
अयोध्या कचहरी में लावारिस बैग से तमंचे और कारतूस मिले। सुरक्षा पर सवाल, CCTV फुटेज से आरोपी की तलाश। जिला जज ने की आपात बैठक।
अयोध्या, शनिवार, 6 सितम्बर 2025, दोपहर 3:31 बजे IST
अयोध्या की जिला कचहरी परिसर में एक लावारिस बैग मिलने से हड़कंप मच गया है। रूटीन चेकिंग के दौरान शेड नंबर पांच में रखे इस बैग की जांच में पुलिस को तमंचे और कारतूस बरामद हुए, जिससे प्रशासन के होश उड़ गए। घटना ने न्यायिक परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब पुलिस CCTV फुटेज खंगाल रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बैग किसने और कब रखा।
सूत्रों के अनुसार, यह बैग सुबह 8 से 8:45 बजे के बीच किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा परिसर में रखा गया और वह मौके से फरार हो गया। पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपी की पहचान के लिए जांच शुरू कर दी गई है। एसपी सिटी चक्रपाणि त्रिपाठी ने कहा है कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
यह घटना इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि 22 सितम्बर 2007 को फैजाबाद कचहरी में हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद यहां सुरक्षा व्यवस्था को सख्त किया गया था। मेटल डिटेक्टर, बैरिकेडिंग और नियमित चेकिंग की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अब बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सूर्य नारायण सिंह ने मेटल डिटेक्टरों को “शोपीस” बताते हुए डीएम और जिला जज से शिकायत करने की बात कही है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला जज रणंजय कुमार वर्मा ने न्यायालय परिसर की सुरक्षा को लेकर एक आपात बैठक बुलाई। बैठक में सीजेएम सुधांशु शेखर उपाध्याय और एडीजे प्रदीप कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। जिला जज ने सुरक्षा व्यवस्था को और चाक-चौबंद करने के निर्देश दिए और कहा कि न्यायिक परिसर की गरिमा और सुरक्षा सर्वोपरि है।
उन्होंने जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे और एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर से फोन पर वार्ता कर सुरक्षा में हुई चूक पर कार्रवाई की अपेक्षा जताई। साथ ही, एसपी सिटी चक्रपाणि त्रिपाठी और सीओ सिटी शैलेंद्र सिंह को निर्देश दिया गया कि तमंचे और कारतूस की बरामदगी की सत्यता की गहराई से जांच की जाए।
इसके बाद जिला जज ने जिलाधिकारी और एसएसपी के साथ मिलकर कचहरी परिसर के प्रवेश और निकास द्वारों की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण भी किया। उन्होंने कहा कि न्यायिक परिसर में किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना न केवल अयोध्या की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि पूरे राज्य में न्यायिक परिसरों की निगरानी और सुरक्षा को लेकर एक नई बहस भी छेड़ती है। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच और प्रशासनिक कार्रवाई पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।