सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज, आगरा और पर्थ, ऑस्ट्रेलिया के अस्पताल के बीच साझेदारी: वैश्विक चिकित्सा सहयोग की नई दिशा
भारत के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (SNMC), आगरा, ने चिकित्सा क्षेत्र में वैश्विक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस प्रयास के तहत, कॉलेज और ऑस्ट्रेलिया के पर्थ स्थित एक प्रमुख अस्पताल के बीच एक विशेष ट्विनिंग पार्टनरशिप कोलैबोरेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 4 दिसंबर, 2024 को कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के चिकित्सा विशेषज्ञों, शिक्षकों और छात्रों के बीच ज्ञान, कौशल और तकनीकी अनुभवों का आदान-प्रदान करना है।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
चिकित्सा क्षेत्र में तेजी से बदलती प्रौद्योगिकियों और वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर, यह कार्यक्रम भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु का कार्य करेगा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था:
- दोनों देशों के मेडिकल छात्रों और शिक्षकों के बीच ज्ञान साझा करना।
- बुजुर्गों में प्रमुख बीमारियों के प्रबंधन और देखभाल के लिए नई रणनीतियों पर चर्चा करना।
- भारतीय छात्रों और शिक्षकों को ऑस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण और शोध के अवसर प्रदान करना।
- चिकित्सा क्षेत्र में वैश्विक मानकों को अपनाने और उसे भारत में लागू करने की दिशा में कदम उठाना।
मुख्य वक्ता और उनके विचार
इस कार्यक्रम में पर्थ, ऑस्ट्रेलिया से आए दो प्रतिष्ठित चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके व्याख्यान कार्यक्रम की मुख्य विशेषता रहे।
डॉ. भास्कर मंडल: बुजुर्गों की देखभाल पर ध्यान
डॉ. भास्कर मंडल, जो बुजुर्गों की चिकित्सा देखभाल में विशेषज्ञता रखते हैं, ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आज के युग में बुजुर्गों की स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। डिमेंशिया, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और बोन फ्रैक्चर जैसी बीमारियां बुजुर्गों में आम होती जा रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए कंप्रिहेंसिव और इंटीग्रेटेड केयर को अपनाना बेहद जरूरी है।
उन्होंने विस्तार से बताया कि:
- डिमेंशिया जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शुरुआती निदान और सही प्रबंधन कैसे किया जाए।
- बुजुर्गों में होने वाले हृदय रोगों के लिए समग्र उपचार पद्धतियां।
- हड्डियों के फ्रैक्चर के मामलों में तेजी से रिकवरी के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग।
- बुजुर्गों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए परिवार और सामुदायिक समर्थन का महत्व।
डॉ. मंडल ने बताया कि भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बुजुर्गों की बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए, चिकित्सा पेशेवरों को विशेष प्रशिक्षण और संसाधनों की आवश्यकता है।
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डॉ. साधना बोस: अंतर्राष्ट्रीय अवसरों पर जोर
डॉ. साधना बोस ने कार्यक्रम के दौरान छात्रों और पोस्ट-ग्रेजुएट्स के लिए पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध ऑब्जर्वरशिप और फेलोशिप के अवसरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि SNMC के छात्र और शिक्षक पर्थ के अस्पताल में जाकर अपनी चिकित्सा क्षमताओं को और बेहतर बना सकते हैं।
डॉ. बोस ने निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया:
- भारतीय छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण का अनुभव मिलेगा।
- फेलोशिप कार्यक्रम के तहत छात्रों को उन्नत तकनीकों और अनुसंधान में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
- यह साझेदारी छात्रों को चिकित्सा क्षेत्र में वैश्विक मानकों को समझने और उसे अपनाने में मदद करेगी।
- छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में चिकित्सा क्षेत्र में रोजगार और अनुसंधान के नए अवसर मिलेंगे।
कार्यक्रम के आयोजक और प्रमुख हस्तियां
इस कार्यक्रम का आयोजन SNMC के कार्डियोलॉजी विभाग और मेडिसिन विभाग के संयुक्त प्रयासों से किया गया। कार्यक्रम में कॉलेज के कई वरिष्ठ शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।
उपस्थित प्रमुख हस्तियों में शामिल थे:
- डॉ. मृदुल चतुर्वेदी, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन।
- डॉ. बलबीर सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक।
- डॉ. टी.पी. सिंह, विशेषज्ञ।
- डॉ. मनीष बंसल, कार्डियोलॉजी विभाग।
- डॉ. बसंत कुमार गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी एवं ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी।
- डॉ. अखिल प्रताप, डॉ. अजीत, डॉ. राम, और डॉ. प्रीति भारद्वाज, संकाय सदस्य।
साझेदारी के संभावित लाभ
इस साझेदारी से दोनों देशों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं:
- भारत में चिकित्सा शिक्षा का उन्नयन: भारतीय छात्र और शिक्षक ऑस्ट्रेलिया में नवीनतम तकनीकों और प्रक्रियाओं को सीखकर उन्हें भारत में लागू कर सकते हैं।
- वैश्विक अनुभव: भारतीय छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा क्षेत्र में काम करने का अनुभव मिलेगा, जिससे उनका आत्मविश्वास और कौशल बढ़ेगा।
- अनुसंधान में सहयोग: दोनों देशों के चिकित्सा विशेषज्ञ मिलकर नई दवाओं, उपचार विधियों और प्रौद्योगिकियों पर शोध कर सकते हैं।
- चिकित्सा क्षेत्र में रोजगार के अवसर: भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में नौकरी और शोध के अवसर मिल सकते हैं।
- संस्थान की साख में वृद्धि: इस साझेदारी से SNMC की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साख बढ़ेगी।
बुजुर्गों की देखभाल: एक वैश्विक चुनौती
कार्यक्रम में बुजुर्गों की देखभाल के महत्व पर विशेष जोर दिया गया। आज के समय में दुनिया भर में बुजुर्ग जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में उनके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र और समन्वित देखभाल पद्धतियां आवश्यक हैं।
डिमेंशिया और मानसिक स्वास्थ्य
डिमेंशिया एक ऐसी स्थिति है जो बुजुर्गों में याददाश्त, सोचने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करती है। डॉ. मंडल ने इस समस्या के शुरुआती लक्षणों को पहचानने और उनके प्रबंधन के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की।
हृदय रोग और स्ट्रोक
बुजुर्गों में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। कार्यक्रम में इन समस्याओं के लिए नवीनतम उपचार पद्धतियों और पुनर्वास कार्यक्रमों पर चर्चा की गई।
हड्डियों की समस्याएं
बुजुर्गों में हड्डियों के कमजोर होने और फ्रैक्चर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। कार्यक्रम में इन समस्याओं के लिए नई सर्जिकल तकनीकों और पुनर्वास प्रक्रियाओं पर चर्चा की गई।
छात्रों की प्रतिक्रियाएं
कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों ने इस पहल को बेहद प्रेरणादायक और उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि:
- “यह कार्यक्रम हमें चिकित्सा क्षेत्र में वैश्विक मानकों को समझने और अपनाने में मदद करेगा।”
- “ऑस्ट्रेलिया में प्रशिक्षण और शोध का अनुभव हमारे करियर को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।”
आगे की राह
इस कार्यक्रम के बाद SNMC और पर्थ के अस्पताल के बीच नियमित संवाद और सहयोग बनाए रखने की योजना है। दोनों संस्थान मिलकर अनुसंधान, प्रशिक्षण और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे।
निष्कर्ष
सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज, आगरा और पर्थ, ऑस्ट्रेलिया के अस्पताल के बीच यह साझेदारी चिकित्सा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत कर सकती है। यह कार्यक्रम न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, बल्कि दोनों देशों के स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।