रेलवे के तत्काल टिकट बुकिंग में हो रहे बड़े घोटाले का पर्दाफाश करते हुए विजिलेंस टीम ने गिद्दड़बाहा स्टेशन पर छापा मारा। इस कार्रवाई में दो रेल कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है, जो दलालों से सांठगांठ कर यात्रियों से मोटी रकम वसूलकर फर्जी तरीके से तत्काल टिकट बुक कर रहे थे। यह घोटाला 1130 किमी दूर उत्तर प्रदेश के मुहम्मदाबाद स्टेशन से शुरू होकर लोकमान्य तिलक टर्मिनस, मुंबई तक फैला हुआ था।
कैसे हो रहा था फर्जीवाड़ा?
- मोटी रकम वसूलने का खेल: दलाल यात्रियों से कंफर्म टिकट बुक कराने के नाम पर अतिरिक्त पैसे लेते थे, जिसका हिस्सा रेलकर्मियों को दिया जाता था।
- फर्जी बुकिंग: विजिलेंस की छानबीन में यह पता चला कि गिद्दड़बाहा स्टेशन पर तत्काल टिकट बुकिंग के समय कोई भी यात्री मौजूद नहीं था।
- सील किए गए टिकट: विजिलेंस ने 11,800 रुपये के फर्जी टिकट जब्त किए हैं।
दलालों का व्यापक नेटवर्क
रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, दलालों का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है।
- फोकस रूट: अमृतसर से हावड़ा, नई दिल्ली से पटना और हावड़ा से मुंबई जैसे व्यस्त रूटों पर दलाल सक्रिय हैं।
- तत्काल टिकट की मांग: तत्काल टिकट बुकिंग का कोटा कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है, जिससे यात्रियों को दलालों की मदद लेनी पड़ती है।
विजिलेंस की कार्रवाई
- सूचना पर छापा: उत्तर रेलवे के विजिलेंस इंस्पेक्टर संदीप कुमार ने गुप्त सूचना पर गिद्दड़बाहा स्टेशन पर छापा मारा।
- रेलकर्मियों की गिरफ्तारी: दो रेलकर्मियों को मौके पर ही पकड़ा गया, लेकिन उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
तत्काल टिकट का संकट
- तेज टाइपिंग वालों को प्राथमिकता: जिन स्टेशनों पर कर्मचारियों की टाइपिंग स्पीड तेज होती है, वहीं तत्काल टिकट आसानी से बुक हो पाते हैं।
- यात्रियों की मजबूरी: वेटिंग टिकट के चलते यात्री मजबूरी में दलालों से टिकट बुक करवाने पर विवश होते हैं।
रेलवे की चुनौती
रेलवे प्रशासन इस फर्जीवाड़े के नेटवर्क को तोड़ने की पूरी कोशिश कर रहा है। विजिलेंस के इस एक्शन से यह साफ है कि दलालों और कर्मचारियों की मिलीभगत रेलवे की ईमानदारी पर सवाल खड़ा कर रही है।
आने वाले दिनों में रेलवे द्वारा और कड़े कदम उठाए जाने की उम्मीद है ताकि यात्रियों को इस प्रकार के घोटाले से बचाया जा सके।