आगरा, 4 दिसंबर:
पिछले छह महीनों से आंदोलन कर रहे छह फैक्ट्रियों के श्रमिकों ने बुधवार को अपनी मांगों को लेकर कमिश्नरी कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू कर दी। श्रमिकों के इस कदम से प्रशासन तत्काल हरकत में आया। मंडलायुक्त के हस्तक्षेप के बाद जिलाधिकारी (डीएम) ने श्रमिकों को वार्ता के लिए 5 दिसंबर को अपने कार्यालय बुलाने का निर्णय लिया है। यह वार्ता सुबह 11 बजे आयोजित होगी।
पिछले छह माह से आंदोलनरत मजदूर
आंदोलनरत मजदूरों में जगदीश मेटल्स, बैनारा बेयरिंग्स एंड पिस्टन्स यूनिट 1 और यूनिट 2, विनय आयरन फाउंड्री, और बैनारा ऑटोज जैसी फैक्ट्रियों के श्रमिक शामिल हैं। ये मजदूर 11 जून से अपने हक के लिए धरना दे रहे हैं। उनकी मुख्य मांगों में वेतन, बोनस, ग्रेच्युटी, प्रोविडेंट फंड (पीएफ), और ईएसआई के भुगतान का मुद्दा शामिल है।
मजदूरों का आरोप है कि उन्हें महीनों तक वेतन नहीं मिलता। अगर कभी वेतन दिया भी जाता है, तो उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया जाता है। इसके अलावा, फैक्ट्री मालिक पिछले दो-तीन साल से बोनस भी नहीं दे रहे हैं। वृद्ध श्रमिकों को सेवानिवृत्त करने के बजाय जबरदस्ती काम करवाया जा रहा है।
प्रोविडेंट फंड और ईएसआई में घोटाले का आरोप
मजदूरों ने आरोप लगाया है कि फैक्ट्री मालिक उनके वेतन से प्रोविडेंट फंड और ईएसआई की कटौती करते हैं, लेकिन इसे संबंधित विभागों में जमा नहीं किया जाता। इसके अलावा, जब मजदूरों ने फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी चाही, तो पुलिस ने भी मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
भुखमरी के कगार पर मजदूरों के परिवार
किसान-मजदूर नेता चौधरी दिलीप सिंह के अनुसार, श्रमिकों के परिवार भुखमरी की स्थिति में पहुंच गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कल की वार्ता में प्रशासन और फैक्ट्री मालिकों ने उनकी मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो श्रमिक 18 दिसंबर से परिवार सहित मंडलायुक्त कार्यालय पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे।
भूख हड़ताल में शामिल प्रमुख श्रमिक
आज की भूख हड़ताल में कई प्रमुख श्रमिक नेता और मजदूर उपस्थित रहे। इनमें विष्णु भगवान शर्मा, चौधरी रोहन सिंह, खरग सिंह, भीकचंद्र उपाध्याय, विजेंद्र कुशवाह, राजकुमार शर्मा, कन्हैया लाल शर्मा, राकेश शर्मा, राजू सविता, सीताराम, रमेश चंद्र, अमर पाल, बद्रीप्रसाद, श्यामबाबू, जयवीर सिंह, राजेश कुमार, रघुवीर सिंह, भूरा, सुरेश कुमार, देवेंद्र कुमार, और मुकेश कुमार शामिल हैं।
आंदोलन की अगली रणनीति पर नजर
मजदूरों ने साफ किया है कि अगर प्रशासन और फैक्ट्री मालिक उनकी मांगों को लेकर संवेदनशील नहीं हुए, तो आंदोलन को और व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा। अब सबकी नजर 5 दिसंबर को डीएम के साथ होने वाली वार्ता पर है। यह बैठक मजदूरों के भविष्य और उनके परिवारों की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
निष्कर्ष:
मजदूरों की लंबे समय से चल रही समस्याएं उनके धैर्य की परीक्षा ले रही हैं। प्रशासन और फैक्ट्री मालिकों के रवैये के कारण स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। कल की वार्ता मजदूरों और प्रशासन दोनों के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है।