संभल हिंसा पर सपा का फोकस, प्रतिनिधिमंडल भेजने की तैयारी
उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा का मामला राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चाओं में बना हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने हिंसा की जांच और तथ्य जुटाने के लिए एक 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को संभल भेजने का निर्णय लिया है।
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय की अगुवाई में यह प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात करेगा और घटना की पूरी जानकारी इकट्ठा कर सपा मुखिया अखिलेश यादव को सौंपेगा। इस बीच, माता प्रसाद के लखनऊ स्थित आवास पर पुलिस की तैनाती की खबरें भी आई हैं।
पुलिस तैनाती पर माता प्रसाद की प्रतिक्रिया
माता प्रसाद पांडेय ने पुलिस तैनाती पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “मुझे कहीं भी जाने का अधिकार है। नियमानुसार, मुझे नोटिस देना चाहिए था कि मैं वहां नहीं जा सकता। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। यह सरकार हमें जानबूझकर रोक रही है।” उन्होंने आगे कहा कि मस्जिद के सर्वे और हिंसा से जुड़े तथ्यों की जांच के लिए न्याय आयोग और मीडिया के लोग जा सकते हैं, तो विपक्ष क्यों नहीं?
जामा मस्जिद हिंसा: प्रमुख घटनाक्रम
रविवार सुबह जामा मस्जिद के पास भीड़ और पुलिस के बीच टकराव हो गया था। भीड़ ने पत्थरबाजी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। हिंसा के दौरान कुछ वाहनों को आग लगाने का वीडियो भी सामने आया है।
घटनास्थल पर नुकसान:
- तीन कारों और छह बाइकों को जलाने की पुष्टि हुई है।
- वीडियो फुटेज में उपद्रवी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते दिखाई दे रहे हैं।
- भीड़ के पथराव और झड़प में कई लोग घायल हुए।
पुलिस की कार्रवाई:
- 250 उपद्रवियों की तस्वीरें जारी की गई हैं।
- संदिग्धों की पहचान के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए जा रहे हैं।
- पुलिस आरोपियों की धरपकड़ के लिए पूरी तरह सक्रिय है।
सपा की मांग और आरोप
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि घटना के पीछे प्रशासन की लापरवाही है। उन्होंने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का पालन न होने का आरोप लगाते हुए सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
सपा ने पहले डीजीपी से निष्पक्ष जांच का आश्वासन मिलने पर अपनी यात्रा स्थगित कर दी थी, लेकिन अब प्रतिनिधिमंडल 30 नवंबर को संभल जाएगा।
प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य
सपा का यह प्रतिनिधिमंडल हिंसा के दौरान हुई घटनाओं और उनके पीछे की परिस्थितियों का अध्ययन करेगा। इसके बाद यह रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को सौंपी जाएगी।
हिंसा के प्रति सख्त कदम उठाने की आवश्यकता
जामा मस्जिद हिंसा ने कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार की चुनौतियों को उजागर किया है। विपक्ष के सवालों के बीच, प्रशासन ने आरोपियों की पहचान और कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी है।
संभल के इस मामले पर राजनीति और कानूनी कदमों की निगरानी के साथ, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या सुधार किए जाते हैं।
(यह लेख संतुलित और जिम्मेदारीपूर्वक तैयार किया गया है, ताकि विषय के प्रति संवेदनशीलता बनी रहे।)