बांग्लादेश: यूनुस ने हिंदू हिंसा को बताया ‘फेक न्यूज़’, नोबेल विजेता पर उठे गंभीर सवाल

Sun, 12 Oct 2025 09:20 PM IST, आगरा, भारत।

बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर लगातार हो रहे हमलों की रिपोर्ट्स को ‘फेक न्यूज़’ (Fake News) करार देकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। यूनुस का यह बयान तब आया है जब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन, पड़ोसी देश भारत और जमीनी स्तर की रिपोर्ट्स लगातार मंदिरों पर हमले, तोड़फोड़ और हिंदू अल्पसंख्यकों के पलायन की घटनाओं को दर्ज कर रही हैं। नोबेल विजेता का यह रुख, जिसने कथित तौर पर भारत पर ‘झूठी खबरें फैलाने’ का आरोप भी लगाया है, उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि और देश के भीतर साम्प्रदायिक सद्भाव पर गंभीर सवाल खड़े करता है।


मोहम्मद यूनुस का विवादित बयान: ‘भारत की खासियत है फेक न्यूज की बाढ़’

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते हमलों को लेकर, मोहम्मद यूनुस ने एक अमेरिकी पत्रकार मेहदी हसन को दिए इंटरव्यू में हिंसा की खबरों को पूरी तरह से ‘फेक न्यूज़’ बताया। उन्होंने इन रिपोर्ट्स को सीधे तौर पर खारिज कर दिया। इससे भी ज्यादा विवादास्पद यह रहा कि यूनुस ने इन ‘झूठी खबरों’ को फैलाने के लिए भारत पर आरोप लगाया, यह कहते हुए कि “भारत की खासियत ही है फेक न्यूज की बाढ़।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब ढाका, चट्टग्राम और बरिशाल जैसे इलाकों से मंदिरों पर हमलों और हिंदू नेताओं की गिरफ्तारी की खबरें लगातार आ रही हैं। भारत और विश्व के कई मानवाधिकार संगठनों ने इन हमलों की कड़ी निंदा की थी, लेकिन यूनुस ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

‘साम्प्रदायिक नहीं, सामान्य झगड़े’: जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ते यूनुस?

मोहम्मद यूनुस ने अपने इंटरव्यू में देश में हो रही इन घटनाओं को साम्प्रदायिक रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने इन्हें “सिर्फ पड़ोसियों के बीच सामान्य झगड़े” बताया, जिन्हें गलत तरीके से साम्प्रदायिक रंग दिया जा रहा है। यूनुस ने यह दावा किया कि उनकी सरकार ऐसे मामलों को लेकर “सतर्क” है और भारत इन मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहा है।

हालांकि, जमीनी रिपोर्ट्स इसके विपरीत तस्वीर पेश करती हैं। नवंबर 2024 में ढाका में लगभग 30,000 हिंदुओं ने अपनी सुरक्षा और न्याय की मांग को लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से हिंदू धार्मिक नेताओं पर लगे देशद्रोह के मामलों को वापस लेने की अपील भी की थी। जब इतनी बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सड़क पर उतरकर सुरक्षा मांग रहे हों, तब देश के चीफ एडवाइजर द्वारा इन घटनाओं को मात्र ‘सामान्य झगड़े’ बताना उनकी मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

अल्पसंख्यक पहचान पर बयान: ‘सिर्फ हिंदू नहीं, खुद को बांग्लादेशी कहें’

इंटरव्यू के दौरान, यूनुस ने अल्पसंख्यक समुदाय को एक और विवादास्पद सलाह दी। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय के लोगों को खुद को “बांग्लादेशी नागरिक” के रूप में पहचानना चाहिए, न कि सिर्फ हिंदू समुदाय का हिस्सा। यूनुस के अनुसार, ऐसा करने से वे “अलग-थलग महसूस नहीं करेंगे।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान बांग्लादेश के भीतर अल्पसंख्यक समुदाय की पहचान और सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है। देश के संवैधानिक नागरिक होने के बावजूद, उन्हें अपनी धार्मिक पहचान छोड़ने की अप्रत्यक्ष सलाह देना, खासकर कट्टरपंथी संगठनों के बढ़ते प्रभाव के बीच, अल्पसंख्यक अधिकारों के प्रति यूनुस के रुख को संदिग्ध बनाता है।

भारत विरोधी रुख और अस्थिर माहौल: यूनुस की सरकार

साल 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, मोहम्मद यूनुस को देश की अर्थव्यवस्था को संभालने और राजनीतिक स्थिरता बहाल करने की जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन सत्ता संभालने के बाद से ही उन पर “भारत विरोधी रुख अपनाने” के आरोप लगते रहे हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों में कई तनावपूर्ण क्षण देखने को मिले हैं, जैसे कि बांग्लादेश द्वारा फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों की बजाय चीन के ‘ड्रैगन’ को चुनना।

विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस के हिंदू हिंसा पर दिए गए ‘फेक न्यूज़’ जैसे बयान न केवल बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में साम्प्रदायिक तनाव को भी बढ़ा सकते हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यहाँ तक कहा गया है कि यूनुस, ISI की कठपुतली बन गए हैं और बांग्लादेश में ईरान जैसी IRGC सेना बनाने की योजना बना रहे हैं, जो भारत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकती है। (पढ़ें: ISI की कठपुतली बन गए मुहम्मद यूनुस…)

सवाल यह है कि क्या नोबेल विजेता, मोहम्मद यूनुस अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि और कट्टरपंथी समर्थन को बनाए रखने के लिए बांग्लादेश में ज़मीन पर हो रहे सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं और दुनिया को धोखा दे रहे हैं? जब देश के कारखाने बंद हो रहे हों और लाखों लोग बेरोजगार हो रहे हों, तब हिंदू हिंसा की सच्चाई को नकारना देश की मूलभूत समस्याओं से ध्यान भटकाने की एक कोशिश भी हो सकती है।

Also Read: – 🎯 गाजा युद्धविराम के बाद की तस्वीरें: मलबे में तब्दील घर, टूटी उम्मीदें और लौटते लोग


संपादन: ठाकुर पवन सिंह | pawansingh@tajnews.in

ताज न्यूज – आईना सच का

#Bangladesh #MohammadYunus #HinduViolence #FakeNews #NobelPrize #IndiaBangladesh #SouthAsia #TajNews #BalliaNews

स्कैंडल में फंसी बांग्लादेशी ब्यूटी क्वीन… ‘सऊदी किंग से तोहफा’, राजदूत से रिश्ता फिर पहुंच गई जेल!

Related Posts

रूस-अमेरिका संबंधों में नरमी के संकेत; पुतिन ने किरिल दिमित्रीव को ट्रंप के पास भेजा

Fri, 24 Oct 2025 09:55 PM IST, आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में रूस और अमेरिका के बीच पिछले कई वर्षों से तनाव बना हुआ है। अक्टूबर 2025 में…

दोहा में पाकिस्तान-तालिबान वार्ता शुरू, संघर्षविराम के बीच तनाव चरम पर

🕰️: दोहा | शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 | शाम 4:46 बजे IST पाकिस्तान और तालिबान के बीच जारी तनाव के बीच कतर की राजधानी दोहा में शांति वार्ता शुरू हो…

One thought on “बांग्लादेश: यूनुस ने हिंदू हिंसा को बताया ‘फेक न्यूज़’, नोबेल विजेता पर उठे गंभीर सवाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *