आईएएस बनाम भारत: जब ‘सेवा’ के नाम पर सत्ता की भूख पलने लगी

बृज खंडेलवाल आज के भारत में अगर किसी बेरोजगार युवक से पूछो कि “क्या कर रहे हो?”, तो ज्यादातर जवाब आता है — “आईएएस की तैयारी कर रहा हूं।” जैसे…

बिहार का चुनाव: सियासी दंगल या लोकतंत्र की अग्नि परीक्षा?

बृज खंडेलवाल“बिहार का रण: सत्ता का संग्राम या जनता का इंतेक़ाम?”सियासत का पारा चढ़ चुका है, हवा में नारे हैं, गलियों में जोश है और दिलों में उबाल! पटना से…

घट गए इंसा, बढ़ गए साएवैवाहिक बंधनों से छटपटाहट: हमारे बेडरूम बन रहे खूनी युद्ध के मैदान

बृज खंडेलवालक्या हमारे बेडरूम अब ख़ून से सने जंग के मैदान बन रहे हैं? कभी बीवियाँ ईंटों से शौहर का सर कुचल देती हैं, तो कहीं आशिक लाश को सीमेंट…