
छत्तीसगढ़ में आदिवासी युवतियों के साथ पुलिस अत्याचार पर ब्रिंदा करात ने महिला आयोग को पत्र लिखा। निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की।
रायपुर, शनिवार, 6 सितम्बर 2025, रात 9:30 बजे IST
छत्तीसगढ़: आदिवासी युवतियों के साथ पुलिस अत्याचार पर ब्रिंदा करात का पत्र — महिला आयोग की निष्क्रियता पर सवाल
छत्तीसगढ़ के दुरई वन क्षेत्र में तीन आदिवासी युवतियों के साथ कथित रूप से पुलिस द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न और हिंसा के मामले में अब राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। पूर्व राज्यसभा सांसद और सीपीआई(एम) की केंद्रीय समिति की विशेष आमंत्रित सदस्य ब्रिंदा करात ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग को एक औपचारिक पत्र लिखकर इस मामले में आयोग की निष्क्रियता और पक्षपातपूर्ण रवैये पर गंभीर सवाल उठाए हैं।


पत्र में करात ने स्पष्ट किया है कि जुलाई 25 को हुई इस घटना की मीडिया रिपोर्टिंग और एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आयोग ने पीड़ितों से सीधे संवाद नहीं किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने केवल एक पीड़िता से मुलाकात की, जबकि बाकी दो को बुलाकर बयान दर्ज करने की कोशिश की गई — जो उनके मानसिक आघात को और बढ़ा सकता है। करात ने आयोग से आग्रह किया है कि वह पीड़ितों के गांव जाकर उनसे संवाद करे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि आयोग की जांच टीम में वही पुलिस अधिकारी शामिल था, जिसके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। करात ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह जांच निष्पक्ष हो सकती है, जब आरोपी ही जांच का हिस्सा हो? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या आयोग राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है, और क्या पीड़ितों को न्याय दिलाने की उसकी प्रतिबद्धता कमजोर हो चुकी है?
ब्रिंदा करात ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि आयोग का रवैया न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन भी है। उन्होंने मांग की है कि आयोग इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करे, पीड़ितों से संवाद करे, और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि आयोग अपनी भूमिका निभाने में असफल रहता है, तो उसकी संरचना और कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
यह मामला केवल एक क्षेत्रीय घटना नहीं, बल्कि पूरे देश में महिला अधिकारों, आदिवासी समुदाय की सुरक्षा और संस्थागत जवाबदेही की परीक्षा बन चुका है। आयोग की निष्क्रियता और पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं।