किया गया। भाई जसपाल सिंह ने आसा दी वार का कीर्तन किया, जबकि भाई गुरविंदर सिंह ने “एक गुरमुख परोपकारी विरला आया” का गायन कर संगत को भावविभोर कर दिया।
भाई हरजीत सिंह ने “शीश दिया पर सी ना उचरी” का गायन करते हुए गुरु तेग बहादुर साहिब के बलिदान की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि गुरु जी ने अपने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
महिलाओं की स्त्री सत्संग सभा ने भी गुरबाणी का मधुर गायन किया। गुरुद्वारा माईथान के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी कुलविंदर सिंह ने सरबत के भले की अरदास की।
गुरुद्वारा दशमेश दरबार में कीर्तन दरबार
गुरुद्वारा दशमेश दरबार में शहीदी दिवस के अवसर पर कीर्तन दरबार आयोजित किया गया। ज्ञानी मंशा सिंह ने रहरास साहिब के पाठ से कार्यक्रम की शुरुआत की। हजूरी रागी भाई अर्शदीप सिंह और भाई गुरशरण सिंह ने अमृतमयी कीर्तन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में संगत ने गुरु जी की शिक्षाओं पर चिंतन किया। वक्ताओं ने बताया कि गुरु जी का जीवन हमें सिखाता है कि हमें हर परिस्थिति में सत्य और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए।
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब, लोहामंडी में सुखमनी साहिब का पाठ
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब, लोहामंडी में गुरु तेग बहादुर साहिब का बलिदान दिवस विशेष सुखमनी साहिब के पाठ के साथ मनाया गया। स्त्री सत्संग सभा की बहनों ने गुरबाणी का गायन किया और गुरु जी के बलिदान की कहानियां सुनाईं।
इस अवसर पर मधु सुखलानी, हरमीत कौर, और चांदनी भोजवानी समेत कई महिलाएं प्रमुख रूप से उपस्थित रहीं।
गुरु तेग बहादुर साहिब का जीवन और बलिदान
गुरु तेग बहादुर साहिब का बलिदान इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा के लिए अपना शीश अर्पण कर दिया। उनकी गिरफ्तारी आगरा में हुई थी, जहां से उन्हें दिल्ली ले जाया गया। चांदनी चौक में उनकी शहादत ने अन्याय के खिलाफ लड़ने का साहस और प्रेरणा दी।
गुरु जी का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म, मानवता और सत्य की रक्षा के लिए हमें हर बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए। उनका त्याग आज भी हर व्यक्ति को प्रेरित करता है।
एकता और सेवा का संदेश
सभी गुरुद्वारों में वक्ताओं ने गुरु तेग बहादुर साहिब की शिक्षाओं को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने संगत से कहा कि हमें सेवा और एकता की भावना के साथ समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
गुरु जी का जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर मानवता की भलाई के लिए काम करें।
प्रमुख उपस्थित लोग
इस अवसर पर कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने भाग लिया।
- गुरुद्वारा गुरु का ताल: बाबा राजेंद्र सिंह, महंत हरपाल सिंह और भाई गुरविंदर सिंह।
- गुरुद्वारा माईथान: ज्ञानी कुलविंदर सिंह, जसपाल सिंह और चेयरमैन परमात्मा सिंह।
- गुरुद्वारा दशमेश दरबार: हरपाल सिंह, राजू सलूजा और अन्य सम्मानित व्यक्ति।
- गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब, लोहामंडी: मधु सुखलानी, हरमीत कौर और चांदनी भोजवानी।
इन सभी की उपस्थिति ने कार्यक्रमों को सफल और प्रेरणादायक बनाया।
गुरु तेग बहादुर साहिब का शहादत दिवस आगरा में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। यह दिन हमें उनके जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है।
गुरुद्वारों में आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से संगत ने गुरु जी के बलिदान को याद किया और उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। उनका त्याग मानवता, सहिष्णुता और साहस का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।