🎯 भारत की ऊर्जा नीति और अमेरिका संबंध: ट्रंप के रूसी तेल दावे पर MEA का दो टूक जवाब

📅 गुरुवार, 16 अक्टूबर 2025 | शाम 6:40 बजे | नई दिल्ली

नई दिल्ली में कूटनीतिक गलियारों में हलचल तब तेज़ हो गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सार्वजनिक बयान में दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रूस से तेल खरीद में कटौती का आश्वासन दिया है। इस बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर दिया। लेकिन भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी — विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई और भारत की आयात नीति पूरी तरह राष्ट्रहित पर आधारित है।

Donald Trump

🗣️ MEA का आधिकारिक बयान: ट्रंप के दावे पर सीधा खंडन

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार शाम को कहा:

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कल किसी बातचीत या फोन कॉल की जानकारी मेरे पास नहीं है।”

यह बयान न केवल ट्रंप के दावे को खारिज करता है, बल्कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को भी रेखांकित करता है। MEA ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत किसी भी एकतरफा दबाव में आकर अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव नहीं करेगा।

🛢️ भारत की ऊर्जा नीति: राष्ट्रहित सर्वोपरि

भारत ने हमेशा अपनी ऊर्जा नीति को राष्ट्रीय हितों पर आधारित रखा है। प्रवक्ता जायसवाल ने कहा:

“अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना सरकार की निरंतर प्राथमिकता रही है।”

भारत ने वैश्विक बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति के स्रोत को व्यापक और विविध बनाया है। रूस से कम कीमतों पर तेल खरीदना भारत की ऊर्जा रणनीति का हिस्सा है, जिसने देश को वैश्विक मुद्रास्फीति के दबाव से काफी हद तक बचाया है।

⚖️ एकतरफा प्रतिबंध और दोहरे मापदंड पर भारत का रुख

MEA ने ट्रंप के बयान के कुछ घंटे भीतर ही स्पष्ट कर दिया कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता। भारत का यह रुख अंतर्राष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है।

रणधीर जायसवाल ने कहा:

“हम किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करते हैं।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। भारत का यह कथन इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि कई पश्चिमी देश स्वयं भी अप्रत्यक्ष रूप से रूसी ऊर्जा का उपभोग कर रहे हैं, जबकि भारत पर प्रतिबंधों का दबाव डाल रहे हैं।

🇮🇳 अमेरिका के साथ संतुलन: संबंधों में कूटनीतिक समझदारी

MEA ने यह भी संकेत दिया कि भारत अमेरिका के साथ ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह बयान संबंधों में संतुलन बनाए रखने की भारत की रणनीति को दर्शाता है।

भारत ने यह स्पष्ट किया कि वह अमेरिका के साथ सहयोग को महत्व देता है, लेकिन यह सहयोग भारत की संप्रभुता और ऊर्जा सुरक्षा के साथ समझौता करके नहीं होगा।

🔥 अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव पर भारत का रुख

MEA ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी तनाव पर भी भारत का रुख स्पष्ट किया। प्रवक्ता जायसवाल ने कहा:

  • पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को पनाह देता है
  • अपनी आंतरिक विफलताओं के लिए पड़ोसियों को दोष देना उसकी पुरानी आदत है
  • भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता का समर्थन करता है

यह बयान पाकिस्तान की सीमा-पार आतंकवाद की नीति को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करता है और अफगानिस्तान के साथ भारत के मजबूत संबंधों को दर्शाता है।

📌 निष्कर्ष: भारत की बहु-ध्रुवीय विदेश नीति का स्पष्ट संदेश

विदेश मंत्रालय का यह बयान भारत की स्वतंत्र और बहु-ध्रुवीय विदेश नीति को पुष्ट करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों को सीधे खारिज करके भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में अपनी ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा, और उसकी नीतियां सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रहित से निर्देशित होंगी।

यह घटनाक्रम नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच मौजूदा तनाव को दर्शाता है, लेकिन भारत ने सावधानीपूर्वक अमेरिका के साथ ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने पर विचार करने का संकेत देकर संबंधों में कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश भी की है।

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संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in

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