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झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: प्रधानाचार्य हटाए गए, तीन निलंबित

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लखनऊ, 27 नवंबर: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड, जिसमें दस नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई थी, के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस हृदय विदारक घटना को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। चार सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर को उनके पद से हटा दिया गया है। साथ ही, कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. सचिन माहुर को आरोप पत्र जारी किया गया है, जबकि तीन अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।


घटना का संक्षिप्त विवरण

15 नवंबर 2024 को झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में अचानक आग लगने से दस नवजात शिशुओं की दर्दनाक मृत्यु हो गई। यह हादसा रात के समय हुआ, जब एनआईसीयू में बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण आग भड़क उठी। घटना के बाद वहां मौजूद कर्मचारियों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि नवजात शिशुओं को बचाने में असफल रहे।

घटना के तुरंत बाद मेडिकल कॉलेज परिसर में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। हादसे की खबर मिलते ही परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। यह घटना पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई, और सरकार को कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा।


डिप्टी सीएम का घटनास्थल दौरा

अग्निकांड के तुरंत बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। डिप्टी सीएम ने कहा, “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और असहनीय है। सरकार इसकी जिम्मेदारी लेने वालों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।” उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि इस घटना की विस्तृत जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की जाए।


जांच कमेटी की सिफारिशें

डिप्टी सीएम के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अस्पताल प्रशासन और अन्य संबंधित अधिकारियों की लापरवाही को हादसे का मुख्य कारण बताया। रिपोर्ट में पाया गया कि:

  1. विद्युत व्यवस्था में खामी: एनआईसीयू में बिजली का प्रबंधन और उपकरणों की देखरेख ठीक से नहीं की गई थी।
  2. सुरक्षा उपायों की कमी: आग बुझाने के उपकरण या तो अनुपलब्ध थे या उनका रखरखाव नहीं किया गया था।
  3. मानव संसाधन की लापरवाही: हादसे के समय एनआईसीयू में तैनात कर्मचारियों की संख्या पर्याप्त नहीं थी, और जो मौजूद थे, उन्होंने समय पर आग को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए।

जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने त्वरित कार्रवाई की।


जिम्मेदारों पर कार्रवाई

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने चार सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद निम्नलिखित कदम उठाए:

  1. प्रधानाचार्य हटाए गए:
    मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर को उनके पद से हटा दिया गया। उन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है।
  2. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पर आरोप पत्र:
    कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. सचिन माहुर को आरोप पत्र जारी किया गया है। उनकी भूमिका की जांच अभी जारी है।
  3. तीन अन्य निलंबित:
  • अवर अभियंता (विद्युत) संजीत कुमार: विद्युत प्रबंधन में लापरवाही के लिए निलंबित।
  • एनआईसीयू वार्ड की नर्सिंग सिस्टर संध्या राय: एनआईसीयू में सुरक्षा उपायों की निगरानी में चूक के लिए निलंबित।
  • प्रमुख अधीक्षक डॉ. सुनीता राठौर: एनआईसीयू की सुरक्षा और प्रबंधन में लापरवाही के लिए निलंबित।

कमिश्नरी जांच के आदेश

घटना की गंभीरता को देखते हुए डिप्टी सीएम ने झांसी मण्डलायुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। उनके नेतृत्व में बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओम शंकर चौरसिया, सर्जरी विभाग के सह-आचार्य डॉ. कुलदीप चंदेल, और विद्युत प्रभारी अधिकारी की भूमिका की विस्तृत जांच की जाएगी।


घटना के कारण और संभावित समाधान

घटना के प्रमुख कारण:

  1. बिजली का शॉर्ट सर्किट:
    एनआईसीयू में लगे उपकरणों की समय पर जांच और मेंटेनेंस नहीं हुई थी।
  2. आग बुझाने के उपकरणों की अनुपस्थिति:
    एनआईसीयू में आग बुझाने वाले यंत्र या तो अनुपलब्ध थे या खराब स्थिति में थे।
  3. कर्मचारियों का अभाव:
    हादसे के समय वार्ड में पर्याप्त कर्मचारी मौजूद नहीं थे, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

संभावित समाधान:

  1. सुरक्षा मानकों का पालन:
    सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच और रखरखाव अनिवार्य किया जाए।
  2. कर्मचारियों का प्रशिक्षण:
    मेडिकल स्टाफ को आग लगने जैसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए।
  3. बिजली प्रबंधन की जांच:
    अस्पतालों में विद्युत उपकरणों और वायरिंग की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए।
  4. सीसीटीवी निगरानी:
    एनआईसीयू और अन्य महत्वपूर्ण वार्डों में सीसीटीवी निगरानी के जरिए किसी भी आपात स्थिति पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

पीड़ित परिवारों को राहत

उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे में मारे गए बच्चों के परिजनों को हर संभव सहायता देने का वादा किया है। पीड़ित परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। डिप्टी सीएम ने कहा कि सरकार भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी।

परिजनों की भावनाएं

घटना के बाद पीड़ित परिवारों में शोक का माहौल है। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को हादसे का मुख्य कारण बताया और सख्त कार्रवाई की मांग की।


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

इस हादसे ने न केवल सरकार को बल्कि समाज और राजनीतिक दलों को भी झकझोर दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे प्रशासनिक विफलता करार दिया। समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने कहा, “यह घटना सरकार की लापरवाही का परिणाम है।”

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने सरकार की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और कहा कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।


निष्कर्ष

झांसी मेडिकल कॉलेज का अग्निकांड एक हृदय विदारक घटना है जिसने प्रदेश के चिकित्सा तंत्र की खामियों को उजागर किया है। हालांकि, सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर दोषियों को दंडित किया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

इस हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों और प्रबंधन की गंभीरता से समीक्षा की जानी चाहिए। साथ ही, मेडिकल स्टाफ और प्रशासन को सुरक्षा मानकों के प्रति अधिक सतर्क रहना होगा।

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