प्रकाश पर्व 2024: गुरुद्वारा गुरु का ताल पर मनमोहक आतिशबाजी और भक्ति का अद्भुत संगम, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
आगरा। सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा गुरु का ताल भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का केंद्र बना रहा। सुबह 4 बजे से देर रात तक श्रद्धालु गुरुद्वारे में उमड़ते रहे। गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेकते हुए और अरदास करते हुए संगत ने गुरु महाराज की खुशियां प्राप्त कीं।
रंग-बिरंगी सजावट और इको-फ्रेंडली आतिशबाजी बनी आकर्षण का केंद्र
गुरुद्वारा परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था। झिलमिलाती झालरें और रंगीन रोशनी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही थीं। लोग इस सुंदरता को कैमरे में कैद करने और सेल्फी लेने में व्यस्त दिखे। रात्रि 9 बजे संत बाबा प्रीतम सिंह ने आतिशबाजी का उद्घाटन किया। अलीगढ़ के प्रसिद्ध आतिशबाज सरदार मोहन सिंह ने पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इको-फ्रेंडली आतिशबाजी पेश की।
आसमान में ‘एक ओंकार’ और ‘खंडा साहिब’ की आकृतियों ने श्रद्धालुओं को रोमांचित कर दिया। लगभग 2 घंटे तक रंग-बिरंगे सितारे बिखेरती आतिशबाजी ने भक्ति और आनंद का माहौल बना दिया।
भक्ति और सेवा का अद्वितीय अनुभव
गुरुद्वारा के हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह ने शबद कीर्तन द्वारा गुरु नानक देव जी के संदेश “सतगुरु नानक परगटिया मिट्टी धुंध चानन होया” का गायन किया। कथावाचक ज्ञानी केवल सिंह ने “नाम जपो, कृत करो, वंड छको” का संदेश संगत को समझाया।
गुरुद्वारे के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने ऊंच-नीच, जात-पात, और छुआछूत जैसी कुरीतियों का खंडन करते हुए सर्व समाज को एकता का संदेश दिया।
लंगर में 1 लाख श्रद्धालुओं ने पाया प्रसाद
प्रकाश पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भव्य लंगर प्रसाद की व्यवस्था की गई। सुबह 8 बजे से रात 1 बजे तक भाई नंदलाल दीवान हॉल में मिठाई और लंगर प्रसाद बांटा गया। सेवादारों की टीम ने 22 घंटे तक लगातार सेवा देकर यह सुनिश्चित किया कि किसी श्रद्धालु को असुविधा न हो।
इस आयोजन में जत्थेदार बाबा राजेंद्र सिंह इंदौरिया, बाबा अमरीक सिंह, महंत हरपाल सिंह, और अन्य प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति ने इसे और विशेष बना दिया।
सर्व समाज के लिए प्रेरणा
प्रकाश पर्व ने न केवल सिख समाज बल्कि सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होकर गुरु नानक देव जी के संदेशों पर चलने की प्रेरणा दी। श्रद्धालुओं ने भक्ति, सेवा और सामूहिकता के इस अद्भुत संगम का आनंद उठाया।