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“छठ पूजा: जानिए 7 या 8 नवंबर, कब होगी सूर्य देव की आराधना!”

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Chhath Puja Date: हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश के राज्यों में छठ पूजा पर्व को हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. आइए जानते हैं, इस वर्ष कब की जाएगी ढलते हुए सूर्य की उपासना.

Chhath Puja 2024 Date and Shubh Muhurat: सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. प्रत्येक वर्ष छठ पूजा पर्व का आयोजन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन होता है. इस दिन सूर्य देव की उपासना का विधान है. छठ पूजा में ढलते हुए सूर्य की उपासना की जाती है. इस दिन माताएं अपने के परिवार में सुख-समृद्धि के लिए निर्जला उपवास का पालन करती हैं. इस दिन को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. छठ पूजा का शुभारंभ 36 घंटे पहले हो जाता है और इस पर्व को बिहार, झारखंड, पूर्वांचल के विभिन्न हिस्सों में बड़े ही हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाता है.

छठ पूजा 2024 मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की सृष्टि तिथि 07 नवंबर मध्यरात्रि 12:40 पर शुरू होगी और इस तिथि का समय पर 08 नवंबर मध्यरात्रि 12:30 पर हो जाएगा. ऐसे में छठ पूजा का आयोजन 07 नवंबर 2024, गुरुवार के दिन किया जाएगा. इस दिन सूर्य उदय पूजा के लिए मुहूर्त सुबह 06:35 रहेगा. वहीं सूर्यास्त पूजा मुहूर्त शाम 05:30 पर होगा.

छठ पूजा 2024 कैलेंडर

  1. 05 नवंबर 2024, मंगलवार: नहाए खाय
  2. 06 नवंबर 2024, बुधवार: खरना
  3. 07 नवंबर 2024, गुरुवार: छठ पूजा संध्या अर्घ्य
  4. 08 नवंबर 2024, शुक्रवार: उषा अर्घ्य छठ पूजा व्रत पारण

छठ पूजा का क्या है महत्व?

सनातन धर्म में छठ पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. छठ पूजा का शुभारंभ नहाए खाय से होता है और इस दिन पवित्र जल में स्नान किया जाता है व उपवास का पालन करने वाली महिलाएं दिन में केवल एक ही बार भोजन ग्रहण करती हैं. इसके बाद दूसरे दिन खरना पर निर्जला उपवास का पालन किया जाता है और सूर्य देव को भोजन प्रदान करने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. छठ पूजा का मुख्य दिवस तीसरा दिन है, जिसमें महिलाएं संपूर्ण दिन निर्जल उपवास का पालन करती हैं और अस्त होते सूर्य को जल प्रदान करती हैं, जिसे इस पूजा का मुख्य अनुष्ठान माना जाता है. यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें ढलते हुए सूर्य को जल प्रदान किया जाता है और उनकी उपासना की जाती है. इसके बाद इस दिन पूर्ण रात्रि उपवास रखा जाता है और अगले दिन उदय होते सूर्य को जल प्रदान करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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