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सजा-ए-मौत: दरिंदे को अंतिम सांस तक फंदे पर लटकाया जाए…7 साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या, 10 माह में फैसला

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30 अक्टूबर 2024, आगरा।

आगरा में विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट  सोनिका चौधरी ने साथ वर्षीय बालिका से दुष्कर्म कर हत्या के मामले में एत्मादपुर थाना क्षेत्र के नागला केसरी निवासी राजवीर को दोषी पाया। पिता को न्याय दिलाते हुए दोषी को फांसी की सजा सुना दी गई।

आगरा के एत्मादपुर में 10 महीने पहले हुए 7 साल की बालिका की दुष्कर्म के बाद हत्या के केस में आरोपी 50 वर्षीय राजवीर को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाया। बुधवार को फैसला सुनाते हुए उसे मृत्युदंड से दंडित करते हुए फांसी की सजा सुनाई। आखिरी सांस तक फंदे पर लटकाने के आदेश किए। राजवीर गांव में चौकीदारी करता था। उसने बच्ची को बहाने से अपने साथ बाड़े में ले जाने के बाद दुष्कर्म किया। पानी में डुबोकर मारने की कोशिश की। बाद में सिर में टाइल्स मार दी। दोबारा दुष्कर्म के बाद बालिका की मौत के बाद शव को फेंककर भाग गया।

चौकीदार ने की थी हैवानियत
घटना 30 दिसंबर 2023 को हुई थी। 7 साल की बालिका अपने हमउम्र साथी के साथ घर के बाहर खेल रही थी। राजवीर परिवहन विभाग के अधिकारी के घर में चौकीदारी करता था। वह बहाने से बच्ची को अपने साथ ले गया। अधिकारी के घर के सामने बने बाड़े में ले जाकर दुष्कर्म किया। हत्या करने के बाद शव को फेंककर भाग गया। केस में 15 गवाह और साक्ष्य पेश किए गए। केस में 30 जनवरी को आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया गया। एसीपी डा. सुकन्या शर्मा और विवेचक विजय विक्रम सिंह सहित 15 गवाह और साक्ष्य पेश किए गए।

सुनाई फांसी की सजा 
बुधवार को अदालत में सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनिका चौधरी ने गवाह और साक्ष्यों के आधार पर दुष्कर्म, निर्ममता पूर्वक हत्या ,पॉक्सो एक्ट और साक्ष्य नष्ट करने आरोप में गांव नगला केसरी निवासी चौकीदार राजवीर को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई। 1.25 लाख रुपये के जुर्माने से भी दंडित किया। अदालत ने स्पष्ट आदेश किया है कि दोषी को गर्दन में फांसी लगा कर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत नहीं हो जाती।

नारी को पूज्यनीय बताना, अब वह ग्रंथों-पुस्तकों तक ही सीमित – कोर्ट
बालिका के साथ जघन्य कृत्य कर अभियुक्त ने उसकी निर्मम हत्या कर बर्बरता की समस्त सीमाओं को लांघ दिया गया। बालिका ने स्वयं का जीवन बचाने के लिए कितना संघर्ष किया होगा। मगर, आरोपी के सामने बालिका जिंदगी की जंग हार गई। उस समय बालिका जिस वेदना पीड़ा से गुजरी होगी, कल्पना करना व अनुमान लगाना असंभव है। नारी को पूज्यनीय बताया जाता है। अब वह ग्रंथों एवं पुस्तकों तक ही सीमित रह गया है।

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