फिर नई इबारत लिखने को तैयार योद्धा कुलपति
डॉ. अनिल कुमार दीक्षित
आदमी की काबिलियत ज़माना कहता है, नज़ीरें बन जाती हैं, बड़ी लकीर खींच देता है जो काबिल होता है। उत्तर प्रदेश का छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर यूं ही सर्वश्रेष्ठ नहीं बन गया। ज़माने से हालात खराब थे, पर सही नेतृत्व पर ऐसा चमका कि, नज़ीर बन गया। यह पंक्तियां नायक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को सलाम है, जिन्हें बेहतरीन काम को देखते हुए कार्यकाल विस्तार मिला है। योद्धा कुलपति नई कहानी लिखने के लिए तैयार दिखते हैं।
प्रो. पाठक की उपलब्धियों को देखने के लिए अकेले कानपुर नहीं, बल्कि उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी, वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी राजस्थान, राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी, एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ, एचबीटीआई कानपुर और डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में उनका कुलपति कार्यकाल भी देखना होगा। हर जगह उदाहरण हैं, ये सभी विश्वविद्यालय अपने पुराने ढर्रे से उतरकर कामयाबी की कहानी गढ़ रहे हैं। मेरी इसी प्रोफाइल पर पुरानी पोस्ट पढ़िए, कि कैसे उन्होंने, किन हालात में ये कमाल किया है। माफिया से लड़कर, उसे हराने के लिए क्या-क्या नहीं झेला, लेकिन हार नहीं मानी। योद्धा कुलपति ने पटरी से उतरती शिक्षा को कुशलता से सम्हालकर जैसे इतिहास रचा है।
यदि उनके बाद आए कुलपतियों ने ढंग से काम किया हो, तो इन सभी विश्वविद्यालय में माहौल सुखद है। मैं आगरा विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र हूं, मुझे नहीं याद कि प्रो. पाठक से पहले किसी कुलपति ने यूनिवर्सिटी के लिए इतना कुछ किया हो। अन्य विश्वविद्यालयों के बारे में भी ऐसे ही अनुभव मुझे पता हैं। देश में आम तौर पर विश्वविद्यालयों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनका शैक्षिक और आर्थिक तंत्र जर्जर हो जाना है। संसाधनों का अभाव है और कहीं कोई काम करना नहीं चाहता। सरकारी मतलब आराम की नौकरी। ऐसे में प्रो. पाठक सरीखे विजनरी एजुकेशन लीडर का नेतृत्व मिल जाना, इन यूनिवर्सिटीज के लिए संजीवनी रहा। सभी जगह शिक्षा का माहौल है, परीक्षाएं सुचारू और शुचितापूर्ण हैं, और चूंकि छात्रों की कमी नहीं तो धनाभाव भी खत्म।
मैंने प्रो. पाठक की कार्यशैली का नजदीकी से अध्ययन किया है, और बेशक मैं उन पर किताब भी लिखना चाहूंगा कि कैसे करिश्माई शिक्षक ने जर्जर शिक्षा व्यवस्था का कायाकल्प कर दिया। परीक्षा सिस्टम देखिए, आप भी मानेंगे हैं कि कमाल हुआ है। प्रो. पाठक की योजना का लोहा मानेंगे आप। पेपर लीक हो जाना एक सबसे बड़ी बीमारी है जो कहीं न कहीं आजकल अक्सर हो जाया करती है। उन्होंने परीक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं और कुछ प्रस्तावित हैं, कि इन यूनिवर्सिटीज में पेपर लीक और साल्वर गैंग का धंधा बंद। उत्तर प्रदेश की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने प्रो. पाठक को कार्यकाल विस्तार दिया है। निश्चित रूप से प्रोफेसर पाठक जैसे कुलपति की देश के हर विश्वविद्यालय में आवश्यकता है। ऐसे में ये खबर सुकूनदेह है।
(लेखक दैनिक जागरण आईनेक्स्ट कानपुर के पूर्व संपादकीय प्रमुख हैं।)