राष्ट्रीय सुरक्षा का अर्थ सीमा की ही नहीं देश संस्कृति की सुरक्षा भी हैः गोलोक बिहारी
24 अगस्त 2024, आगरा
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राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैन्स) आगरा चैप्टर द्वारा होटल समोवर में राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा विषय पर आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित मुद्दों, जागरूकता समझ और सहभागिता बढ़ाने पर हुई चर्चा
आगरा। आज की राष्ट्रीय सुरक्षा में सांस्कृतिक सुरक्षा भी है। राष्ट्रीय सुरक्षा का मतलब सीमा की सुरक्षी ही नहीं है। सीमा के अन्दर देश की चुनौतियां भी हैं। सीमा के बाहर अन्य देशों से सम्बंध भी राष्ट्रीय सुरक्षा है। भारत की सीमा के बाहर भारतीय संस्कृति का संचार भी व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा है। हमारे देश के विकास और सम्वृद्धि का चिन्तन भी राष्ट्रीय सुरक्षा है। देश में राष्ट्रीय सुरक्षा की कोई नीति नहीं बनी। यह चिन्तनीय है। आज का भारत एक बदलता हुआ भारत है।
फतेहाबाद रोड स्थित होटल समोवर में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैन्स) द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा विषय पर आयोजित संगोष्ठी में यह वक्तव्य फैन्स के राष्ट्रीय महासचिव गोलोक बिहारी राय के थे। बंगला देश में जो नकारात्मक स्थिति पैदा हुई बंगला देश खुद उसकी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ रहा। परन्तु ये बदला हुआ भारत है जिसने बंगला देश में हिन्दुओं की सुरक्षा की बात की और दुनियां ने उसे सुना। यही वजह थी कि बंगला देश का अल्पसंख्यक हिन्दु एकजुट हुआ और आंदोलन के रूप में अपनी आवाज उठाई। यह परिवर्तित भारत का प्रभाव था। राष्ट्रीय सुरक्षा सीमा सुरक्षा नहीं है। आज ये किसी ने कहा कि अमेरिका रूस-यूक्रेन या हमास-इजरायल का युद्ध रुकवा सकता है। आज कहा जा रहा है कि यह युद्ध भारत रुकवा सकता है। यह दुनिया का विश्वास और बदला हुआ भारत है। भारत की स्थिरता का हिलाने के बहुत प्रयास किए गए। अपने गौरव व सम्वृद्धि का बनाए रखना राष्ट्रीय सुरक्षा है। पहले भी चोरियां होती थी। इसलिए साइबर सुरक्षा सिर्फ पैसा चोरी के लिए नहीं बल्कि निजिता भंग हो रही है। यह भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा है। सुरक्षा का होलिस्टिक चिन्तन की जरूरत है। दुनियां में सम्वृद्धि कैसे सकती है, इसका चिन्तन करना होगा। डीप स्टेट के कारण आतंकवाद जैसी हरकतों से सुरक्षा की जरूरत है। इसीलिए जरूरी है कि देश की रा,ट्रीय सुर7 की नीति होनी चाहिए। इस चर्चा को व्यापाक बनाना होगा।
फोरम की भूमिका व विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. रजनीश त्यागी ने कहा कि फैन्स यह नहीं कहता कि सभी को सैनिक बनना है, लेकिन सभी नागरिकों की एक भूमिका है। जापान और इजरायल से प्रेरणा लेनी चाहिए। देश के सामने बहुत चुनौतियां हैं। सांस्कृतिक सुरक्षा करनी है, किसी जाल में नहीं फंसना है। 2023 में दो लाख लोगों ने देश छोड़ा है। देश के एचएनआई देश छोड़ देंगे तो आर्थिक सुरक्षा का क्या होगा, इस पर चिन्तन की जरूरत है। कर्नल यूसी दुबे ने कहा कि सुरक्षा के मामले में सिर्फ आर्मी व पुलिस के भरोसे न रहें। हम ही क्यों करें मत सोचिए, हम क्यों न करें पर अमल करें। सुरक्षा के साथ खतरों को भी पहचानिए। राष्ट्र की अवधारणा देश की सोच पर निर्भर करती हैं। किसी के लिए जो आतंकवादी है तो वही दूसरे लिए राष्ट्र भक्त हो सकता है। सोच में बदलाव से विघटन पैदा होता है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सभी अतिथियों ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के बारे में विस्तृत जानकारी महासचिव दिवाकर तिवारी ने दी। देश की आन्तरिक सुरक्षा के बारे में उमेश दुबे व राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में ब्रिगेडियर मनोज कुमार, कर्नल जीएम खान ने जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी संगठन के लिए महत्वपूर्ण होता है उसका मिशन। हमारा मिशन है राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं जैसे साइबर सुरक्षा ,सीमा सुरक्षा,आंतरिक सुरक्षा आदि पर व्यापक संसाधन और जानकारी प्रदान करना। कार्यक्रम संयोजक डॉ. पंकज नगायच ने कहा कि फैन्स राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता समझ और सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह मंच जानकारी शिक्षा और संवाद का केंद्र है। उद्देश्य नागरिकों को ज्ञान और अंतर दृष्टि के साथ सशक्त बनाना है ताकि वे हमारे राष्ट्र की सुरक्षा में योगदान कर सके।
मथुरा के मोहित सक्सेना ने कविता पाठ, जैसे जरासंध को चीर देते भीमसेन… के माध्यम से कुछ राजनीतिज्ञों पर तंज कसते हुए कहा कि लोग फिलीस्तीन की जय तो बोल रहे हैं लेकिन भारत माता की जय बोलने में जीभ कट जाती है। जिन्हें क्रोनोलॉजी का पता नहीं उन्होंने हमारा इतिहास लिखा।
संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ. पंकज नगायच व दिवाकर तिवारी ने किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैन्स) महासचिव दिवाकर तिवारी, कार्यक्रम संयोजक डॉ. पंकज नगायच, डॉ. रजनीश त्यागी, मनोज शर्मा, डॉ. अजय मल्ल, कर्नल यूसी दुबे, गौरीशंकर जी, विजय सामा, डॉ. अरुण चतुर्वेदी, शैलेश अग्रवाल, विकास, बांकेलाल गौड़, पवन सिंह, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डीएस तोमर, डॉ. मनोज राठौर, उपेन्द्र जी, राधा शर्मा, मनमोहन निरंकारी, सोनी त्रिपाठी, अनुज उपाध्याय,
उद्देश्य क्या है फैन्स के
आगरा। प्रथम उद्देश्य राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना। नागरिकों को विभिन्न सुरक्षा खतरों के बारे में जानकारी देना और उन्हें सतर्क करना। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है नागरिकों को आंतरिक और बाहरी दोनों खतरों के प्रति जागरूक करेगा। जिसमें आतंकवाद,साइबर हमले, सीमा विवाद जैसे मुद्दे शामिल है।सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जाएगा ताकि हर नागरिक सतर्क और सुरक्षित रह सके। ये मंच नागरिकों की सुरक्षा उपाय और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं के तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
दूसरा उद्देश्य भारतीय साइबर सुरक्षा। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच का उद्देश्य साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में जागरूकता और सुरक्षा को बढ़ावा देना है। मंच नागरिकों और संगठनों को साइबर खतरों के प्रति सतर्क करेगा और उन्हें सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करेगा। ऐसे तरीकों का प्रचार प्रसार किया जाएगा जो उनके प्रभावी कार्यान्वयन में योगदान दे एवं सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये।
तीसरा उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में सहयोग बनाना। देश की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न संगठनों, सरकारी एजेंसियों और आम नागरिकों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना। सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा। ये सहयोग न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा करेगा बल्कि एकजुटता और समर्पण की भावना को भी बढ़ाएगा। इस प्रयास से एक सुरक्षित और सशक्त राष्ट्र का निर्माण संभव होगा ।
आखिरी सांस्कृतिक सुरक्षा। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच का सांस्कृतिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान है। भारत की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं की रक्षा, संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है ये मंच। मंच का उद्देश्य विभिन्न सांस्कृतिक हमले और प्रभावों से भारत की संस्कृति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके लिए जागरूकता अभियान ,सांस्कृतिक कार्यशालाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सांस्कृतिक सुरक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और पहचान को बनाए रखना इस मंच का लक्ष्य है।